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SPECIAL : जिन गांवों में कभी घर से नहीं निकली महिलाएं...वे उद्यमी बनकर दिखा रहीं नई राह - जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला

राजस्थान के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी महिलाएं सामाजिक रिवाजों की पाबंदियों में जी रही हैं. लेकिन स्वयं सहायता समूहों में शामिल होकर ग्रामीण परिवेश की महिलाएं न केवल अपना परिवार चला रहीं हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
महिलाओं ने उद्यमी बनकर बदली तस्वीर
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Published : Mar 17, 2021, 6:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान के ग्रामीण परिवेश की महिलाओं पर तमाम सामाजिक बंदिशों की कई कहानियां आपने देखी और पढ़ी होंगी. लेकिन जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला में आई इन महिलाओं की कहानियां राजस्थान के ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के बारे में आपको अपनी राय बदलने पर मजबूर कर देंगी. देखिये ये रिपोर्ट...

घर से निकली गृहिणियां...अब बन गई हैं कल्याणी

स्वयं सहायता समूह से जुड़कर घरेलू और कुटीर उद्योग के दम पर ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं. बल्कि अपने गांव की दशा और दिशा भी बदल रही हैं. घरेलू खाद्य उद्योग, मसाला उद्योग, सूती कपड़ा उद्योग और सौंदर्य प्रसाधन सहित अन्य उद्योगों से जुड़ी ये महिलाएं अपने परिवार का जीवन स्तर सुधार रहीं हैं.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
महिलाओं ने बदला अपना जीवन स्तर

जयपुर जिले के बगरू खुर्द गांव की कोमल शर्मा बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. समूह से जुड़ने से पहले हालात यह थे कि महिलाएं घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं. कई घरों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. वे करीब तीन साल पहले समूह से जुड़ीं. इस समूह की महिलाओं ने पेपर प्रोडक्ट का काम शुरू किया. जिसमें करीब 70 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इन महिलाओं के उत्पाद न केवल जयपुर बल्कि देशभर में बिक रहे हैं.

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उद्यमी बनकर दिखा रहीं नई राह

आत्मनिर्भर होने से महिलाओं का उत्साह बढ़ा है. अब महिलाएं खुद पर गर्व महसूस करती हैं. महिलाएं अपना खर्च निकाल रही हैं. पहले जहां गांव में महिलाएं घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं, अब वे कैटर्स के रूप में भी बाहर निकल रही हैं. अपने उत्पादों को लेकर भी प्रदेश और देशभर में जा रही हैं. इससे गांव के सामाजिक और आर्थिक हालात में भी बदलाव आया है. कई महिलाओं ने ऊन के उत्पाद बनाना भी शुरू किया है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हालात और बेहतर होंगे.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
अब अपने परिवार के लिए कल्याणी बन गई हैं ये गृहिणियां

टोंक जिले के दूनी गांव की चंदू कुमारी पांचाल बताती हैं कि पांच साल पहले स्वयंसहायता समूह से जुड़कर उन्होंने साबुन बनाने का काम शुरू किया था. इसके बाद गांव की अन्य जरूरतमंद महिलाएं भी समूह से जुड़ने लगीं. अब वे साबुन के साथ ही अन्य सौंदर्य प्रसाधन भी बनाती हैं और उनके उत्पाद प्रदेशभर में जा रहे हैं. उनका कहना है कि स्वयंसहायता समूहों के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं की मदद करके एक सुकून मिल रहा है.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
ये महिलाएं जुड़ी स्वयं सहायता समूहों से

पढ़ें- 5 साल की मासूम बच्ची से Rape के आरोपी को फांसी की सजा, कोर्ट ने महज 17 दिन में सुनाया फैसला

आत्मनिर्भर महिलाएं अपने बच्चों अच्छी शिक्षा भी दिला रही हैं. ताकि वे पढ़ लिखकर अपना और गांव के लोगों का जीवन स्तर सुधार सकें. उनका कहना है कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने को ही अब उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है.

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राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद का अहम योगदान

पाली जिले की निर्मल कंवर बताती हैं कि समूह से जुड़कर उन्होंने गृह उद्योग शुरू किया. जिसमें आलू चिप्स, खिंचिया, खाखरा आदि बनाए जाते हैं. उनके बनाए उत्पाद न केवल जिले बल्कि प्रदेश और देशभर में पसंद किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि स्वयं सहायता समूह की मदद से ऋण लेकर वे अपने काम को और बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही हैं.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
राजस्थान के अलावा 22 राज्यों से आई दस्तकार महिलाएं

इन महिलाओं को इस मुकाम पर लाने में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) का अहम योगदान है. राजीविका की स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर मोना दवे का कहना है कि जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में एक छत के नीचे 148 स्टॉल्स लगाई गई हैं. इनमें राजस्थान के साथ ही 22 अन्य राज्यों से भी अपने उत्पाद बेचने के लिए दस्तकार आए हैं. उनका कहना है कि इन दस्तकारों के सामान यहां खरीदने का फायदा यह है कि जो भी उत्पाद ये बेचेंगे उसका रुपया इनकी जेब में जाएगा.

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मेले में एक छत के नीचे 148 स्टॉल्स

उनका कहना है कि राजीविका के तहत न केवल स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं और दस्तकारों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. बल्कि उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को प्रदेश और देश में पहुंचाने के लिए मंच भी मुहैया करवाए जा रहे हैं. जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट फेयर इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

जयपुर. राजस्थान के ग्रामीण परिवेश की महिलाओं पर तमाम सामाजिक बंदिशों की कई कहानियां आपने देखी और पढ़ी होंगी. लेकिन जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला में आई इन महिलाओं की कहानियां राजस्थान के ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के बारे में आपको अपनी राय बदलने पर मजबूर कर देंगी. देखिये ये रिपोर्ट...

घर से निकली गृहिणियां...अब बन गई हैं कल्याणी

स्वयं सहायता समूह से जुड़कर घरेलू और कुटीर उद्योग के दम पर ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं. बल्कि अपने गांव की दशा और दिशा भी बदल रही हैं. घरेलू खाद्य उद्योग, मसाला उद्योग, सूती कपड़ा उद्योग और सौंदर्य प्रसाधन सहित अन्य उद्योगों से जुड़ी ये महिलाएं अपने परिवार का जीवन स्तर सुधार रहीं हैं.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
महिलाओं ने बदला अपना जीवन स्तर

जयपुर जिले के बगरू खुर्द गांव की कोमल शर्मा बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. समूह से जुड़ने से पहले हालात यह थे कि महिलाएं घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं. कई घरों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. वे करीब तीन साल पहले समूह से जुड़ीं. इस समूह की महिलाओं ने पेपर प्रोडक्ट का काम शुरू किया. जिसमें करीब 70 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इन महिलाओं के उत्पाद न केवल जयपुर बल्कि देशभर में बिक रहे हैं.

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उद्यमी बनकर दिखा रहीं नई राह

आत्मनिर्भर होने से महिलाओं का उत्साह बढ़ा है. अब महिलाएं खुद पर गर्व महसूस करती हैं. महिलाएं अपना खर्च निकाल रही हैं. पहले जहां गांव में महिलाएं घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं, अब वे कैटर्स के रूप में भी बाहर निकल रही हैं. अपने उत्पादों को लेकर भी प्रदेश और देशभर में जा रही हैं. इससे गांव के सामाजिक और आर्थिक हालात में भी बदलाव आया है. कई महिलाओं ने ऊन के उत्पाद बनाना भी शुरू किया है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हालात और बेहतर होंगे.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
अब अपने परिवार के लिए कल्याणी बन गई हैं ये गृहिणियां

टोंक जिले के दूनी गांव की चंदू कुमारी पांचाल बताती हैं कि पांच साल पहले स्वयंसहायता समूह से जुड़कर उन्होंने साबुन बनाने का काम शुरू किया था. इसके बाद गांव की अन्य जरूरतमंद महिलाएं भी समूह से जुड़ने लगीं. अब वे साबुन के साथ ही अन्य सौंदर्य प्रसाधन भी बनाती हैं और उनके उत्पाद प्रदेशभर में जा रहे हैं. उनका कहना है कि स्वयंसहायता समूहों के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं की मदद करके एक सुकून मिल रहा है.

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ये महिलाएं जुड़ी स्वयं सहायता समूहों से

पढ़ें- 5 साल की मासूम बच्ची से Rape के आरोपी को फांसी की सजा, कोर्ट ने महज 17 दिन में सुनाया फैसला

आत्मनिर्भर महिलाएं अपने बच्चों अच्छी शिक्षा भी दिला रही हैं. ताकि वे पढ़ लिखकर अपना और गांव के लोगों का जीवन स्तर सुधार सकें. उनका कहना है कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने को ही अब उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है.

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राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद का अहम योगदान

पाली जिले की निर्मल कंवर बताती हैं कि समूह से जुड़कर उन्होंने गृह उद्योग शुरू किया. जिसमें आलू चिप्स, खिंचिया, खाखरा आदि बनाए जाते हैं. उनके बनाए उत्पाद न केवल जिले बल्कि प्रदेश और देशभर में पसंद किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि स्वयं सहायता समूह की मदद से ऋण लेकर वे अपने काम को और बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही हैं.

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राजस्थान के अलावा 22 राज्यों से आई दस्तकार महिलाएं

इन महिलाओं को इस मुकाम पर लाने में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) का अहम योगदान है. राजीविका की स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर मोना दवे का कहना है कि जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में एक छत के नीचे 148 स्टॉल्स लगाई गई हैं. इनमें राजस्थान के साथ ही 22 अन्य राज्यों से भी अपने उत्पाद बेचने के लिए दस्तकार आए हैं. उनका कहना है कि इन दस्तकारों के सामान यहां खरीदने का फायदा यह है कि जो भी उत्पाद ये बेचेंगे उसका रुपया इनकी जेब में जाएगा.

Rajasthan Rural Entrepreneur,  Women of Rajasthan,  Women economic social condition rajasthan
मेले में एक छत के नीचे 148 स्टॉल्स

उनका कहना है कि राजीविका के तहत न केवल स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं और दस्तकारों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. बल्कि उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को प्रदेश और देश में पहुंचाने के लिए मंच भी मुहैया करवाए जा रहे हैं. जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट फेयर इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

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