ETV Bharat / city

परम्परागत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए व्यापक चर्चा, जल संरक्षण की दृष्टि से बिल्डिंग बॉयलाज में होगा बदलाव - जलदाय विभाग

प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बावड़ी, कुंंए और तालाब जैसे परम्परागत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए नगरीय विकास तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के स्तर पर व्यापक कार्ययोजना बनाकर सतत रूप से काम किया जाए. यह निर्देश जलदाय मंत्री बीड़ी कल्ला ने शासन सचिवालय में हुई बैठक में दिए.

Water Resources Minister Dr. B. de Kalla, water supply department
जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी कल्ला ने ली मीटिंग
author img

By

Published : Jun 17, 2021, 10:53 PM IST

जयपुर. प्रदेश में जल संरक्षण के लिए किए जा रहे तरीकों और प्रावधानों पर विचार विमर्श करने के लिए जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी कल्ला (Water Resources Minister Dr. B. de Kalla) की अध्यक्षता में गुरुवार को शासन सचिवालय में एक बैठक हुई. बैठक में बताया गया कि जल संरक्षण की दृष्टि से प्रदेश में बिल्डिंग बॉयलाज में बदलाव के लिए विभाग के स्तर पर कार्रवाई की जाएगी.

जलदाय एवं भू-जल मंत्री कल्ला ने प्रदेश में बिल्डिंग बायलॉज के तहत 300 मीटर या अधिक के भूखण्डों पर बनने वाले मकानों में आवश्यक रूप से वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर (Water Harvesting Structure) बनाने के मौजूदा प्रावधानों की समीक्षा कर इस सीमा को घटाने के बारे में अधिकारियों से चर्चा की. औद्योगिक क्षेत्रों में भी वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने के लिए भूखण्ड के साइज के प्रावधानों में संशोधन तथा पानी को रिसाइकिल करने के लिए अधिक ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के निर्देश दिए. डॉ. कल्ला ने कहा कि शहरों एवं गांवों में 200 वर्गमीटर पर बनने वाले मकानों की छतों का पानी घर में संरक्षित किया जाए.

सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से प्रदेश के सभी सरकारी भवनों एवं परिसरों तथा नगरीय विकास एवं आवासन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती विभाग तथा रीको के औद्योगिक क्षेत्रों के सभी शौचालयों में दो बटन की टंकी के प्रावधान को अनिवार्य किया जा सकता है, इसके लिए बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन किए जाए. उन्होंने कहा कि घरों में शौचालय और स्नानघर में गलत तरीकों से जल उपभोग करने से सर्वाधिक पानी का अपव्यय होता है. सभी नागरिकों को अपने घरों में भी जल संरक्षण के लिए उपाय करने चाहिए. गांव एवं शहर के सभी शौचालयों में फ्लश की टंकी डबल बटन वाली लगे तभी पानी की बचत हो सकती है.

पढ़ें- जयपुर: निजीकरण और एनपीएस समेत विभिन्न मांगों को लेकर रेलवे कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी भवनों एवं परिसर में इस्तेमाल किए जाने वाले टॉयलेट्स में डबल बटन की टंकी लगाई जाए. छोटी आवश्यकता के समय छोटा एवं बड़ी आवश्यकता के समय बड़ा बटन प्रयोग कर जल का मितव्ययता से उपयोग किया जाए. इस तरीके से ही राज्य में रोजाना लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है.

कल्ला ने कहा कि प्रदेश में सतही जल स्रोतों से उपलब्ध पानी का अधिकांश हिस्सा खेती के काम आता है. आधुनिक कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान से यह साबित हो चुका है कि कम पानी में अधिक उत्पादन लेकर भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नर्मदा कैनाल क्षेत्र में किसानों द्वारा ड्रिप इरिगेशन को अपनाए जाने से जल की बचत और अधिक उत्पादन की दृष्टि से सार्थक नतीजे सामने आए हैं, अन्य क्षेत्रों में भी इसी पैटर्न पर खेती से जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने बैठक में प्रदेश में सभी सरकारी भवनों में बने रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर को बरसात से पहले दुरूस्त करने के निर्देश दिए. कल्ला ने कहा कि सभी नागरिकों को घरों में पानी की बचत और एक-एक बूंद का सदुपयोग करने के लिए जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जाए.

पढ़ें- वन मंत्री सुखराम बिश्नोई ने किया हाथी गांव का दौरा, हाथियों ने फूल-मालाओं से किया स्वागत

बैठक में नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीना ने कहा कि जल संरक्षण की दृष्टि से प्रदेश में बिल्डिंग बॉयलाज में बदलाव के लिए विभाग के स्तर पर कार्यवाही की जाएगी. जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने बताया कि प्रदेश में जल संरक्षण की दृष्टि से बड़े एवं महत्वपूर्ण बांधों के रिहेबिलिटेशन के लिए वर्ल्ड बैंक से टाइअप करते हुए कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव केके पाठक ने कहा कि विभाग द्वारा नई ग्रामीण कार्य निर्देशिका तैयार कराई जा रही है, इसमें जल की बचत एवं संरक्षण के बारे में आवश्यक बिन्दुओं को समाहित किया जाएगा.

जयपुर. प्रदेश में जल संरक्षण के लिए किए जा रहे तरीकों और प्रावधानों पर विचार विमर्श करने के लिए जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी कल्ला (Water Resources Minister Dr. B. de Kalla) की अध्यक्षता में गुरुवार को शासन सचिवालय में एक बैठक हुई. बैठक में बताया गया कि जल संरक्षण की दृष्टि से प्रदेश में बिल्डिंग बॉयलाज में बदलाव के लिए विभाग के स्तर पर कार्रवाई की जाएगी.

जलदाय एवं भू-जल मंत्री कल्ला ने प्रदेश में बिल्डिंग बायलॉज के तहत 300 मीटर या अधिक के भूखण्डों पर बनने वाले मकानों में आवश्यक रूप से वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर (Water Harvesting Structure) बनाने के मौजूदा प्रावधानों की समीक्षा कर इस सीमा को घटाने के बारे में अधिकारियों से चर्चा की. औद्योगिक क्षेत्रों में भी वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने के लिए भूखण्ड के साइज के प्रावधानों में संशोधन तथा पानी को रिसाइकिल करने के लिए अधिक ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के निर्देश दिए. डॉ. कल्ला ने कहा कि शहरों एवं गांवों में 200 वर्गमीटर पर बनने वाले मकानों की छतों का पानी घर में संरक्षित किया जाए.

सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से प्रदेश के सभी सरकारी भवनों एवं परिसरों तथा नगरीय विकास एवं आवासन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती विभाग तथा रीको के औद्योगिक क्षेत्रों के सभी शौचालयों में दो बटन की टंकी के प्रावधान को अनिवार्य किया जा सकता है, इसके लिए बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन किए जाए. उन्होंने कहा कि घरों में शौचालय और स्नानघर में गलत तरीकों से जल उपभोग करने से सर्वाधिक पानी का अपव्यय होता है. सभी नागरिकों को अपने घरों में भी जल संरक्षण के लिए उपाय करने चाहिए. गांव एवं शहर के सभी शौचालयों में फ्लश की टंकी डबल बटन वाली लगे तभी पानी की बचत हो सकती है.

पढ़ें- जयपुर: निजीकरण और एनपीएस समेत विभिन्न मांगों को लेकर रेलवे कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी भवनों एवं परिसर में इस्तेमाल किए जाने वाले टॉयलेट्स में डबल बटन की टंकी लगाई जाए. छोटी आवश्यकता के समय छोटा एवं बड़ी आवश्यकता के समय बड़ा बटन प्रयोग कर जल का मितव्ययता से उपयोग किया जाए. इस तरीके से ही राज्य में रोजाना लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है.

कल्ला ने कहा कि प्रदेश में सतही जल स्रोतों से उपलब्ध पानी का अधिकांश हिस्सा खेती के काम आता है. आधुनिक कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान से यह साबित हो चुका है कि कम पानी में अधिक उत्पादन लेकर भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नर्मदा कैनाल क्षेत्र में किसानों द्वारा ड्रिप इरिगेशन को अपनाए जाने से जल की बचत और अधिक उत्पादन की दृष्टि से सार्थक नतीजे सामने आए हैं, अन्य क्षेत्रों में भी इसी पैटर्न पर खेती से जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने बैठक में प्रदेश में सभी सरकारी भवनों में बने रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर को बरसात से पहले दुरूस्त करने के निर्देश दिए. कल्ला ने कहा कि सभी नागरिकों को घरों में पानी की बचत और एक-एक बूंद का सदुपयोग करने के लिए जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जाए.

पढ़ें- वन मंत्री सुखराम बिश्नोई ने किया हाथी गांव का दौरा, हाथियों ने फूल-मालाओं से किया स्वागत

बैठक में नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीना ने कहा कि जल संरक्षण की दृष्टि से प्रदेश में बिल्डिंग बॉयलाज में बदलाव के लिए विभाग के स्तर पर कार्यवाही की जाएगी. जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने बताया कि प्रदेश में जल संरक्षण की दृष्टि से बड़े एवं महत्वपूर्ण बांधों के रिहेबिलिटेशन के लिए वर्ल्ड बैंक से टाइअप करते हुए कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव केके पाठक ने कहा कि विभाग द्वारा नई ग्रामीण कार्य निर्देशिका तैयार कराई जा रही है, इसमें जल की बचत एवं संरक्षण के बारे में आवश्यक बिन्दुओं को समाहित किया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.