ETV Bharat / city

जयपुर: प्रदेश में शिकारियों की गतिविधियां तेज होने से वन्यजीवों पर खतरा

वन्यजीव प्रेमियों ने सरकार और वन विभाग से मांग करते हुए कहा कि नाहरगढ़ अभ्यारण को सुरक्षित किया जाए. साथ ही वन्यजीवों के लिए जंगल में ही खाने-पीने की व्यवस्था की जाए.

जयपुर न्यूज, राजस्थान न्यूज, jaipur news, rajasthan news
गर्मी के चलते प्रदेश में शिकारियों की गतिविधियां हो रही तेज, वन्यजीवों के शिकार का खतरा
author img

By

Published : Jul 19, 2020, 1:55 AM IST

जयपुर. तेज गर्मी में वन्यजीवों के शिकार करने वाले शिकारियों की गतिविधियां भी तेज हो जाती है. गर्मी में वन्य जीव भोजन -पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकलते हैं. ऐसे में शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं. वन्यजीव प्रेमियों की माने तो शिकारी जंगलों के आसपास के क्षेत्र में वाटर पॉइंट पर नजरे लगाए बैठे रहते हैं.

ताकि जैसे ही कोई वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर पहुंचे तो उसका शिकार कर सके. वन्यजीव प्रेमी और पीपल फॉर एनिमल्स के संयोजक सूरज सोनी ने बताया कि गर्मी के मौसम में वन्यजीव पानी और भोजन की तलाश में जंगलों से निकलकर नाहरगढ़ के बाहरी क्षेत्र और अन्य आबादी क्षेत्रों की तरफ आ जाते हैं.

गर्मी के चलते प्रदेश में शिकारियों की गतिविधियां हो रही तेज, वन्यजीवों के शिकार का खतरा

नाहरगढ़ और अचरोल के आसपास घने जंगलों से वन्यजीव बाहर निकल रहे हैं. वन्यजीवों के विचरण को देखते हुए इन दिनों शिकारियों की गतिविधियां भी बढ़ी हुई है. शिकारी वाटर पॉइंट पर ज्यादा नजर रखते हैं. क्योंकि वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर होल्स पर जरूर पहुंचते हैं और जब वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर पहुंचते हैं. तो शिकारी उनका शिकार कर लेते हैं. राजधानी में इन दिनों गर्मी के मौसम में खरगोश, तीतर, सेही, मोर समेत अन्य वन्यजीवों का शिकार हो रहा है.

बीते दिनों मोरों के शिकार के मामले भी सामने आये थे. जरख की जोड़ियां भी अचरोल से होते हुए नाहरगढ़ से शिश्यावास गांव की तरफ आ जाते हैं. शिकारियों की आवाजाही के चलते वन्यजीव रास्ता भटक कर आबादी क्षेत्रों की तरफ आ जाते हैं. इससे वन्य जीव के जान को भी खतरा रहता है और आमजन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें: महेश जोशी ने पेश किया जवाब, दाखिल याचिका को बताया प्रीमेच्योर

वन्यजीवों के लिए मानवीय हस्तक्षेप मुसीबत बना हुआ है. वन्यजीव प्रेमियों ने सरकार और वन विभाग से मांग करते हुए कहा कि नाहरगढ़ अभ्यारण को सुरक्षित किया जाए. ताकि वन्यजीवों के लिए जंगल में ही खाने-पीने की व्यवस्था की जाए. वन्यजीवों को जंगल से बाहर आने की आवश्यकता न पडे.

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों रणथंबोर में भी शिकारियों की संदिग्ध गतिविधियां सामने आई थी. इस मौसम में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो जाती हैं. प्रदेश के रणथंबोर, सरिस्का, झालाना, नाहरगढ़ समेत तमाम वन्यजीव अभयारण्यों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो रही है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सरकार को ज्यादा से ज्यादा मुस्तैदी दिखानी पड़ेगी और सरकार को संवेदनशील होने की आवश्यकता है.

जयपुर. तेज गर्मी में वन्यजीवों के शिकार करने वाले शिकारियों की गतिविधियां भी तेज हो जाती है. गर्मी में वन्य जीव भोजन -पानी की तलाश में जंगलों से बाहर निकलते हैं. ऐसे में शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं. वन्यजीव प्रेमियों की माने तो शिकारी जंगलों के आसपास के क्षेत्र में वाटर पॉइंट पर नजरे लगाए बैठे रहते हैं.

ताकि जैसे ही कोई वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर पहुंचे तो उसका शिकार कर सके. वन्यजीव प्रेमी और पीपल फॉर एनिमल्स के संयोजक सूरज सोनी ने बताया कि गर्मी के मौसम में वन्यजीव पानी और भोजन की तलाश में जंगलों से निकलकर नाहरगढ़ के बाहरी क्षेत्र और अन्य आबादी क्षेत्रों की तरफ आ जाते हैं.

गर्मी के चलते प्रदेश में शिकारियों की गतिविधियां हो रही तेज, वन्यजीवों के शिकार का खतरा

नाहरगढ़ और अचरोल के आसपास घने जंगलों से वन्यजीव बाहर निकल रहे हैं. वन्यजीवों के विचरण को देखते हुए इन दिनों शिकारियों की गतिविधियां भी बढ़ी हुई है. शिकारी वाटर पॉइंट पर ज्यादा नजर रखते हैं. क्योंकि वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर होल्स पर जरूर पहुंचते हैं और जब वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर पहुंचते हैं. तो शिकारी उनका शिकार कर लेते हैं. राजधानी में इन दिनों गर्मी के मौसम में खरगोश, तीतर, सेही, मोर समेत अन्य वन्यजीवों का शिकार हो रहा है.

बीते दिनों मोरों के शिकार के मामले भी सामने आये थे. जरख की जोड़ियां भी अचरोल से होते हुए नाहरगढ़ से शिश्यावास गांव की तरफ आ जाते हैं. शिकारियों की आवाजाही के चलते वन्यजीव रास्ता भटक कर आबादी क्षेत्रों की तरफ आ जाते हैं. इससे वन्य जीव के जान को भी खतरा रहता है और आमजन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें: महेश जोशी ने पेश किया जवाब, दाखिल याचिका को बताया प्रीमेच्योर

वन्यजीवों के लिए मानवीय हस्तक्षेप मुसीबत बना हुआ है. वन्यजीव प्रेमियों ने सरकार और वन विभाग से मांग करते हुए कहा कि नाहरगढ़ अभ्यारण को सुरक्षित किया जाए. ताकि वन्यजीवों के लिए जंगल में ही खाने-पीने की व्यवस्था की जाए. वन्यजीवों को जंगल से बाहर आने की आवश्यकता न पडे.

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों रणथंबोर में भी शिकारियों की संदिग्ध गतिविधियां सामने आई थी. इस मौसम में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो जाती हैं. प्रदेश के रणथंबोर, सरिस्का, झालाना, नाहरगढ़ समेत तमाम वन्यजीव अभयारण्यों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो रही है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सरकार को ज्यादा से ज्यादा मुस्तैदी दिखानी पड़ेगी और सरकार को संवेदनशील होने की आवश्यकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.