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निकायों में खर्च पर सरकारी दखल : प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के बाद यूडीएच मंत्री की तकनीकी स्वीकृति का आदेश नहीं आया रास

राजस्थान के 213 नगर निकायों में 5 करोड़ से अधिक राशि के कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति (technical approval of funds in municipal bodies) जारी करने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री की स्वीकृति लेने की अनिवार्यता के आदेश प्रदेश सरकार ने जारी किये. इस पर हंगामा हो गया है. जयपुर ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने इसे अलोकतांत्रिक बताया है.

UDH Minister Dhariwal order, Jaipur news
निकायों में खर्च पर सरकारी दखल
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Published : Dec 17, 2021, 8:20 PM IST

जयपुर. ग्रेटर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट (Statement of Jaipur Greater Municipal Corporation Deputy Mayor Puneet Karnavat ) ने प्रदेश के 213 नगर निकायों में 5 करोड़ और उससे अधिक के कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी करने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री की स्वीकृति लेने की अनिवार्यता के आदेश को अलोकतांत्रिक बताया है.

कर्णावट ने कहा है कि राज्य सरकार निरंतर दखलन्दाजी (Government intervention in Municipal Corporation) करके स्थानीय निकायों को पंगु बनाने का प्रयास कर रही है. स्थानीय निकायों के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों का हनन करके सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है. इससे निकायों के गठन का उद्देश्य ही खतरे में पड़ गया है. पुनीत कर्णावट ने कहा कि स्थानीय निकाय जनता से चुनकर आए प्रतिनिधियों की एक स्वतंत्र स्वायत्तशासी संस्था है.

उन्होंने कहा कि जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप जनहित के मुद्दों पर चर्चा के बाद बोर्ड की ओर से प्रशासनिक और वित्तिय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति मिलने पर वार्डों में विकास कार्य किए जाते हैं. लेकिन राज्य सरकार के आदेश के बाद बोर्ड की ओर से जारी स्वीकृत कार्यों की क्रियान्विति से पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा. इससे प्रक्रिया में ज्यादा समय तो लगेगा ही साथ ही नगरीय निकायों का औचित्य ही गौण हो जाएगा.

पढ़ें- JDA scheme inaurgauration : JDA की करोड़ों की योजनाओं का सीएम करेंगे लोकार्पण, 24 ऑक्सीजन प्लांट भी जनता को करेंगे सुपुर्द

पुनीत कर्णावट ने कहा कि सरकार के बेवजह दखल से प्रक्रिया में अत्यधिक समय खर्च होगा. जिसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ेगा. उन्होंने अपील की कि राज्य सरकार को स्थानीय निकायों के अधिकारों में अनावश्यक दखल अंदाजी तुरंत बंद करनी चाहिए.

पहले भी हो चुका है विरोध

बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के तकनीकी स्वीकृति जारी करने के अधिकार पर राइडर लगा दिया है. निकायों को 5 करोड़ और इससे अधिक कार्य की तकनीकी स्वीकृति जारी करने के पहले मंत्री से स्वीकृति लेनी होगी. इसमें नगरीय निकायों के बोर्ड की ओर से पारित प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति प्रक्रिया जोड़ी गई है. जानकारी के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भी इसी तरह के आदेश निकाले गए थे, तब भी तब भी इसका जमकर विरोध हुआ था.

जयपुर. ग्रेटर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट (Statement of Jaipur Greater Municipal Corporation Deputy Mayor Puneet Karnavat ) ने प्रदेश के 213 नगर निकायों में 5 करोड़ और उससे अधिक के कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी करने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री की स्वीकृति लेने की अनिवार्यता के आदेश को अलोकतांत्रिक बताया है.

कर्णावट ने कहा है कि राज्य सरकार निरंतर दखलन्दाजी (Government intervention in Municipal Corporation) करके स्थानीय निकायों को पंगु बनाने का प्रयास कर रही है. स्थानीय निकायों के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों का हनन करके सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है. इससे निकायों के गठन का उद्देश्य ही खतरे में पड़ गया है. पुनीत कर्णावट ने कहा कि स्थानीय निकाय जनता से चुनकर आए प्रतिनिधियों की एक स्वतंत्र स्वायत्तशासी संस्था है.

उन्होंने कहा कि जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप जनहित के मुद्दों पर चर्चा के बाद बोर्ड की ओर से प्रशासनिक और वित्तिय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति मिलने पर वार्डों में विकास कार्य किए जाते हैं. लेकिन राज्य सरकार के आदेश के बाद बोर्ड की ओर से जारी स्वीकृत कार्यों की क्रियान्विति से पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा. इससे प्रक्रिया में ज्यादा समय तो लगेगा ही साथ ही नगरीय निकायों का औचित्य ही गौण हो जाएगा.

पढ़ें- JDA scheme inaurgauration : JDA की करोड़ों की योजनाओं का सीएम करेंगे लोकार्पण, 24 ऑक्सीजन प्लांट भी जनता को करेंगे सुपुर्द

पुनीत कर्णावट ने कहा कि सरकार के बेवजह दखल से प्रक्रिया में अत्यधिक समय खर्च होगा. जिसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ेगा. उन्होंने अपील की कि राज्य सरकार को स्थानीय निकायों के अधिकारों में अनावश्यक दखल अंदाजी तुरंत बंद करनी चाहिए.

पहले भी हो चुका है विरोध

बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के तकनीकी स्वीकृति जारी करने के अधिकार पर राइडर लगा दिया है. निकायों को 5 करोड़ और इससे अधिक कार्य की तकनीकी स्वीकृति जारी करने के पहले मंत्री से स्वीकृति लेनी होगी. इसमें नगरीय निकायों के बोर्ड की ओर से पारित प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति प्रक्रिया जोड़ी गई है. जानकारी के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भी इसी तरह के आदेश निकाले गए थे, तब भी तब भी इसका जमकर विरोध हुआ था.

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