जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विधवा चिकित्सक के सांगानेर से सीकर किए गए तबादला आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को पूर्व की जगह पर ही काम करने के निर्देश देते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश डॉक्टर कल्पना वर्मा की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता दिवेश शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शहर के सांगानेर में स्थित सरकारी अस्पताल में चिकित्सक के तौर पर तैनात थी. गत वर्ष 29 सितंबर को विभाग ने उसका तबादला सीकर के खंडेला कस्बे की सीएचसी में कर दिया. मामले में सिविल सेवा अपील अधिकरण के आदेश पर याचिकाकर्ता ने विभाग में अपना अभ्यावेदन भी पेश किया. जिसे विभाग ने खारिज कर दिया.
पढ़ें- प्रवासियों को लाने को लेकर छिड़ी जंग, सीएम गहलोत की मांग को सांसद देवजी पटेल ने नकारा
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता विधवा महिला है और उसे नाबालिग बेटी की देखभाल करनी पड़ती है. इसके अलावा उसके सास-ससुर और मां की भी मौत हो चुकी है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.
हेल्थ इंस्पेक्टर की सेवानिवृत्ति पर रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता हेल्थ इंस्पेक्टर की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव, चिकित्सा शिक्षा निदेशक और जेएलएन मेडिकल कॉलेज, अजमेर के प्रिंसिपल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश रामानंद तिवारी की याचिका पर दिए.
पढ़ें- कोरोना संकट के बीच पेयजल संकट को ना भूले सरकार, सतीश पूनिया ने लिखा मंत्री बीडी कल्ला को पत्र
याचिका में अदालत को बताया गया है कि याचिकाकर्ता हेल्थ इंस्पेक्टर के पद से 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहा है. कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी पैरामेडिकल स्टाफ की सेवानिवृत्ति 1 से 6 माह के लिए बढ़ा दी है. ऐसे में जो स्टाफ अप्रैल माह में सेवानिवृत्त हो रहा है, उसका सेवाकाल 5 माह बढ़ाया गया है.
याचिका में कहा गया कि हेल्थ इंस्पेक्टर का पद भी पैरामेडिकल स्टाफ में ही आता है. ऐसे में उसकी सेवानिवृत्ति अवधि 5 माह के लिए बढ़ाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाते हुए अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.