जयपुर. वीर सावरकर (Veer Savarkar) के हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra) का समर्थन करने वाली बात को लेकर दिए शिक्षा मंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) के बयान पर भाजपा नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रतिक्रिया दी है.
देवनानी (Vasudev Devnani) ने कहा कि अधकचरा ज्ञान अहितकारी होता है. वीर सावरकर का हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की कल्पना राष्ट्रविरोधियों के वंशजों की संकुचित सोच से बाहर का मामला है. देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा कि सत्ता की लालसा के चलते अंग्रेजों के तलवे चाटने वाली कांग्रेस (Congress) के नेताओं से इससे ज्यादा और कुछ उम्मीद भी नहीं की जा सकती.
देवनानी ने कहा कि बयान देने से पहले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा उच्चतम न्यायालय (Supreme court) की ओर से दी गई हिन्दुत्व संबंधित परिभाषा ही पढ़ लेते तो ऐसा नहीं बोलते. न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि हिन्दू, हिन्दुत्व, हिन्दुइज्म को संक्षिप्त अर्थों में परिभाषित कर किन्हीं मजहबी संकीर्ण सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता. इसे भारतीय संस्कृति (Indian tradition) और परंपरा से अलग नहीं किया जा सकता. देवनानी ने कहा कि न्यायालय की परिभाषा यह दर्शाती है कि हिन्दुत्व शब्द इस उपमहाद्वीप के लोगों की जीवन पद्धति से संबंधित है. इसे कट्टरपंथी मजहबी संकीर्णता के समान नहीं कहा जा सकता.
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उन्होंने कहा कि सावरकर का हिन्दुत्व एवं हिंदू राष्ट्र सबके लिए था. वो पाकिस्तान (Pakistan) की तरह जेहादी और सउदी अरब की तरह वहाबी नहीं था. हिन्दू राष्ट्र का विचार राष्ट्रभक्त तैयार करता है जबकि मुस्लिम राष्ट्र में आतंकवादी तैयार होते हैं. यह बात शायद कांग्रेसी नेताओं को या तो समझ में नहीं आती या फिर वे राजनीति की रोटियां सेंकने के चलते इसको देखते हुए भी नासमझ बने हुए हैं. न्यायलय द्वारा हिन्दुत्व को परिभाषित करने के बाद भी अधकचरा ज्ञान के चलते कांग्रेसी नेता अपने स्वार्थों के चलते हिन्दुत्व और हिन्दू राष्ट्र के विचार को जनता के सामने गलत तरह से परोसने रहे हैं जिसका खमियाजा उन्हें भुगतना भी पड़ रहा है.
इंदिरा गांधी ने जारी किया सावरकर पर डाक टिकट
उन्होंने कहा कि सावरकर ही ही थे जिन्होंने जेल से रिहाई के बाद अंग्रेजों को एक के बाद कई प्रकार से चोटें दीं. हिंदुओं में जाति-पाति को तोड़ने के लिए रत्नागिरी में पतित पावन मंदिर की स्थापना की. जहां एक सफाईकर्मी के मुख से गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. कम्युनिस्ट देशवासियों को बांटते रहे और वीर सावरकर उन्हें जोड़ते रहे. शर्म की बात तो यह रही कि वीरता के चलते खुद इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने डाक टिकट जारी कर महान वीर सावरकरजी का सम्मान किया, जबकि आज कांग्रेसी नेता अनर्गल बयान देकर वीर सावरकरजी का अपमान कर रहे हैं.
देवनानी ने यह भी कहा कि कांग्रेसी हमेशा से ही महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के गौरवमयी इतिहास के सूरज को झुठलाते आए हैं. लेकिन सत्य सत्य होता है. एक दिन स्वीकार करना ही होता है. देश की आजादी में सावरकर की भूमिका थी और आजादी से पहले हिन्दू राष्ट्र की मांग भी जायज थी. यह बयान देकर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने यह साबित कर ही दिया.
क्या कहा था डोटासरा ने
डोटासरा ने कहा था कि जब स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था तो आरएसएस (RSS) की उसमें क्या भूमिका थी सबको पता है. स्वतंत्रता की लड़ाई जब कांग्रेस के महान नेता लड़ रहे थे उस समय आरएसएस के एक दो लोग थे जो दिखाई देते थे. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा में विश्वास करने वाले भारत के नौजवान जो देश पर मर मिटना चाहते थे उन्ही के चलते देश आजाद हुआ. हम मना नहीं करते कि सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं हुए थे. सावरकर जो हिंदू राष्ट्र की बात करते थे वह आजादी से पहले कोई गुनाह नहीं था, क्योंकि उस वक्त हमारा देश आजाद नहीं हुआ था. हमारा संविधान लागू नहीं हुआ था.