जयपुर. नवरात्रि का आज सातवां दिन है, और आज दुर्गा मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है. मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भय मुक्त रहता है. उसे अग्नि, जल, शत्रु किसी का भी भय नहीं होता.
ज्योतिषाचार्य पंडित विशाल सेवग के अनुसार दुर्गा मां की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. आज के दिन विशेष विधान के साथ रात में देवी की पूजा करें. मां कालरात्रि देवी को सदैव शुभ फल देने के कारण शुभंकरी भी कहा जाता है. कालरात्रि देवी की आराधना करने से काल का नाश होता है. इसके लिए स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे. देवी को अक्षत, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का निवेद विधिपूर्वक अर्पित करें और उसके बाद दुर्गा आरती करें.
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इसके बाद ब्राह्मणों को दान दें. इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी. ध्यान रखें कालरात्रि की आरती के समय अपने सिर को खुला न रखें. पूजा के समय सिर पर साफ रुमाल रख ले. गर्धव पर सवार मां कालरात्रि देखने में तो बहुत ही भयंकर है लेकिन इनका हदय बहुत ही कोमल है. इनकी नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती है. वहीं ऊपर की ओर उठा मां का दायां हाथ भक्तों को आशीर्वाद देता दिख रहा है. मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है. उनके बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र हैं. वही निचले बाएं हाथ में कटार है.