जयपुर. देश के कद्दावर किसान नेता रहे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के पिता और राजेश पायलट की आज 21वीं पुण्यतिथि है. हाल के दिनों में राजस्थान कांग्रेस में सबुकछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में आज हर ओर चर्चा हो रही है कि सचिन पायलट को पिता से ही सच बोलने के लिए बागी तेवर अपनाने के गुण मिले हैं. वायुसेना के जवान रहे राजेश पायलट के सियासी सफर के शुरुआती दिनों का एक किस्सा बहुत ही चर्चित है.
1980 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जब देश में चुनावी सरगर्मी जोरों पर थी, तो जनता की सेवा करने के लिए अपना राजनीतिक सफर शुरू करने की सोच रहे राजेश पायलट एक दिन सीधे नई दिल्ली के 12, विलिंगटन क्रेसेंट रोड स्थित एक आवास पर पहुंचे. ये आवास उस समय देश की ताकतवर राजनीतिक शख्सियतों में से एक इंदिरा गांधी का था. मुलाकात के शिष्टाचार के बाद बिना किसी लाग-लपेट के उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी को शुरू करने की इच्छा जाहिर की.
वो भी सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री और किसानों के सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह के खिलाफ यूपी के बागपत से लोकसभा चुनाव लड़कर. कुछ सेकेंड की खामोशी के बाद इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि मैं आपको राजनीति में आने की सलाह नहीं दूंगी. आप वायु सेना से इस्तीफा न दें, क्योंकि वहां आपका भविष्य उज्जवल है. फिर क्या था, राजेश पालयट ने तपाक से जवाब दिया. इंदिरा मैडम! एयर फोर्स में रहते हुए मैंने अपने हवाई जहाज से दुश्मनों पर बम बरसाए हैं, तो क्या मैं लाठियों का सामना नहीं कर सकता. इंदिरा गांधी ने उस समय उनसे कोई वादा नहीं किया. फिर आगे क्या हुआ ये तो सभी जानते हैं.
वर्तमान में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, जो कि अपने बुलंद हौसलों की वजह से जाने जाते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए इस समय केंद्रीय राजनीति से इतर राजस्थान कांग्रेस के बेहद ही सक्रिय नेता हैं और पिता से मिले सच बोलने के स्वभाव को अपनाते हुए जब हक की बात होती है, तो खरा सच बोलने से भी गुरेज नहीं करते. राजस्थान में इस वक्त सियासी पारा एक बार फिर से चरम सीमा पर है.
अंदरखाने ही सही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच सियासत का शीत युद्ध जारी है. बीते कुछ दिनों से जिस तरह से कांग्रेस के युवा नेता और राहुल गांधी के बेहद खास माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और हाल में जितिन प्रसाद ने पार्टी का दामन छोड़ा है. उसके बाद से सियासत भी बेहद गर्म हो गई है. क्योंकि कांग्रेस में गांधी परिवार के करीबियों में अब सिर्फ एक युवा चेहरा सचिन पायलट ही बचे हैं.
जानकार बताते हैं कि जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने के बाद से ही अपनी मांगों के पूरा न होने से नाराज सचिन पायलट को भी हर संभव कोशिश करके भाजपा अपने पाले में शामिल करने की जुगत में लगी है. लेकिन फिलहाल तो सचिन पायलट ने सस्पेंस कायम रखा है और आने वाला समय ही बताएगा कि सियासत का ये पायलट किसको मंजिल तक पहुंचाएगा.