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अदालती आदेशों के बावजूद क्यों नहीं सुधर रहे एफएसएल के हालातः राजस्थान हाईकोर्ट - जयपुर की खबर

जयपुर में न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को कहा है कि पांच साल से एफएसएल की स्थिति सुधारने के संबंध में आदेश देने के बावजूद अब तक इसके हालात क्यों नहीं सुधरे हैं? आखिर सरकार मामले में अब तक क्या कर रही है.

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट
अदालती आदेशों के बावजूद क्यों नहीं सुधर रहे एफएसएल के हालात
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Published : Jan 18, 2020, 8:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि पांच साल से एफएसएल की स्थिति सुधारने के संबंध में आदेश देने के बावजूद अब तक इसके हालात क्यों नहीं सुधरे हैं? आखिर सरकार मामले में अब तक क्या कर रही है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह मौखिक टिप्पणी प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान न्यायमित्र की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें कहा गया कि एफएसएल में लंबित मामलों की संख्या वर्ष 2014 के 13 हजार मामलों से घटकर वर्ष 2017 में पांच हजार तीन सौ आ गई थी, लेकिन दिसंबर 2019 तक यह बढ़कर 14 हजार के पार चली गई है.

हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद कई आदेश दिए गए हैं और सरकार की पालना रिपोर्ट के अनुसार इन निर्देशों की पालना तो हुई है, लेकिन यह असल में यह कागजी पालना ही है. रिक्त पदों को भरने के लिए अधिकांश समय मात्र बयानबाजी ही हुई है. रिपोर्ट में कहा गया कि एफएसएल में एक ही किस्म के लंबित मामलों का दबाव है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बेहतर हो कि हर डिविजन से अलग-अलग रिपोर्ट ली जाए. जिससे लंबित रहने के असली कारणों का पता चल सके.

पढ़ेंः रोमानिया में फंसे राजस्थान के तीनों युवकों की वतन वापसी, ETV भारत के साथ साझा किया अपना दर्द

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भरतपुर में एफएसएल भवन के बारे में 10 दिसंबर 2014 को कोर्ट बताया था कि एक अगस्त 2014 को जमीन आवंटित हो गई है. वहीं बाद में जमीन आवंटन को गलत बताया. इसी तरह गत अक्टूबर माह में 2 हजार 1 सौ 71 लाख रुपए का आवंटन बताकर दिसंबर माह में सिर्फ एक करोड़ रुपए आवंटित होने की बात कही गई.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि पांच साल से एफएसएल की स्थिति सुधारने के संबंध में आदेश देने के बावजूद अब तक इसके हालात क्यों नहीं सुधरे हैं? आखिर सरकार मामले में अब तक क्या कर रही है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह मौखिक टिप्पणी प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान न्यायमित्र की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें कहा गया कि एफएसएल में लंबित मामलों की संख्या वर्ष 2014 के 13 हजार मामलों से घटकर वर्ष 2017 में पांच हजार तीन सौ आ गई थी, लेकिन दिसंबर 2019 तक यह बढ़कर 14 हजार के पार चली गई है.

हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद कई आदेश दिए गए हैं और सरकार की पालना रिपोर्ट के अनुसार इन निर्देशों की पालना तो हुई है, लेकिन यह असल में यह कागजी पालना ही है. रिक्त पदों को भरने के लिए अधिकांश समय मात्र बयानबाजी ही हुई है. रिपोर्ट में कहा गया कि एफएसएल में एक ही किस्म के लंबित मामलों का दबाव है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बेहतर हो कि हर डिविजन से अलग-अलग रिपोर्ट ली जाए. जिससे लंबित रहने के असली कारणों का पता चल सके.

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भरतपुर में एफएसएल भवन के बारे में 10 दिसंबर 2014 को कोर्ट बताया था कि एक अगस्त 2014 को जमीन आवंटित हो गई है. वहीं बाद में जमीन आवंटन को गलत बताया. इसी तरह गत अक्टूबर माह में 2 हजार 1 सौ 71 लाख रुपए का आवंटन बताकर दिसंबर माह में सिर्फ एक करोड़ रुपए आवंटित होने की बात कही गई.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि पांच साल से एफएसएल की स्थिति सुधारने के संबंध में आदेश देने के बावजूद अब तक इसके हालात क्यों नहीं सुधरे हैं? आखिर सरकार मामले में अब तक क्या कर रही है। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह मौखिक टिप्पणी प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:सुनवाई के दौरान न्यायमित्र की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें कहा गया कि एफएसएल में लंबित मामलों की संख्या वर्ष 2014 के 13 हजार प्रकरणों से घटकर वर्ष 2017 में पांच हजार तीन सौ आ गई थी, लेकिन दिसंबर 2019 तक यह बढक़र 14 हजार के पार चली गई है। हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद कई आदेश दिए गए हैं और सरकार की पालना रिपोर्ट के अनुसार इन निर्देशों की पालना तो हुई है लेकिन यह असल में यह कागजी पालना ही है। रिक्त पदों को भरने के लिए अधिकांश समय मात्र बयानबाजी ही हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि एफएसएल में एक ही किस्म के लंबित मामलों का दबाव है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। बेहतर हो कि हर डिविजन से अलग-अलग रिपोर्ट ली जाए ताकि लंबित रहने के असली कारणों का पता चल सके।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भरतपुर में एफएसएल भवन के बारे में 10 दिसंबर 2014 को कोर्ट बताया था कि एक अगस्त 2014 को जमीन आवंटित हो गई है। वहीं बाद में जमीन आवंटन को गलत बताया। इसी तरह गत अक्टूबर माह में 2171 लाख रुपए का आवंटन बताकर दिसंबर माह में सिर्फ एक करोड रुपए आवंटित होने की बात कही गई।Conclusion:
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