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Diwali Special: ETV भारत के साथ शुभ मुहूर्त में करें महालक्ष्मी का पूजन...मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

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Published : Nov 14, 2020, 5:33 AM IST

दिवाली के त्योहार का आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से विशेष महत्व है. दिवाली का त्योहार शनिवार यानी आज है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी के विशेष पूजन के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने मुहूर्त से लेकर पूजन सामग्री और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. खुद देखिये...

Jaipur News, Diwali Festival, महालक्ष्मी का पूजन
ईटीवी भारत के साथ महालक्ष्मी का पूजन

जयपुर. दिवाली का त्योहार शनिवार यानी14 नवंबर को है. यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है. कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दिवाली होने से महालक्ष्मी पूजन का विधान है. इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विध्नहर्ता प्रथम पूज्य गणेश जी और माता सरस्वती की आराधना की जाती है. वहीं, दिवाली दे दिन लक्ष्मी का अवतरण दिवस भी मनाया जाता है, जो समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से प्रकट हुईं थीं.

ETV भारत के साथ जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (पार्ट 1)

घर में लक्ष्मीजी का वास और दरिद्रता के विनाश के लिए लक्ष्मी जी का पूजन विधान बताया गया है. ऐसे में दिवाली के मौके पर ईटीवी भारत आपको शुभ मुहूर्त में लक्ष्मीजी के विशेष पूजन के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने मुहूर्त से लेकर पूजन सामग्री और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

पढ़ें: Diwali Special: दिवाली पर मिट्टी के डेकोरेटिव आइटम और रंगीन दीयों से रोशन होगी गुलाबी नगरी

दिवाली पर महालक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त...

दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. वहीं, वृष लग्न में शाम 5 बजकर 37 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक है. साथ ही सिंह लग्न की बात करें तो मध्यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 2 बजकर 30 मिनट तक है. साथ ही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5 बजकर 49 मिनट से 6 बजकर 02 मिनट तक होगा. इन मुहूर्त में अपनी सुविधानुसार भक्त पूजन कर सकते हैं.

पढ़ें: Special: कुम्हारों की होगी हैप्पी दिवाली, चीनी समान के बहिष्कार से बढ़ी दीयों की मांग

लक्ष्मीजी की पूजा के लिए सामग्री...

1. श्री लक्ष्मी जी की पादुका, गणेश जी और लक्ष्मी जी का सिक्का
2. गोमती चक्र, मोनी लोंग और लघु नारियल
3. काली हल्दी, पीली हल्दी और कमलगट्टा
4. 108 मनके की रुद्राक्ष की माला और चावल के 21 दाने
5. सामग्री बॉक्स, आरती सहित पूजा विधि की किताब
6. सरस्वती जी, गणेश जी और लक्ष्मी जी का विशेष प्रकार का चित्र
7. संपूर्ण यंत्र, पूजा स्वापी, लाल वस्त्र चौकी और तांबा कलश
8. कोड़ी, पंचमेवा, इत्र, रोली मोली, सुपारी, धूप, कपूर
9. अबीर, पंचरग गुलाल, सिंदूर और चमेली तेल
10. गंगाजल, शुद्ध गुलाब जल, गोमूत्र, शुद्ध शहद
11. पीली सरसों, शुद्ध हवन सामग्री, लौंग, ईलायची
12. लाल गुंजा, काली गुंजा, मोनी लोग
13. लंबी बाती, गोल बाती, चंदन, रुई, माचिस, काकड़े जनेऊ, मिश्री, धनिया, मूंगा
14. माताजी की चुन्नी और उनके श्रृंगार का सामान अवश्य लें

पढ़ें: Special : डिजिटल युग में दिवाली पूजन तक सीमित रह गया बहीखाता

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में कैसे करें पूजन, जानें पूजा विधि...

• पूजन विधि की बात करें तो हमें सबसे पहले एक पाटे पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर शुद्ध जल के छींटे डाले और कुछ अक्षत छोड़े. फिर गणेश जी और महालक्ष्मी का चित्र विराजमान करें. उनके सम्मुख पूर्व या उत्तर मुखी होकर बैठे. फिर लक्ष्मी पादुका के साथ ही लक्ष्मी जी और गणेश का सिक्का भी स्थापित करें. इस दौरान मंत्र ॐ माधवाय नमः ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः का उच्चारण करते हुए उल्टे हाथ से लोटे से जल सीधे हाथ में आचमन करें. वहीं, श्री गणेश जी और महालक्ष्मी जी से आग्रह करें कि मैं आपकी पूजा करने जा रहा हूँ. कृपया पधार कर मेरी पूजा को स्वीकार करें. दायें हाथ में अक्षत गणेश जी की प्रतिमा पर मंत्र का जप करते हुए छोड़े.

• साथ ही सीधे हाथ में जल में लेकर थोड़ी रोली डालें और एक सुपरी लेकर पुष्प लें. मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्पित महालक्ष्मी के पूजन का संकल्प लें. अब हाथ के जल को दोने में छोड़ दें. सर्वप्रथम दिए गए तांबे कलश को स्थापना करें और उसके लिए छोटे दीपक में चावल या अन्य धान्य भरें. उसे ऊपर प्राप्त तांबे का कलश रखे हैं. इसमें कुछ जल या गंगाजल भरें. अब कलश पर जो दीपक चावल से भरा रख दें. उस पर दिए गए लघु नारियल स्थापित करें और फिर लघु नारियल पर वस्त्र अर्थात मोली चढ़ाए. वहीं, कलश की पूजा रोली अक्षत से करें और कुछ पुष्प अर्पित करें. फिर आपको गंगाजल से गणेश जी मां लक्ष्मी जी को स्नान करना है यानी जल के छीटे डालने हैं. सभी स्थापित देवी देवताओं को सशस्त्र चुन्नी पहनावें. उसके बाद कलश गणित जी, मां सरस्वती, महालक्ष्मी जी के केसर, कुमकुम, अक्षत का टीका करें और इत्र लगाए. साथ ही दीपक धूप प्रज्वलित करें. मां लक्ष्मी जी के सम्मुख चौगटा दीक अवश्य करें. वहीं, मिश्री और पंचमेवा के अतिरिक्त जो भी मिष्ठान फल आप निवेदित करना चाहें, निवेदित करें. इसके बाद दोनों में जल छोड़े और मंत्रों का जाप करते हुए मां लक्ष्मी जी की पूजा पोटली में प्राप्त सभी वस्तुएं एक-एक करते हुए स्थापित देवी देवताओं को अर्पित करें.

• अब आप हाथ जोड़कर अपने मन में कोई भी मनोकामना के बारे में विचार करते हुए कम से कम 21 या श्रद्धा अनुसार मंत्रों का जाप करें और लक्ष्मी जी की आरती करें. मुख्य दीपक के अलावा 51 दीपक प्रज्वलित करें और उनकी पूजा करें यानी अक्षत रोली का टीका करें. अब प्रज्वलित दीपों में खिल पतासे इत्यादि छोड़ें और घर के सभी कोनों में वह साथ ही मुख्य दरवाजा पर एक दीपक अवश्य जलाएं. वहीं, आरती करने के बाद दीपक के चारों कोनों में जल छोड़े और माता जी की आरती दिखाएं. स्वयं के ऊपर जल छोड़े. उसके बाद हाथों में पुष्प लेकर मंत्रों का जाप करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करें.

• अब हमें पुष्प सभी देवी देवताओं को अर्पित करना है. पूजा स्थल पर प्रज्वलित दीपों को घर के हर कोने में देव स्थानों पर रखें और ध्यान रहे तुलसा जी के स्थान पर अवश्य रखें. उसके बाद निमन प्रार्थना करते हुए साष्टांग प्रणाम कर उठे. साथ ही क्षमा मांगते हुए बोले 'न मैं आव्हान करना जानता हूं,न मैं विसर्जित करना, पूजा कर्म भी नहीं जानता हूं, परमेश्वरी मुझे क्षमा करें, मंत्र क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने किया है. हे देवी यह पूजा संपूर्ण करो और संभव प्राप्त उपचार वस्तुओं से मैंने जो पूजन किया है, उसे भगवती श्री महालक्ष्मी और प्रसन्न हों. सभी भगवती लक्ष्मी जी को विद्या में जल लेकर और पूजा पूर्ण होने की प्रार्थना करते हुए दोनों में जल छोड़े. वहीं, प्राप्त सिंदूर को मां लक्ष्मी को अर्पित करने के बाद विवाहित महिला मांग में उस सिंदूर अवश्य भरें.

ETV भारत के साथ जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (पार्ट 2)

दिवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेष महत्व है. हिंदू दर्शन शास्त्र में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश उत्सव कहा गया है. ईटीवी भारत आप सभी दर्शकों के लिए आशा करता हैं कि दिवाली का ये त्योहार आपके लिए मंगलमय हो. माता लक्ष्मी जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपके जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आए.

जयपुर. दिवाली का त्योहार शनिवार यानी14 नवंबर को है. यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है. कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दिवाली होने से महालक्ष्मी पूजन का विधान है. इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विध्नहर्ता प्रथम पूज्य गणेश जी और माता सरस्वती की आराधना की जाती है. वहीं, दिवाली दे दिन लक्ष्मी का अवतरण दिवस भी मनाया जाता है, जो समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से प्रकट हुईं थीं.

ETV भारत के साथ जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (पार्ट 1)

घर में लक्ष्मीजी का वास और दरिद्रता के विनाश के लिए लक्ष्मी जी का पूजन विधान बताया गया है. ऐसे में दिवाली के मौके पर ईटीवी भारत आपको शुभ मुहूर्त में लक्ष्मीजी के विशेष पूजन के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने मुहूर्त से लेकर पूजन सामग्री और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

पढ़ें: Diwali Special: दिवाली पर मिट्टी के डेकोरेटिव आइटम और रंगीन दीयों से रोशन होगी गुलाबी नगरी

दिवाली पर महालक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त...

दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. वहीं, वृष लग्न में शाम 5 बजकर 37 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक है. साथ ही सिंह लग्न की बात करें तो मध्यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 2 बजकर 30 मिनट तक है. साथ ही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5 बजकर 49 मिनट से 6 बजकर 02 मिनट तक होगा. इन मुहूर्त में अपनी सुविधानुसार भक्त पूजन कर सकते हैं.

पढ़ें: Special: कुम्हारों की होगी हैप्पी दिवाली, चीनी समान के बहिष्कार से बढ़ी दीयों की मांग

लक्ष्मीजी की पूजा के लिए सामग्री...

1. श्री लक्ष्मी जी की पादुका, गणेश जी और लक्ष्मी जी का सिक्का
2. गोमती चक्र, मोनी लोंग और लघु नारियल
3. काली हल्दी, पीली हल्दी और कमलगट्टा
4. 108 मनके की रुद्राक्ष की माला और चावल के 21 दाने
5. सामग्री बॉक्स, आरती सहित पूजा विधि की किताब
6. सरस्वती जी, गणेश जी और लक्ष्मी जी का विशेष प्रकार का चित्र
7. संपूर्ण यंत्र, पूजा स्वापी, लाल वस्त्र चौकी और तांबा कलश
8. कोड़ी, पंचमेवा, इत्र, रोली मोली, सुपारी, धूप, कपूर
9. अबीर, पंचरग गुलाल, सिंदूर और चमेली तेल
10. गंगाजल, शुद्ध गुलाब जल, गोमूत्र, शुद्ध शहद
11. पीली सरसों, शुद्ध हवन सामग्री, लौंग, ईलायची
12. लाल गुंजा, काली गुंजा, मोनी लोग
13. लंबी बाती, गोल बाती, चंदन, रुई, माचिस, काकड़े जनेऊ, मिश्री, धनिया, मूंगा
14. माताजी की चुन्नी और उनके श्रृंगार का सामान अवश्य लें

पढ़ें: Special : डिजिटल युग में दिवाली पूजन तक सीमित रह गया बहीखाता

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में कैसे करें पूजन, जानें पूजा विधि...

• पूजन विधि की बात करें तो हमें सबसे पहले एक पाटे पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर शुद्ध जल के छींटे डाले और कुछ अक्षत छोड़े. फिर गणेश जी और महालक्ष्मी का चित्र विराजमान करें. उनके सम्मुख पूर्व या उत्तर मुखी होकर बैठे. फिर लक्ष्मी पादुका के साथ ही लक्ष्मी जी और गणेश का सिक्का भी स्थापित करें. इस दौरान मंत्र ॐ माधवाय नमः ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः का उच्चारण करते हुए उल्टे हाथ से लोटे से जल सीधे हाथ में आचमन करें. वहीं, श्री गणेश जी और महालक्ष्मी जी से आग्रह करें कि मैं आपकी पूजा करने जा रहा हूँ. कृपया पधार कर मेरी पूजा को स्वीकार करें. दायें हाथ में अक्षत गणेश जी की प्रतिमा पर मंत्र का जप करते हुए छोड़े.

• साथ ही सीधे हाथ में जल में लेकर थोड़ी रोली डालें और एक सुपरी लेकर पुष्प लें. मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्पित महालक्ष्मी के पूजन का संकल्प लें. अब हाथ के जल को दोने में छोड़ दें. सर्वप्रथम दिए गए तांबे कलश को स्थापना करें और उसके लिए छोटे दीपक में चावल या अन्य धान्य भरें. उसे ऊपर प्राप्त तांबे का कलश रखे हैं. इसमें कुछ जल या गंगाजल भरें. अब कलश पर जो दीपक चावल से भरा रख दें. उस पर दिए गए लघु नारियल स्थापित करें और फिर लघु नारियल पर वस्त्र अर्थात मोली चढ़ाए. वहीं, कलश की पूजा रोली अक्षत से करें और कुछ पुष्प अर्पित करें. फिर आपको गंगाजल से गणेश जी मां लक्ष्मी जी को स्नान करना है यानी जल के छीटे डालने हैं. सभी स्थापित देवी देवताओं को सशस्त्र चुन्नी पहनावें. उसके बाद कलश गणित जी, मां सरस्वती, महालक्ष्मी जी के केसर, कुमकुम, अक्षत का टीका करें और इत्र लगाए. साथ ही दीपक धूप प्रज्वलित करें. मां लक्ष्मी जी के सम्मुख चौगटा दीक अवश्य करें. वहीं, मिश्री और पंचमेवा के अतिरिक्त जो भी मिष्ठान फल आप निवेदित करना चाहें, निवेदित करें. इसके बाद दोनों में जल छोड़े और मंत्रों का जाप करते हुए मां लक्ष्मी जी की पूजा पोटली में प्राप्त सभी वस्तुएं एक-एक करते हुए स्थापित देवी देवताओं को अर्पित करें.

• अब आप हाथ जोड़कर अपने मन में कोई भी मनोकामना के बारे में विचार करते हुए कम से कम 21 या श्रद्धा अनुसार मंत्रों का जाप करें और लक्ष्मी जी की आरती करें. मुख्य दीपक के अलावा 51 दीपक प्रज्वलित करें और उनकी पूजा करें यानी अक्षत रोली का टीका करें. अब प्रज्वलित दीपों में खिल पतासे इत्यादि छोड़ें और घर के सभी कोनों में वह साथ ही मुख्य दरवाजा पर एक दीपक अवश्य जलाएं. वहीं, आरती करने के बाद दीपक के चारों कोनों में जल छोड़े और माता जी की आरती दिखाएं. स्वयं के ऊपर जल छोड़े. उसके बाद हाथों में पुष्प लेकर मंत्रों का जाप करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करें.

• अब हमें पुष्प सभी देवी देवताओं को अर्पित करना है. पूजा स्थल पर प्रज्वलित दीपों को घर के हर कोने में देव स्थानों पर रखें और ध्यान रहे तुलसा जी के स्थान पर अवश्य रखें. उसके बाद निमन प्रार्थना करते हुए साष्टांग प्रणाम कर उठे. साथ ही क्षमा मांगते हुए बोले 'न मैं आव्हान करना जानता हूं,न मैं विसर्जित करना, पूजा कर्म भी नहीं जानता हूं, परमेश्वरी मुझे क्षमा करें, मंत्र क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने किया है. हे देवी यह पूजा संपूर्ण करो और संभव प्राप्त उपचार वस्तुओं से मैंने जो पूजन किया है, उसे भगवती श्री महालक्ष्मी और प्रसन्न हों. सभी भगवती लक्ष्मी जी को विद्या में जल लेकर और पूजा पूर्ण होने की प्रार्थना करते हुए दोनों में जल छोड़े. वहीं, प्राप्त सिंदूर को मां लक्ष्मी को अर्पित करने के बाद विवाहित महिला मांग में उस सिंदूर अवश्य भरें.

ETV भारत के साथ जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (पार्ट 2)

दिवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेष महत्व है. हिंदू दर्शन शास्त्र में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश उत्सव कहा गया है. ईटीवी भारत आप सभी दर्शकों के लिए आशा करता हैं कि दिवाली का ये त्योहार आपके लिए मंगलमय हो. माता लक्ष्मी जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपके जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आए.

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