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जयपुर में वॉर रूम बना जनता के लिए मददगार, सूचना मिलते ही पहुंचाई जा रही तुरंत सहायता

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Published : Apr 4, 2020, 11:31 AM IST

कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए चल रहे लाॅकडाउन में जयपुर जिला प्रशासन का वॉर रूम जनता के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है. इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने का मिला, जब सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने नेत्रहीन और उड़ीसा के 80 बच्चों को मदद पहुंचाई गई.

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समस्याओं के समाधान का केन्द्र बना जिला प्रशासन का वॉर रूम

जयपुर. कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए चल रहे लाॅकडाउन में जयपुर जिला प्रशासन का वॉर रूम जनता के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है. यहां पर शिकायत पहुंचने के बाद उनपर तुरंत एक्शन हो रहा है. वॉर रूम में लगातार बिजली, पानी और खाद्य से जुडी समस्याएं मिल रही हैं, जिनके समाधान करने के लिए वॉर रूम 24 घण्टे 16 जिला स्तरीय अधिकारियों की निगरानी में के साथ काम कर रहा है. इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने का मिला, जब सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने नेत्रहीन और उड़ीसा के 80 बच्चों को मदद पहुंचाई.

जयपुर में वॉर रूम बना जनता के लिए मददगार

दरअसल, विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र में डाॅ. गजानन्द अग्रवाल विकलांग बालिका प्रशिक्षण केन्द्र चलाते है. वे इस केंद्र के निदेशक है. इस प्रशिक्षण केंद्र में 10 से ज्यादा नेत्रहीन बच्चे हैं. अग्रवाल खुद भी दृष्टि बाधित हैं. उन्होंने बताया कि, पहले भी दानदाताओं के सहयोग से केन्द्र की व्यवस्था चल रही थी, लेकिन लाॅकडाउन होने के बाद राशन खत्म हो गया. हमने किसी तरह जिला प्रशासन के वाॅर रूम तक ये बात पहुंचाई तो, विश्वास नहीं हुआ कि आधे घंटे में जिला कलक्ट्रेट से फोन आ गया और उसके आधे घंटे में वाॅर रूम के प्रभारी अतिरिक्त जिला कलक्टर चतुर्थ अशोक कुमार के निर्देश पर एसडीएम, उत्तर ओम प्रभा खुद तैयार भोजन के साथ यहां पहुंच गए.

उड़ीसा के 80 बच्चों को भी दिया सूखा राशन-

अतिरिक्त जिला कलक्टर चतुर्थ अशोक कुमार ने बताया कि, वाॅर रूम पर कई स्रोत से जानकारी आ रही है. ऐसे ही एक फोन काॅल से पता चला कि, उड़ीसा के बालेसर, भुवनेश्वर और कई जिलों के करीब 80 बच्चों के पास खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. ये सभी लोग यहां राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से बीएड करने आए थे, लेकिन लाॅकडाउन के कारण काॅलेज बंद है और बच्चे आस-पास के घरों में अलग-अलग रहते हैं. वो सभी मध्यम और कम आयवर्ग से आते हैं और लाॅकडाउन के कारण उनके घर से पैसा नहीं आ पा रहा. ऐसे में इसकी जानकारी वाॅर रूम में मिलते ही गुरूवार रात को उन्हें तैयार खाना और शुक्रवार दिन में सूखा राशन उपलब्ध कराया गया. वहीं जिन बच्चों को मसाले तेज लगे, उनको वहीं से ब्रेड खरीदकर दी गई.

अशोक कुमार ने बताया कि, जयपुर में जो भी व्यक्ति भूखा है, राज्य सरकार और जिला प्रशासन का संकल्प है कि वो भूखा नहीं रहेगा. वाॅर रूम इस लक्ष्य में एक सार्थक माध्यम के रूप में काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इण्डिया गेट, सीतापुरा के दिहाड़ी मजदूरों के बारे में देर रात वॉर रूम में सूचना प्राप्त होते ही जिला प्रशासन ने उन्हें भी भोजन उपलब्ध कराया.

जयपुर. कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए चल रहे लाॅकडाउन में जयपुर जिला प्रशासन का वॉर रूम जनता के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है. यहां पर शिकायत पहुंचने के बाद उनपर तुरंत एक्शन हो रहा है. वॉर रूम में लगातार बिजली, पानी और खाद्य से जुडी समस्याएं मिल रही हैं, जिनके समाधान करने के लिए वॉर रूम 24 घण्टे 16 जिला स्तरीय अधिकारियों की निगरानी में के साथ काम कर रहा है. इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने का मिला, जब सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने नेत्रहीन और उड़ीसा के 80 बच्चों को मदद पहुंचाई.

जयपुर में वॉर रूम बना जनता के लिए मददगार

दरअसल, विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र में डाॅ. गजानन्द अग्रवाल विकलांग बालिका प्रशिक्षण केन्द्र चलाते है. वे इस केंद्र के निदेशक है. इस प्रशिक्षण केंद्र में 10 से ज्यादा नेत्रहीन बच्चे हैं. अग्रवाल खुद भी दृष्टि बाधित हैं. उन्होंने बताया कि, पहले भी दानदाताओं के सहयोग से केन्द्र की व्यवस्था चल रही थी, लेकिन लाॅकडाउन होने के बाद राशन खत्म हो गया. हमने किसी तरह जिला प्रशासन के वाॅर रूम तक ये बात पहुंचाई तो, विश्वास नहीं हुआ कि आधे घंटे में जिला कलक्ट्रेट से फोन आ गया और उसके आधे घंटे में वाॅर रूम के प्रभारी अतिरिक्त जिला कलक्टर चतुर्थ अशोक कुमार के निर्देश पर एसडीएम, उत्तर ओम प्रभा खुद तैयार भोजन के साथ यहां पहुंच गए.

उड़ीसा के 80 बच्चों को भी दिया सूखा राशन-

अतिरिक्त जिला कलक्टर चतुर्थ अशोक कुमार ने बताया कि, वाॅर रूम पर कई स्रोत से जानकारी आ रही है. ऐसे ही एक फोन काॅल से पता चला कि, उड़ीसा के बालेसर, भुवनेश्वर और कई जिलों के करीब 80 बच्चों के पास खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. ये सभी लोग यहां राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से बीएड करने आए थे, लेकिन लाॅकडाउन के कारण काॅलेज बंद है और बच्चे आस-पास के घरों में अलग-अलग रहते हैं. वो सभी मध्यम और कम आयवर्ग से आते हैं और लाॅकडाउन के कारण उनके घर से पैसा नहीं आ पा रहा. ऐसे में इसकी जानकारी वाॅर रूम में मिलते ही गुरूवार रात को उन्हें तैयार खाना और शुक्रवार दिन में सूखा राशन उपलब्ध कराया गया. वहीं जिन बच्चों को मसाले तेज लगे, उनको वहीं से ब्रेड खरीदकर दी गई.

अशोक कुमार ने बताया कि, जयपुर में जो भी व्यक्ति भूखा है, राज्य सरकार और जिला प्रशासन का संकल्प है कि वो भूखा नहीं रहेगा. वाॅर रूम इस लक्ष्य में एक सार्थक माध्यम के रूप में काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इण्डिया गेट, सीतापुरा के दिहाड़ी मजदूरों के बारे में देर रात वॉर रूम में सूचना प्राप्त होते ही जिला प्रशासन ने उन्हें भी भोजन उपलब्ध कराया.

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