जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधायक ओम प्रकाश हुडला को पहली बार 2014 चुनाव में भाजपा में शामिल करवा कर भाजपा प्रत्याशी बनाकर महवा से चुनाव लड़ाया था. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार में भी विधायक हुडला को संसदीय सचिव बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था.
साल 2018 के चुनाव में वसुंधरा राजे ने विधायक ओम प्रकाश हुडला को विधानसभा प्रत्याशी का टिकट देने के लिए पुरजोर प्रयास किया था, लेकिन राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की वजह से वह टिकट नहीं मिल पाया. ऐसे में लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वसुंधरा राजे ने विधायक हुडला को लोकसभा का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारने के लिए भी भरसक प्रयास किया, लेकिन उसमें भी राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा पूरी तरह रोड़ा साबित हुए.
ये है मुख्य वजह
विधायक ओमप्रकाश हुडला ने निर्दलीय चुनाव जीतकर गहलोत सरकार से मुलाकात की. अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी होने के बावजूद भी विधायक हुडला पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खास मेहरबान हैं. इसके पीछे की मुख्य वजह रही सचिन पायलट खेमे की बगावत.
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हुडला से बंधी उम्मीद!
दरअसल 10 महीने पहले सचिन पायलट खेमे ने जब सत्ता में विस्तार की मांग को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की, तब गहलोत सरकार को ऐसे निर्दलीय विधायकों की सख्त जरूरत थी. ऐसे हालात में गहलोत सरकार को विधायक हुडला से पूरी उम्मीद थी.
एक के साथ दो मुफ्त!
गहलोत सरकार को निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला के साथ दो अन्य और निर्दलीय विधायकों की भी उम्मीद विधायक हुडला से ही थी. ऐसे में विधायक हुडला के पास से कुल 3 मत आने की लालसा में गहलोत सरकार हुडला पर विशेष मेहरबान है. जिसके जिसके चलते जिले में हालात यह बने हुए हैं कि कांग्रेस विधायकों से ज्यादा सत्ता में निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला का दबदबा है.