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यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़ा अर्जुन मुंडा से 40 लाख ठगने वाला रंजन कुमार - लखनऊ खबर

यूपी एसटीएफ ने खुद को उच्चाधिकारी बताकर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के सरगना रंजन कुमार को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है. एसटीएफ ने रंजन कुमार को झारखंड से गिरफ्तार किया है.

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यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़ा अर्जुन मुंडा से 40 लाख ठगने वाला रंजन कुमार
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Published : Jun 29, 2020, 11:03 PM IST

लखनऊ: 2018 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बनकर मंत्री अर्जुन मुंडा से 40 लाख की ठगी करने वाले शातिर रंजन कुमार को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है. शातिर ठग पर इस मामले में रांची के लालपुर जनपद में मुकदमा भी दर्ज किया गया था. एसटीएफ ने रंजन कुमार को झारखंड से गिरफ्तार किया है. रंजन कुमार के गिरोह के लोग खुद को उच्चाधिकारी बताकर लोगों से ठगी किया करते थे.

हाल ही में रंजन कुमार ने उत्तर प्रदेश शासन का उच्च अधिकारी बनकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लखनऊ के प्रोजेक्ट मैनेजर से फोन करके 8 लाख रुपये की डिमांड की थी, जिसके बाद प्रोजेक्ट मैनेजर राजमणि की ओर से लखनऊ के थाना सुशांत गोल्फ सिटी में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसके बाद एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के दो सदस्य सुनील गौतम और गणेश तिवारी को बिहार से गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेजा था. मुख्य आरोपी और गिरोह का सरगना रंजन कुमार तभी से फरार चल रहा था, जिसे सोमवार को यूपी एसटीएफ ने झारखंड से गिरफ्तार कर लिया है.

एसटीएफ कर रही पूछताछ
शातिर ठग से पूछताछ में इस बात का पता चला है कि आरोपी उच्चाधिकारी बनकर अधिकारियों से जिस खाते में पैसा मंगाता था, वह खाता एक्सिस बैंक का है. यह खाता अभियुक्त गणेश तिवारी के नाम पर है. गिरफ्तार आरोपियों ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर झारखंड, मध्य प्रदेश राज्यों में भी उच्चाधिकारी बनकर लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया है.

ठगी का है लंबा इतिहास
एसटीएफ की पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि अभियुक्त रंजन कुमार ने न सिर्फ अर्जुन मुंडा को ठग कर 40 लाख रुपये अपने साथी आलोक कुमार के बैंक खाते में जमा कराए बल्कि, 2010 में जिलाधिकारी पटना बनकर बीडीओ पटना को भी ठगा था. इसके बाद 40,000 रुपये एक फर्जी नाम पते वाले बैंक खाते में जमा कराया था, जिसको लेकर गांधी मैदान थाना, पटना में अभियोग पंजीकृत है. इसके बाद आरोपियों ने 2011 में बिहार के करीब 10 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट बनकर उसी जिले के एडीएम और एसडीएम को कॉल कर विभिन्न नाम के बैंक खातों में करीब 10 लाख रुपये जमा कराए थे. इस ठगी के भी मुकदमे 2011 में थाना गांधी मैदान, बिहार में पंजीकृत कराए गए थे. ऐसे ही न जाने कितनी बार इस गिरोह के लोगों ने उच्चाधिकारी बनकर लोगों के साथ ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया है. इन आरोपियों के खिलाफ झारखंड, बिहार, नई दिल्ली, राजस्थान सहित राजधानी लखनऊ में 12 से अधिक मामले दर्ज हैं.

लखनऊ: 2018 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बनकर मंत्री अर्जुन मुंडा से 40 लाख की ठगी करने वाले शातिर रंजन कुमार को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है. शातिर ठग पर इस मामले में रांची के लालपुर जनपद में मुकदमा भी दर्ज किया गया था. एसटीएफ ने रंजन कुमार को झारखंड से गिरफ्तार किया है. रंजन कुमार के गिरोह के लोग खुद को उच्चाधिकारी बताकर लोगों से ठगी किया करते थे.

हाल ही में रंजन कुमार ने उत्तर प्रदेश शासन का उच्च अधिकारी बनकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लखनऊ के प्रोजेक्ट मैनेजर से फोन करके 8 लाख रुपये की डिमांड की थी, जिसके बाद प्रोजेक्ट मैनेजर राजमणि की ओर से लखनऊ के थाना सुशांत गोल्फ सिटी में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसके बाद एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के दो सदस्य सुनील गौतम और गणेश तिवारी को बिहार से गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेजा था. मुख्य आरोपी और गिरोह का सरगना रंजन कुमार तभी से फरार चल रहा था, जिसे सोमवार को यूपी एसटीएफ ने झारखंड से गिरफ्तार कर लिया है.

एसटीएफ कर रही पूछताछ
शातिर ठग से पूछताछ में इस बात का पता चला है कि आरोपी उच्चाधिकारी बनकर अधिकारियों से जिस खाते में पैसा मंगाता था, वह खाता एक्सिस बैंक का है. यह खाता अभियुक्त गणेश तिवारी के नाम पर है. गिरफ्तार आरोपियों ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर झारखंड, मध्य प्रदेश राज्यों में भी उच्चाधिकारी बनकर लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया है.

ठगी का है लंबा इतिहास
एसटीएफ की पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि अभियुक्त रंजन कुमार ने न सिर्फ अर्जुन मुंडा को ठग कर 40 लाख रुपये अपने साथी आलोक कुमार के बैंक खाते में जमा कराए बल्कि, 2010 में जिलाधिकारी पटना बनकर बीडीओ पटना को भी ठगा था. इसके बाद 40,000 रुपये एक फर्जी नाम पते वाले बैंक खाते में जमा कराया था, जिसको लेकर गांधी मैदान थाना, पटना में अभियोग पंजीकृत है. इसके बाद आरोपियों ने 2011 में बिहार के करीब 10 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट बनकर उसी जिले के एडीएम और एसडीएम को कॉल कर विभिन्न नाम के बैंक खातों में करीब 10 लाख रुपये जमा कराए थे. इस ठगी के भी मुकदमे 2011 में थाना गांधी मैदान, बिहार में पंजीकृत कराए गए थे. ऐसे ही न जाने कितनी बार इस गिरोह के लोगों ने उच्चाधिकारी बनकर लोगों के साथ ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया है. इन आरोपियों के खिलाफ झारखंड, बिहार, नई दिल्ली, राजस्थान सहित राजधानी लखनऊ में 12 से अधिक मामले दर्ज हैं.

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