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जयपुर में उर्दू शिक्षकों का प्रदर्शन, तृतीय भाषा के रूप में उर्दू को खत्म करने का लगाया आरोप

राजस्थान उर्दू संघ ने बुधवार को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. शिक्षा विभाग की ओर से तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाने वाली उर्दू, सिंधी, पंजाबी और गुजराती भाषा को खत्म करने के आदेश को वापस लेने की मांग की गई. इस दौरान मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

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जयपुर में उर्दू शिक्षकों का प्रदर्शन
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Published : Sep 9, 2020, 10:31 PM IST

जयपुर. शिक्षा विभाग की ओर से तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाने वाली उर्दू, सिंधी, पंजाबी और गुजराती भाषा को खत्म करने के आदेश को वापस लेने के लिए राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की ओर से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर बुधवार को प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

राजस्थान उर्दू संघ ने प्रदेश सरकार पर उर्दू को खत्म करने का आरोप लगाया

राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की ओर से हुए इस प्रदर्शन में लोगों ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों ने अपने हाथों में उर्दू में नारे लिखी हुई तख्तियां और बैनर लेकर प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार उर्दू को लेकर भेदभाव कर रही है और इसे समाप्त करने के लिए साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है.

पढ़ें: बड़ी खबर : RLP के दोनों विधायकों की बढ़ी मुश्किलें, जमानत अर्जी खारिज

प्रदर्शन के बाद राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया गया. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित कायमखानी ने कहा कि जिस तरह से उर्दू को लेकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संस्कृत के अलावा सभी तृतीय भाषाओं को खत्म करना सरकार का छुपा हुआ एजेंडा है. उन्होंने मांग की कि 2 सितंबर को जो आदेश निकाला गया था उसको सरकार वापस ले.

डोटासरा के उस बयान को कायमखानी ने बौखलाहट बताया है जिसमें डोटासरा ने कहा था कि सरकार उर्दू भाषा को समाप्त नहीं कर रही है. अमीन कायमखानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने शिक्षा मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि वे किसी भी मंच पर आ जाएं और खुद का प्रेजेंटेशन दें. हकीकत में सरकार ने तृतीय भाषा के रूप में उर्दू, सिंधी, पंजाबी, गुजराती को खत्म करने का फैसला ले लिया है.

जयपुर. शिक्षा विभाग की ओर से तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाने वाली उर्दू, सिंधी, पंजाबी और गुजराती भाषा को खत्म करने के आदेश को वापस लेने के लिए राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की ओर से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर बुधवार को प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

राजस्थान उर्दू संघ ने प्रदेश सरकार पर उर्दू को खत्म करने का आरोप लगाया

राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की ओर से हुए इस प्रदर्शन में लोगों ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों ने अपने हाथों में उर्दू में नारे लिखी हुई तख्तियां और बैनर लेकर प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार उर्दू को लेकर भेदभाव कर रही है और इसे समाप्त करने के लिए साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है.

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प्रदर्शन के बाद राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया गया. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित कायमखानी ने कहा कि जिस तरह से उर्दू को लेकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संस्कृत के अलावा सभी तृतीय भाषाओं को खत्म करना सरकार का छुपा हुआ एजेंडा है. उन्होंने मांग की कि 2 सितंबर को जो आदेश निकाला गया था उसको सरकार वापस ले.

डोटासरा के उस बयान को कायमखानी ने बौखलाहट बताया है जिसमें डोटासरा ने कहा था कि सरकार उर्दू भाषा को समाप्त नहीं कर रही है. अमीन कायमखानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने शिक्षा मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि वे किसी भी मंच पर आ जाएं और खुद का प्रेजेंटेशन दें. हकीकत में सरकार ने तृतीय भाषा के रूप में उर्दू, सिंधी, पंजाबी, गुजराती को खत्म करने का फैसला ले लिया है.

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