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World Heart Day : दिल की बीमारियों से दुनिया में हो रहीं सबसे अधिक मौतें..तनाव भी जिम्मेदार - हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स

आज विश्व हृदय दिवस है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक मौतें दिल की बीमारियों की वजह से हो रही हैं. दिल की बीमारी अब बुढ़ापे का रोग नहीं रही, युवाओं को भी यह तेजी चपेट में ले रही है. कोविड के बाद दिल की बीमारियों से जुड़े आंकड़े भयावह हैं. खबर का मकसद डराना नहीं, सावचेत करना है..

World Heart Day
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Published : Sep 29, 2021, 7:03 AM IST

जयपुर. पूरा विश्व 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है. यह दिवस मनाने के पीछे हृदय के स्वस्थ होने की कामना भी है. लेकिन आज के दौर में यह तथ्य चिंता पैदा करता है कि दुनिया में सबसे अधिक मौतें दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हो रही हैं.

बीते 20 साल के आंकड़े यही कहते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक मौतें दिल की बीमारी के चलते हुई है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी दिल की बीमारियों से जुड़ा एक आंकड़ा पेश किया है, यह काफी चौंकाने वाला है. डब्ल्यूएचओ ने भी दावा है कि 75 फ़ीसदी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से मौतें विकासशील देशों में हो रही हैं. भारत में 27 फीसद मौतों के लिए दिल की बीमारियां जिम्मेदार हैं.

दिल को संभालिये, तनावमुक्त रहिये

WHO की मानें तो हर साल 17.9 मिलियन लोग CVD यानी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के चलते जान गंवा देते हैं. विश्वभर में होने वाली कुल मौतों में से 32 फीसद मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं. इसमें 85 फीसद मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स के चलते होती हैं. यह आंकड़ा काफी डराने वाला है. चिकित्सक मानते हैं कि बीते कुछ साल के दौरान दिल की बीमारियों के मामले लगातार बढ़े हैं. ESI हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गौरव सिंघल कहते हैं कि विश्व में सबसे अधिक मौतें दिल की बीमारियों से हो रही है, बीते कुछ साल से भारत में दिल के मरीज तेजी से बढ़े हैं.

पढ़ें- पोस्ट कोविड इफेक्टः ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आए बेल्स पाल्सी के मरीज, 60 मरीजों का हुआ इलाज

कम उम्र में दिल की बीमारी

डॉक्टर सिंघल का कहना है कि दिल की बीमारी आमतौर पर 60-70 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब तो 40 वर्ष से कम उम्र के युवा भी दिल के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं. चिकित्सकों ने दावा किया कि तनाव और नशा इसके बड़े कारण हैं. आमतौर पर बीड़ी-सिगरेट और शराब पीने वाले लोगों में दिल की बीमारियां अधिक देखने को मिलती थीं, लेकिन अब तनाव के कारण दिल पर असर पड़ने लगा है.

कोविड के बाद बढ़े दिल के मरीज

बीते डेढ़ साल में विश्व में कोविड-19 संक्रमण फैलने के साथ ही अन्य बीमारियों के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. दिल की बीमारियों के मामले ज्यादा हैं. कोविड-19 संक्रमण के बाद भारत में दिल की बीमारियों के मामले सबसे अधिक सामने आए. इसका प्रमुख कारण सही समय पर इलाज उपलब्ध नहीं होना है, क्योंकि कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान अन्य बीमारियों से जुड़ी सेवाएं मरीजों को समय पर नहीं मिल पाई. कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने के बाद भी लोगों में दिल की बीमारी के मामले देखे गए हैं.

पढ़ें- कोरोना के साइड इफेक्ट : मरीजों में बढ़ रहे लंग्स फाइब्रोसिस और पोस्ट ऑपरेटेड ब्लैक फंगस के मामले

तनाव दिल के लिए खतरनाक

ESI अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि तनाव दिल के लिए काफी खतरनाक है, तनाव के कारण कई बीमारियां हो रही हैं, खासतौर से दिल की बीमारी. अगर दिल को स्वस्थ रखा जाए तो इंसान स्वस्थ जिंदगी जी सकता है.

जरूरी है कि तनाव से दूरी बनाई जाए. दिनचर्या सेट की जाए, योग, व्यायाम और साइकिलिंग जैसी अच्छी आदतें अपनाई जाएं, नशे से दूर रहा जाए. ऐसा करके दिल को बीमारी लगने से कुछ हद तक बचाया जा सकता है.

जयपुर. पूरा विश्व 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है. यह दिवस मनाने के पीछे हृदय के स्वस्थ होने की कामना भी है. लेकिन आज के दौर में यह तथ्य चिंता पैदा करता है कि दुनिया में सबसे अधिक मौतें दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हो रही हैं.

बीते 20 साल के आंकड़े यही कहते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक मौतें दिल की बीमारी के चलते हुई है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी दिल की बीमारियों से जुड़ा एक आंकड़ा पेश किया है, यह काफी चौंकाने वाला है. डब्ल्यूएचओ ने भी दावा है कि 75 फ़ीसदी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से मौतें विकासशील देशों में हो रही हैं. भारत में 27 फीसद मौतों के लिए दिल की बीमारियां जिम्मेदार हैं.

दिल को संभालिये, तनावमुक्त रहिये

WHO की मानें तो हर साल 17.9 मिलियन लोग CVD यानी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के चलते जान गंवा देते हैं. विश्वभर में होने वाली कुल मौतों में से 32 फीसद मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं. इसमें 85 फीसद मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स के चलते होती हैं. यह आंकड़ा काफी डराने वाला है. चिकित्सक मानते हैं कि बीते कुछ साल के दौरान दिल की बीमारियों के मामले लगातार बढ़े हैं. ESI हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गौरव सिंघल कहते हैं कि विश्व में सबसे अधिक मौतें दिल की बीमारियों से हो रही है, बीते कुछ साल से भारत में दिल के मरीज तेजी से बढ़े हैं.

पढ़ें- पोस्ट कोविड इफेक्टः ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आए बेल्स पाल्सी के मरीज, 60 मरीजों का हुआ इलाज

कम उम्र में दिल की बीमारी

डॉक्टर सिंघल का कहना है कि दिल की बीमारी आमतौर पर 60-70 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब तो 40 वर्ष से कम उम्र के युवा भी दिल के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं. चिकित्सकों ने दावा किया कि तनाव और नशा इसके बड़े कारण हैं. आमतौर पर बीड़ी-सिगरेट और शराब पीने वाले लोगों में दिल की बीमारियां अधिक देखने को मिलती थीं, लेकिन अब तनाव के कारण दिल पर असर पड़ने लगा है.

कोविड के बाद बढ़े दिल के मरीज

बीते डेढ़ साल में विश्व में कोविड-19 संक्रमण फैलने के साथ ही अन्य बीमारियों के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. दिल की बीमारियों के मामले ज्यादा हैं. कोविड-19 संक्रमण के बाद भारत में दिल की बीमारियों के मामले सबसे अधिक सामने आए. इसका प्रमुख कारण सही समय पर इलाज उपलब्ध नहीं होना है, क्योंकि कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान अन्य बीमारियों से जुड़ी सेवाएं मरीजों को समय पर नहीं मिल पाई. कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने के बाद भी लोगों में दिल की बीमारी के मामले देखे गए हैं.

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तनाव दिल के लिए खतरनाक

ESI अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि तनाव दिल के लिए काफी खतरनाक है, तनाव के कारण कई बीमारियां हो रही हैं, खासतौर से दिल की बीमारी. अगर दिल को स्वस्थ रखा जाए तो इंसान स्वस्थ जिंदगी जी सकता है.

जरूरी है कि तनाव से दूरी बनाई जाए. दिनचर्या सेट की जाए, योग, व्यायाम और साइकिलिंग जैसी अच्छी आदतें अपनाई जाएं, नशे से दूर रहा जाए. ऐसा करके दिल को बीमारी लगने से कुछ हद तक बचाया जा सकता है.

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