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World TB Day: टीबी मरीजों को 'बीडाक्विलीन' देगी दर्द रहित इलाज, इंजेक्शन की पीड़ा से मिलेगी मुक्ति...राजस्थान में शुरू हुई सुविधा

टीबी के मरीजों को अब राजस्थान में दर्द रहित इलाज मिल सकेगा. अब प्रदेश में टीबी मरीजों को रोज लगने वाले केना माइसिन इंजेक्शन के बजाए बीडाक्विलीन टैबलेट (Bedaquiline tablet in Rajasthan) खिलाई जाएगी जिससे मरीजों का इलाज बिना दर्द सहे हो सकेगा. इस टैबलेट को नियमित खाने से टीबी मरीज कम दर्द के साथ बेहतर इलाज पा सकेंगे. राजस्थान में यह सुविधा कुछ अस्पतालों में शुरू भी हो गई है.

Bedaquiline tablet in Rajasthan
बीडाक्विलीन टैबलेट
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Published : Mar 24, 2022, 4:06 PM IST

जयपुर. विश्व टीबी दिवस (World TB Day) पर आज देश-दुनिया में लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो विश्व में 26 फ़ीसदी टीबी मरीज तो अकेले भारत में चिन्हित किए गए हैं. इनमें भी 7 फीसदी अकेले राजस्थान में मौजूद हैं. टीबी से निजात पाने और और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रहीं हैं. टीबी के इलाज में रोजाना मरीज को एक इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी पीड़ा असहनीय रहती है लेकिन अब उन्हें इस दर्द भरे इलाज से मुक्ति मिल जाएगी. अब 'बीडाक्विलीन' टेबलेट (Bedaquiline tablet in Rajasthan) टीबी मरीजों को दर्द रहित इलाज देगी. कइ अस्पतालों में यह दवाएं उपलब्ध भी हैं जिनका लाभ मरीजों को हो रहा है.

टीबी वैसे तो अब बड़ी बीमारियों की श्रेणी में नहीं आती क्योंकि इसका इलाज अब संभव है, लेकिन इसके उपचार में देरी करने या लापरवाही करने पर कभी-कभी केस बिगड़ भी जाता है. ऐसे में मरीजों को केना माइसिन इंजेक्शन रोजाना लगाया जाता है ताकि यह बीमारी और न फैले और हालात में सुधार हो. यह इलाज लंबे समय तक चलता था. इंजेक्शन के कारण मरीजों को काफी दर्द का सामना भी करना पड़ता था लेकिन अब टीबी मरीजों को इलाज इंजेक्शन की बजाय टेबलेट से किया जा रहा है.

बीडाक्विलीन टैबलेट

पढ़ें. World TB day: रोग की गलत पहचान बढ़ा सकती है मृत्युदर, टीबी और फेफड़े कैंसर के लक्षणों में समानता से फेफड़े कैंसर की पहचान में हो रही देरी

डिस्ट्रिक नोडल अधिकारी टीबी डॉक्टर सुधीर शर्मा का कहना है कि इससे पहले मरीजों को इंजेक्शन के जरिए इलाज दिया जाता था. हर दिन मरीज को इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल आना पड़ता था. यह प्रक्रिया 6 महीने तक चलती थी जिस कारण मरीजों काफी परेशानी होती थी. इनमें कुछ मरीज तो दर्द न सह पाने पर बीच में ही इलाज छोड़ देते थे तो कई लंबा समय लगने के कारण उपचार में लापरवाही करते थे. इससे कई बार मरीज की जान भी चली जाती थी. ऐसे में अब प्रदेश में इंजेक्शन की बजाए दवा से इलाज शुरू कर दिया गया है. अब 'बीडाक्विलिन' दवा से मरीजों का इलाज किया जा रहा है जो दर्द रहित है. डॉ शर्मा का कहना है कि यह इलाज 6 महीने से 20 महीने तक मरीज को दिया जाता है और इसके बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है.

धूम्रपान से खतरा
चिकित्सकों का मानना है कि धूम्रपान के कारण टीबी और कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. विश्व भर में 80 लाख और देश भर में 13 लाख लोग तंबाकू की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर सबसे अधिक रहे हैं. फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है. प्रदेश में हर साल 77 हजार मौतें तंबाकू खाने की वजह से हो रही है.

पढ़ें. विश्व क्षय दिवस पर चलाया गया विशेष जनजागरूकता अभियान, वरिष्ठ व प्रबुद्धजनों को दिलाई गई शपथ

इन लक्षणों पर सचेत होना जरूरी
लंबे समय तक खांसी
बलगम के साथ खून आना
सांस का फूलना
सीने में दर्द होना
वजन का तेजी से कम होना
भूख ना लगना
आवाज में बदलाव आना
कंधे और हाथ में दर्द होना

हालांकि टीबी इलाज के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रहीं हैं और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसका इलाज निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि टीबी का इलाज लंबे समय तक चलता है तो ऐसे में मरीज को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि पूरा इलाज लेने के बाद ही इस बीमारी से मुक्ति संभव है.

जयपुर. विश्व टीबी दिवस (World TB Day) पर आज देश-दुनिया में लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो विश्व में 26 फ़ीसदी टीबी मरीज तो अकेले भारत में चिन्हित किए गए हैं. इनमें भी 7 फीसदी अकेले राजस्थान में मौजूद हैं. टीबी से निजात पाने और और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रहीं हैं. टीबी के इलाज में रोजाना मरीज को एक इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी पीड़ा असहनीय रहती है लेकिन अब उन्हें इस दर्द भरे इलाज से मुक्ति मिल जाएगी. अब 'बीडाक्विलीन' टेबलेट (Bedaquiline tablet in Rajasthan) टीबी मरीजों को दर्द रहित इलाज देगी. कइ अस्पतालों में यह दवाएं उपलब्ध भी हैं जिनका लाभ मरीजों को हो रहा है.

टीबी वैसे तो अब बड़ी बीमारियों की श्रेणी में नहीं आती क्योंकि इसका इलाज अब संभव है, लेकिन इसके उपचार में देरी करने या लापरवाही करने पर कभी-कभी केस बिगड़ भी जाता है. ऐसे में मरीजों को केना माइसिन इंजेक्शन रोजाना लगाया जाता है ताकि यह बीमारी और न फैले और हालात में सुधार हो. यह इलाज लंबे समय तक चलता था. इंजेक्शन के कारण मरीजों को काफी दर्द का सामना भी करना पड़ता था लेकिन अब टीबी मरीजों को इलाज इंजेक्शन की बजाय टेबलेट से किया जा रहा है.

बीडाक्विलीन टैबलेट

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डिस्ट्रिक नोडल अधिकारी टीबी डॉक्टर सुधीर शर्मा का कहना है कि इससे पहले मरीजों को इंजेक्शन के जरिए इलाज दिया जाता था. हर दिन मरीज को इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल आना पड़ता था. यह प्रक्रिया 6 महीने तक चलती थी जिस कारण मरीजों काफी परेशानी होती थी. इनमें कुछ मरीज तो दर्द न सह पाने पर बीच में ही इलाज छोड़ देते थे तो कई लंबा समय लगने के कारण उपचार में लापरवाही करते थे. इससे कई बार मरीज की जान भी चली जाती थी. ऐसे में अब प्रदेश में इंजेक्शन की बजाए दवा से इलाज शुरू कर दिया गया है. अब 'बीडाक्विलिन' दवा से मरीजों का इलाज किया जा रहा है जो दर्द रहित है. डॉ शर्मा का कहना है कि यह इलाज 6 महीने से 20 महीने तक मरीज को दिया जाता है और इसके बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है.

धूम्रपान से खतरा
चिकित्सकों का मानना है कि धूम्रपान के कारण टीबी और कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. विश्व भर में 80 लाख और देश भर में 13 लाख लोग तंबाकू की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर सबसे अधिक रहे हैं. फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है. प्रदेश में हर साल 77 हजार मौतें तंबाकू खाने की वजह से हो रही है.

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इन लक्षणों पर सचेत होना जरूरी
लंबे समय तक खांसी
बलगम के साथ खून आना
सांस का फूलना
सीने में दर्द होना
वजन का तेजी से कम होना
भूख ना लगना
आवाज में बदलाव आना
कंधे और हाथ में दर्द होना

हालांकि टीबी इलाज के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रहीं हैं और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसका इलाज निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि टीबी का इलाज लंबे समय तक चलता है तो ऐसे में मरीज को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि पूरा इलाज लेने के बाद ही इस बीमारी से मुक्ति संभव है.

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