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केंद्र और राज्य सरकार बताएं, दस्तावेजोंं में मां का नाम लिखने का क्या प्रावधान है: राजस्थान हाईकोर्ट - Rajasthan High Court order

राजस्थान हाईकोर्ट ने पैन कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों और इनके आवेदन पत्रों में मां के नाम का कॉलम नहीं होने से जुड़े मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि आवेदनकर्ता की मां का नाम लिखने के संबंध में क्या प्रावधान हैं.

Rajasthan High Court
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Published : Mar 10, 2022, 8:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पैन कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों और इनके आवेदन पत्रों में मां के नाम का कॉलम नहीं होने से जुड़े मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि आवेदनकर्ता की मां का नाम लिखने के संबंध में क्या प्रावधान हैं. अदालत ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश इस संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिया.

अदालत ने मामले में नियुक्त किए गए न्याय मित्र दिव्येश माहेश्वरी को भी कहा है कि वे इस मामले में सहयोग करें और बताएं कि इस संबंध में पूर्व में दिए गए आदेशों की मौजूदा स्थिति क्या है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने पैन कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों में मां का नाम नहीं होने से जुड़ी खबर पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. साथ ही मामले को एक्टिंग सीजे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया था.

पढ़ें- Honey trap case hearing in High Court: बहुचर्चित हनी ट्रैप व मॉडल आत्महत्या प्रयास एवं पोर्नोग्राफी प्रकरण, थानाधिकारी को हाईकोर्ट ने किया तलब

सिंगल बैंच ने कहा था कि इंटरनेशनल वुमन्स डे मनाया जा रहा है और इस साल की थीम स्थाई कल के लिए आज लैंगिक समानता रखी गई है. लेकिन फिर भी सरकारी विभाग, स्कूल और नगर निगम इत्यादि महिला को अभिभावक के रूप में मानने में काफी सुस्त हैं. हालात यह हैं कि जहां आवेदन पत्रों में अभिभावक का नाम लिखना होता है, वहां माता के नाम का कॉलम ही नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पैन कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों और इनके आवेदन पत्रों में मां के नाम का कॉलम नहीं होने से जुड़े मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि आवेदनकर्ता की मां का नाम लिखने के संबंध में क्या प्रावधान हैं. अदालत ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश इस संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिया.

अदालत ने मामले में नियुक्त किए गए न्याय मित्र दिव्येश माहेश्वरी को भी कहा है कि वे इस मामले में सहयोग करें और बताएं कि इस संबंध में पूर्व में दिए गए आदेशों की मौजूदा स्थिति क्या है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने पैन कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों में मां का नाम नहीं होने से जुड़ी खबर पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. साथ ही मामले को एक्टिंग सीजे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया था.

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सिंगल बैंच ने कहा था कि इंटरनेशनल वुमन्स डे मनाया जा रहा है और इस साल की थीम स्थाई कल के लिए आज लैंगिक समानता रखी गई है. लेकिन फिर भी सरकारी विभाग, स्कूल और नगर निगम इत्यादि महिला को अभिभावक के रूप में मानने में काफी सुस्त हैं. हालात यह हैं कि जहां आवेदन पत्रों में अभिभावक का नाम लिखना होता है, वहां माता के नाम का कॉलम ही नहीं है.

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