जयपुर. हाथरस में दलित युवती के साथ हुए बलात्कार के मामले ने देशभर में सियासी उबाल ला दिया है. प्रदेश में भी विपक्ष में बैठी भाजपा अब राजस्थान में बढ़ रहे दुष्कर्म और अपराध के मामलों को लेकर सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक प्रदेश सरकार को घेर रही है. लेकिन एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे संगठन के इन कार्यक्रमों और अभियानों से दूर ही नजर आई.
रविवार को डिजिटल अभियान से बनाई दूरी
रविवार को प्रदेश भाजपा ने राजस्थान में बढ़ते अपराधों दुष्कर्म के मामलों को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हल्ला बोला अभियान की शुरूआत की. "क्राइम कैपिटल राजस्थान" ट्विटर पर यह अभियान ट्रेड भी किया और इसमें पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के साथ ही राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्री प्रदेश के पदाधिकारी विधायक सांसद सहित हजारों कार्यकर्ता और नेता जुड़े और ट्विटर पर उन्होंने पार्टी के इस डिजिटल अभियान का समर्थन करते हुए इसे आगे भी बढ़ाया.
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लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्विटर पर एक भी पोस्ट इस अभियान के समर्थन में नहीं किया और ना ही पार्टी के टि्वटर हैंडल पर डाले गए किसी भी पोस्ट को रिट्वीट किया. मतलब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सरकार के खिलाफ चले डिजिटल अभियान से वसुंधरा राजे दूर रही.
सोमवार को हल्ला बोल कार्यक्रम में नजर नहीं आई राजे
प्रदेश नेतृत्व ने सोमवार को सभी जिला मुख्यालय पर प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कार्यक्रम तय किया. जयपुर में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में भाजपा मुख्यालय से सिविल लाइंस फाटक तक पैदल मार्च कर प्रदर्शन किया गया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया. लेकिन इस कार्यक्रम से भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दूरी साफ तौर पर नजर आई, क्योंकि राजे इस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुई.
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मतलब प्रदेश में भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जो वसुंधरा राजे पार्टी प्रदेश संगठन से जुड़े अभियानों कार्यक्रमों से दूर रहे. इसके पहले भी प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर कई कार्यक्रम हुए. इसमें वसुंधरा राजे की दूरी देखी गई और अब जब राजे को पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वापस से मनोनीत कर दिया है, तब भी यह दूरी लगातार जारी है. मतलब साफ है कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच अब भी सब कुछ ठीक नहीं हो पाया है.