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Jaipur Traffic Police : क्यों फेल हो रहे जयपुर ट्रैफिक पुलिस के नवाचार ? यहां समझिए...

जयपुर ट्रैफिक पुलिस शहर की यातायात व्यवस्था (Traffic System in Jaipur) को सुगम बनाने के लिए समय-समय पर अलग-अलग तरह के नवाचार करते हुए विभिन्न तरह के अभियान की शुरुआत करती है, लेकिन कुछ ही समय बाद वह अभियान पूरी तरह से फेल हो जाता है. ताज्जुब की बात यह है कि लगातार एक के बाद एक अभियान के फेल होने के बावजूद भी अभियानों के फेल होने के कारणों की समीक्षा (Reasons for Failure Review) नहीं की जाती है और नए-नए अभियान शुरू कर दिए जाते हैं. इसके चलते न केवल मैन पावर खराब होती है, बल्कि काफी राशि भी व्यर्थ हो जाती है.

crime in jaipur
क्यों फेल हो रहे जयपुर ट्रैफिक पुलिस के नवाचार ?
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Published : Nov 19, 2021, 6:20 PM IST

जयपुर. हाल ही में जयपुर ट्रैफिक पुलिस (Jaipur Traffic Police) ने शहर में नो हॉन्किंग अभियान की शुरुआत की थी जो पूरी तरह से असफल साबित हुआ है. इसी प्रकार से पूर्व में शुरू किए गए अनेक अभियान भी पूरी तरह से असफल रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस लगातार अभियान चलाती है, लेकिन उसके बावजूद भी शहरवासियों को यातायत की समस्याओं से निजात नहीं मिल पाती है.

ट्रैफिक पुलिस के अभियानों के लगातार फेल होने के पीछे क्या कारण है, जब इसे लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अभियान को लेकर व्यवहारिक आकलन की कमी और फीडबैक के अभाव में यह तमाम अभियान फेल हो रहे हैं. पुलिस द्वारा जो अभियान शुरू किया जा रहा है, उसके साथ आमजन को किस तरह से जोड़ा जाए या उसका आमजन को क्या फायदा होगा, इन तमाम चीजों पर अभियान को शुरू करने से पहले गौर नहीं किया जाता है.

क्यों फेल हो रहे जयपुर ट्रैफिक पुलिस के नवाचार...

पुलिस द्वारा प्रचार की दृष्टि से इन अभियानों की शुरुआत की जाती है, जिसके चलते यह अभियान सफल नहीं हो पाते हैं. इसके साथ ही आमजन में ट्रैफिक पुलिस की छवि एक भ्रष्ट पुलिस के रूप में बनी हुई है. जिसे सुधारने की दिशा में आला अधिकारियों द्वारा भी कोई अहम कदम नहीं उठाया जाता है और आमजन भी ट्रैफिक पुलिस के अभियान को नवाचार के रूप में न देखकर वसूली के नए तरीकों के रूप में देखती है. वहीं, किसी भी अभियान को शुरू करने से पहले न तो उस अभियान को लेकर जनता से फीडबैक लिया जाता है और न ही ट्रैफिक पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों से राय ली जाती है. आला अधिकारी द्वारा अपने स्तर पर एक राय होकर नए अभियान की शुरुआत कर दी जाती है, जिसका कुछ ही समय बाद दम निकल जाता है.

हाल ही में चलाए गए यह अभियान हुए पूरी तरह से फेल...

जयपुर ट्रैफिक पुलिस द्वारा हाल ही में नो हॉन्किंग अभियान चलाया गया, जिसे लेकर शहर में अलग-अलग इलाकों में जाकर विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया. लेकिन कुछ ही समय बाद यह अभियान पूरी तरह से फेल हो गया. इस अभियान से पहले आदर्श चौराहे बनाने का अभियान शुरू किया गया, जिसका भी कुछ ही समय बाद दम निकल गया.

इससे पूर्व पिंक चौराहे बनाने का एक अभियान भी ट्रैफिक पुलिस ने शुरू किया था जो पूरी तरह से फेल रहा. वहीं, जेएलएन मार्ग को एक आदर्श पथ बनाने का अभियान भी चलाया गया था, जो पूरी तरह से फेल रहा. इसी तरह से अनेक अभियान चलाए गए जो फेल रहे.

जयपुर. हाल ही में जयपुर ट्रैफिक पुलिस (Jaipur Traffic Police) ने शहर में नो हॉन्किंग अभियान की शुरुआत की थी जो पूरी तरह से असफल साबित हुआ है. इसी प्रकार से पूर्व में शुरू किए गए अनेक अभियान भी पूरी तरह से असफल रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस लगातार अभियान चलाती है, लेकिन उसके बावजूद भी शहरवासियों को यातायत की समस्याओं से निजात नहीं मिल पाती है.

ट्रैफिक पुलिस के अभियानों के लगातार फेल होने के पीछे क्या कारण है, जब इसे लेकर ईटीवी भारत ने पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अभियान को लेकर व्यवहारिक आकलन की कमी और फीडबैक के अभाव में यह तमाम अभियान फेल हो रहे हैं. पुलिस द्वारा जो अभियान शुरू किया जा रहा है, उसके साथ आमजन को किस तरह से जोड़ा जाए या उसका आमजन को क्या फायदा होगा, इन तमाम चीजों पर अभियान को शुरू करने से पहले गौर नहीं किया जाता है.

क्यों फेल हो रहे जयपुर ट्रैफिक पुलिस के नवाचार...

पुलिस द्वारा प्रचार की दृष्टि से इन अभियानों की शुरुआत की जाती है, जिसके चलते यह अभियान सफल नहीं हो पाते हैं. इसके साथ ही आमजन में ट्रैफिक पुलिस की छवि एक भ्रष्ट पुलिस के रूप में बनी हुई है. जिसे सुधारने की दिशा में आला अधिकारियों द्वारा भी कोई अहम कदम नहीं उठाया जाता है और आमजन भी ट्रैफिक पुलिस के अभियान को नवाचार के रूप में न देखकर वसूली के नए तरीकों के रूप में देखती है. वहीं, किसी भी अभियान को शुरू करने से पहले न तो उस अभियान को लेकर जनता से फीडबैक लिया जाता है और न ही ट्रैफिक पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों से राय ली जाती है. आला अधिकारी द्वारा अपने स्तर पर एक राय होकर नए अभियान की शुरुआत कर दी जाती है, जिसका कुछ ही समय बाद दम निकल जाता है.

हाल ही में चलाए गए यह अभियान हुए पूरी तरह से फेल...

जयपुर ट्रैफिक पुलिस द्वारा हाल ही में नो हॉन्किंग अभियान चलाया गया, जिसे लेकर शहर में अलग-अलग इलाकों में जाकर विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया. लेकिन कुछ ही समय बाद यह अभियान पूरी तरह से फेल हो गया. इस अभियान से पहले आदर्श चौराहे बनाने का अभियान शुरू किया गया, जिसका भी कुछ ही समय बाद दम निकल गया.

इससे पूर्व पिंक चौराहे बनाने का एक अभियान भी ट्रैफिक पुलिस ने शुरू किया था जो पूरी तरह से फेल रहा. वहीं, जेएलएन मार्ग को एक आदर्श पथ बनाने का अभियान भी चलाया गया था, जो पूरी तरह से फेल रहा. इसी तरह से अनेक अभियान चलाए गए जो फेल रहे.

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