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गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब बने राजीव आवासों के निर्माण को दी जा रही गति, मेयर ने कहा- दोबारा कराया जाएगा सर्वे

जयपुर के भट्टा बस्ती में 86 करोड़ की लागत से बनने वाले राजीव आवासों की करीब 8 साल बाद सुध ली गई है. अब यहां 1,228 आवास और 120 रेंटल यूनिट बनाई जा रही है. बुधवार को हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर यहां पहुंची और निर्माणाधीन आवासों का जायजा लेते हुए काम को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.

Mayor Munesh Gurjar, Rajiv Housing Scheme in Jaipur
गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब बने राजीव आवासों के निर्माण को दी जा रही गति
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Published : Feb 17, 2021, 10:11 PM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर के भट्टा बस्ती में 86 करोड़ की लागत से बनने वाले राजीव आवासों की करीब 8 साल बाद सुध ली गई है. अब यहां 1,228 आवास और 120 रेंटल यूनिट बनाई जा रही है. बुधवार को हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर यहां पहुंची और निर्माणाधीन आवासों का जायजा लेते हुए काम को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि यहां आवास अलॉट करने से पहले दोबारा सर्वे कराया जाएगा.

गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब बने राजीव आवासों के निर्माण को दी जा रही गति

गरीब परिवारों के लिए 2013 में शुरू हुई राजीव आवासीय योजना का काम 2017 तक पूरा होना था, लेकिन 2015 के बाद से आवास निर्माण कार्य ठप पड़ा था. यहां सीमेंट और ईंट से बना ढांचा तो तैयार हो गया, लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो कोई पक्का रास्ता बनाया गया और ना ही ना बिजली पानी और सीवरेज की व्यवस्था की गई. यही वजह है कि इन अधूरे पड़े आवासों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगा.

स्थानीय पार्षद जाहिद अली ने बताया कि यहां कुछ फ्लैटों पर कब्जा कर असामाजिक तत्व नशे के पदार्थ बेचने का काम कर रहे थे. जिस पर स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से काफी हद तक लगाम लगाई गई हैं. उन्होंने मांग की कि ये फ्लैट जल्द तैयार हो और क्वालिटी कंस्ट्रक्शन हो, ताकि जो लोग यहां रहने आएं. उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां पहले जो सर्वे हुआ है, उसमें कुछ रसूखदारों ने कई फ्लैट के सर्वे अपने नाम कर रखे हैं, जबकि ये फ्लैट जरूरतमंदों को ही मिलने चाहिए.

जयपुर नगर निगम में महापौर बदले, लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी किसी ने नहीं उठाई. हालांकि अब हेरिटेज नगर निगम में आने वाले इस प्रोजेक्ट की महापौर मुनेश गुर्जर ने सुध ली है. बुधवार को एक्सईएन हेड क्वार्टर और स्थानीय पार्षदों के साथ महापौर ने इस प्रोजेक्ट का जायजा लिया. साथ ही यहां संबंधित कांट्रेक्टर को जल्द निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए.

पढ़ें- राजस्थान रोडवेज ने जनवरी में 117 करोड़ का राजस्व किया अर्जित, 1.84 करोड़ यात्रियों ने किया सफर

महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि 8 साल पुराने प्रोजेक्ट का अब तक काम पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही केंद्र से पैसा आना बंद हो गया है. हालांकि अब इन आवासों के काम को गति देने के लिए फाइल मंगवाई गई है, ताकि मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे गरीब वर्ग को बेहतर आवास मिल सके. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब काम दोबारा शुरू हुआ है, तो सर्वे भी नए सिरे से ही होगा. कोशिश की जा रही है कि ये प्रोजेक्ट फेज वॉइस कंप्लीट होता जाए, ताकि लोगों को शिफ्ट करना शुरू किया जाए. लेकिन एक ढांचे में कोई निवास नहीं कर सकता. इससे जुड़ी हुई सीवर लाइन, पाइपलाइन और बिजली का कनेक्शन भी आवश्यक है. जिसे भी जल्द किया जाएगा. फिलहाल जो आवास तैयार हैं, उनमें तो कुछ ज्यादा सुधार हो नहीं सकता, लेकिन नए कंस्ट्रक्शन को बेहतर प्लान लाकर तैयार किया जाएगा.

हालांकि इस दौरान महापौर ने कंस्ट्रक्शन क्वालिटी के सवाल को टालते हुए कहा कि जब तक यहां कोई रहने नहीं आ जाता, तब तक कमियां उजागर नहीं हो सकती. बहरहाल, पहले यहां 2212 आवास बनने थे. जिसकी तुलना में अब महज 1228 आवास बनने हैं. ये राजीव आवास सालों से गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब सा बने हुए हैं. निगाहें इसी पर है कि क्या ये ख्वाब सच होगा.

जयपुर. राजधानी जयपुर के भट्टा बस्ती में 86 करोड़ की लागत से बनने वाले राजीव आवासों की करीब 8 साल बाद सुध ली गई है. अब यहां 1,228 आवास और 120 रेंटल यूनिट बनाई जा रही है. बुधवार को हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर यहां पहुंची और निर्माणाधीन आवासों का जायजा लेते हुए काम को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि यहां आवास अलॉट करने से पहले दोबारा सर्वे कराया जाएगा.

गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब बने राजीव आवासों के निर्माण को दी जा रही गति

गरीब परिवारों के लिए 2013 में शुरू हुई राजीव आवासीय योजना का काम 2017 तक पूरा होना था, लेकिन 2015 के बाद से आवास निर्माण कार्य ठप पड़ा था. यहां सीमेंट और ईंट से बना ढांचा तो तैयार हो गया, लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो कोई पक्का रास्ता बनाया गया और ना ही ना बिजली पानी और सीवरेज की व्यवस्था की गई. यही वजह है कि इन अधूरे पड़े आवासों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगा.

स्थानीय पार्षद जाहिद अली ने बताया कि यहां कुछ फ्लैटों पर कब्जा कर असामाजिक तत्व नशे के पदार्थ बेचने का काम कर रहे थे. जिस पर स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से काफी हद तक लगाम लगाई गई हैं. उन्होंने मांग की कि ये फ्लैट जल्द तैयार हो और क्वालिटी कंस्ट्रक्शन हो, ताकि जो लोग यहां रहने आएं. उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां पहले जो सर्वे हुआ है, उसमें कुछ रसूखदारों ने कई फ्लैट के सर्वे अपने नाम कर रखे हैं, जबकि ये फ्लैट जरूरतमंदों को ही मिलने चाहिए.

जयपुर नगर निगम में महापौर बदले, लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी किसी ने नहीं उठाई. हालांकि अब हेरिटेज नगर निगम में आने वाले इस प्रोजेक्ट की महापौर मुनेश गुर्जर ने सुध ली है. बुधवार को एक्सईएन हेड क्वार्टर और स्थानीय पार्षदों के साथ महापौर ने इस प्रोजेक्ट का जायजा लिया. साथ ही यहां संबंधित कांट्रेक्टर को जल्द निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए.

पढ़ें- राजस्थान रोडवेज ने जनवरी में 117 करोड़ का राजस्व किया अर्जित, 1.84 करोड़ यात्रियों ने किया सफर

महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि 8 साल पुराने प्रोजेक्ट का अब तक काम पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही केंद्र से पैसा आना बंद हो गया है. हालांकि अब इन आवासों के काम को गति देने के लिए फाइल मंगवाई गई है, ताकि मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे गरीब वर्ग को बेहतर आवास मिल सके. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब काम दोबारा शुरू हुआ है, तो सर्वे भी नए सिरे से ही होगा. कोशिश की जा रही है कि ये प्रोजेक्ट फेज वॉइस कंप्लीट होता जाए, ताकि लोगों को शिफ्ट करना शुरू किया जाए. लेकिन एक ढांचे में कोई निवास नहीं कर सकता. इससे जुड़ी हुई सीवर लाइन, पाइपलाइन और बिजली का कनेक्शन भी आवश्यक है. जिसे भी जल्द किया जाएगा. फिलहाल जो आवास तैयार हैं, उनमें तो कुछ ज्यादा सुधार हो नहीं सकता, लेकिन नए कंस्ट्रक्शन को बेहतर प्लान लाकर तैयार किया जाएगा.

हालांकि इस दौरान महापौर ने कंस्ट्रक्शन क्वालिटी के सवाल को टालते हुए कहा कि जब तक यहां कोई रहने नहीं आ जाता, तब तक कमियां उजागर नहीं हो सकती. बहरहाल, पहले यहां 2212 आवास बनने थे. जिसकी तुलना में अब महज 1228 आवास बनने हैं. ये राजीव आवास सालों से गरीबों के लिए अधूरा ख्वाब सा बने हुए हैं. निगाहें इसी पर है कि क्या ये ख्वाब सच होगा.

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