जयपुर. कोटा के रहने वाले एक वकील मोहम्मद फैसल ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया हैं. वकील का कहना है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे बेवजह 14 दिन तक जेल में रखा और उसके साथ मारपीट की है. वकील का आरोप है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के कारण उसके बचाव करने का अधिकार और मुवक्किल के बचाव का अधिकार खत्म हो गए. मोहम्मद फैसल ने सोमवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी.
वकील मोहम्मद फैसल ने बताया कि वह बार एसोसिएशन कोटा का सदस्य है और सेशन कोर्ट में प्रैक्टिस करता है. साथ ही मानवाधिकार केस में लोगों की कानूनी मदद और पैरवी भी करता है. इसके साथ ही उसने बताया कि एनसीएचआरओ (नेशनल कांफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन) का दिल्ली चैप्टर का सदस्य है.
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वकील मोहम्मद फैसल ने बताया कि वह मानवाधिकार संगठन के काम से उत्तर प्रदेश गया था. संगठन को सूचना मिली थी कि यूपी के कैराना जिला शामली में बड़े पैमाने पर अवैध गिरफ्तारियां हो रही है. वह 19 दिसंबर को दोपहर में कैराना कोर्ट पहुंचा और पीड़ितों और स्थानीय एडवोकेट से मुलाकात कर जानकारी ली. कुछ लोगों को 18 दिसंबर को रात में पुलिस ने उठा लिया था और शांति भंग का चालान किया था और सभी लोगों को कैराना से मुजफ्फरनगर जेल भेज दिया गया.
इसके साथ ही उसने बताया कि 20 दिसंबर को एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया, लेकिन एसडीएम ने कोई सुनवाई नहीं की. फिर 21 दिसंबर को भी चुनाव कार्य होने के कारण न्यायिक कार्य नहीं हुआ, जिसके बाद वह दिल्ली चला गया. वकील ने कहा कि 23 दिसंबर को दिल्ली से वापस कैराना कोर्ट पहुंचा तो वहां स्थानीय एडवोकेट के साथ एसडीएम कोर्ट पहुंचा तो हमने कानूनी कार्रवाई शुरू की.
वकील ने कहा कि शाम को 5 बजे कोर्ट में अचानक सिविल ड्रेस में एसओजी की टीम पहुंची और मेरे साथ मेरे साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया. मैंने इसका विरोध भी किया, लेकिन एसओजी ने कहा कि तहकीकात करके छोड़ देंगे. इसके बाद कोतवाली थाना कैराना में ले जाकर उन्होंने पूछताछ की और जब मैंने अपने वकील का कार्ड दिखाया तो कहा कि कार्ड फर्जी है, तुम वकील नहीं हो. तुम वेस्ट बंगाल के रहने वाले हो और दंगा फैलाने आए हो.
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वकील ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान गालियां दी और मेरे साथ मारपीट की. साथ ही पट्टे से भी मारा और पीठ पर करंट भी लगाया. इसके साथ ही कहा कि 1 घंटे तक मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से टॉर्चर किया गया. बाद में फर्जी मुकदमें में गिरफ्तार दिखाकर 24 दिसंबर को कोर्ट में पेश किया गया. मैंने जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया, लेकिन उस पर सुनवाई 1 जनवरी को हुई.
इसके बाद फिर मुझे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया और मुझे अखबार में भी एक खलनायक रूप में पेश किया गया. फिर 2 जनवरी को मेरा जमानत प्रार्थना स्वीकार कर लिया गया, जिसके बाद 7 जनवरी को मेरी जेल से रिहाई हुई. फैसल ने आरोप लगाया कि 14 दिन उसे बिना वजह के जेल में रहना पड़ा. इस अवसर पर समाजसेवी कविता श्रीवास्तव, चैतन्या खंडेलवाल, एडवोकेट शाहिद हसन आदि मौजूद थे.