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जयपुर: संयुक्त अभिभावक संघ ने छेड़ी आर-पार की लड़ाई..25 फीसदी फीस निर्धारण की मांग - जयपुर में स्कूल फीस माफी पर चल रहे विवाद पर ज्ञापन

जयपुर में फीस माफी पर चल रहे विवाद को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने लड़ाई छेड़ दी है. संयुक्त अभिभावक संघ ने एक बार फिर ज्ञापन देने का दौर शुरू कर शुक्रवार को मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम इकबाल खान को ज्ञापन दिया है. संघ ने बंद रहे निजी स्कूलों की केवल 25 फीसदी ही ट्यूशन फीस निर्धारित करने की मांग की है.

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जयपुर में स्कूल फीस माफी पर चल रहा विवाद
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Published : Nov 20, 2020, 10:45 PM IST

जयपुर. प्रदेश में स्कूल फीस माफी पर चल रहे विवाद को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है. इस बार संयुक्त अभिभावक संघ ने एक बार फिर ज्ञापन देने का दौर शुरू कर शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम इकबाल खान को ज्ञापन दिया है. जिसमें सरकार तक अभिभावकों की मांगों को पहुंचाने का आश्वासन दिया गया है. अभिभावक संघ की ओर से शनिवार को देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को रजिस्टर्ड डाक से ज्ञापन भेजा जाएगा. साथ ही संघ की ओर से राज्य के राज्यपाल व मुख्यमंत्री से भी मुलाकात के लिए समय मांगा गया है.

जयपुर में स्कूल फीस माफी पर चल रहा विवाद

संयुक्त अभिभावक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. प्रवक्ता अभिषेक जैन ने बताया कि शुक्रवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने 3 दिनों के अल्टीमेटम के साथ ज्ञापन देने का दौर शुरू किया है. इस ज्ञापन में पिछले 8 महीनों में अभिभावकों ने जिन-जिन पीड़ाओं का सामना किया और निजी स्कूल संचालकों की मनमर्जी झेली और राज्य सरकार की अभिभावकों की बेरुखी देखी. उन सभी बातों को ध्यान में रखकर यह 15 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया है.

शुक्रवार को कलेक्टर ऑफिस सहित राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के निवास स्थान पर मुलाकात करने गए थे. लेकिन मंत्री डोटासरा नहीं मिले तो उनके स्टाफ को ज्ञापन दिया गया. इसी तरह कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य संजय बापना और राज्य की प्रिंसिपल सेकेट्री शिक्षा विभाग अर्पणा अरोड़ा को भी ज्ञापन दिया गया. ज्ञापन के जरिए 15 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया है. इसमें सबसे अहम मांग कोरोना महामारी में बंद रहे निजी स्कूलों की केवल 25 फीसदी ही ट्यूशन फीस निर्धारित करने की गई है. साथ ही मांग की गई सभी अतिरिक्त चार्ज जिसका उपयोग अभिभावकों और बच्चों ने नहीं किया वह खत्म किया जाए.

पढ़ें: अजमेर: इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम का दरगाह क्षेत्र में फ्लैग मार्च, सुरक्षा को लेकर दिए निर्देश

इसके अलावा ऑनलाइन क्लास की सर्व प्रथम गाइडलाइन जारी करने, फीस, समयसीमा और निगरानी तय करने, स्कूल, टीचर व बच्चों की निगरानी सुनिश्चित करने की मांग की गई है. ज्ञापन में वर्ष 2016 के एक्ट की पालना कराने, वर्तमान हालात को देखते हुए प्रत्येक स्कूल की सभी तरह की फीस वृद्धि पर अगले 5 साल तक रोक लागाने, सभी तरह के शिक्षा बोर्डों (RBSE, CBSE, IB, ICSE व अन्य) का स्लेबस एक सामान निर्धारित करने, शिक्षा बोर्डों में होने वाले रजिस्ट्रेशन, फीस व एक्जाम की तारीख का निर्धारण कोर्ट निर्णय के अनुसार करने, निजी स्कूलों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट की बाध्यता खत्म करने, निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई सुनिश्चित करने, निजी स्कूलों के रिजर्व फंड/सरप्लस व सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता को सार्वजनिक आदि की मांग की गई है.

संयुक्त अभिभावक संघ ने मांग की है कि इन सभी मांगों की क्रियान्वती निगरानी व जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से एक एजेंसी का गठन रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में की जाए. प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, महामंत्री संजय गोयल, मंत्री युवराज हसीजा व मनोज जसवानी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे.

जयपुर. प्रदेश में स्कूल फीस माफी पर चल रहे विवाद को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है. इस बार संयुक्त अभिभावक संघ ने एक बार फिर ज्ञापन देने का दौर शुरू कर शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम इकबाल खान को ज्ञापन दिया है. जिसमें सरकार तक अभिभावकों की मांगों को पहुंचाने का आश्वासन दिया गया है. अभिभावक संघ की ओर से शनिवार को देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को रजिस्टर्ड डाक से ज्ञापन भेजा जाएगा. साथ ही संघ की ओर से राज्य के राज्यपाल व मुख्यमंत्री से भी मुलाकात के लिए समय मांगा गया है.

जयपुर में स्कूल फीस माफी पर चल रहा विवाद

संयुक्त अभिभावक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. प्रवक्ता अभिषेक जैन ने बताया कि शुक्रवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने 3 दिनों के अल्टीमेटम के साथ ज्ञापन देने का दौर शुरू किया है. इस ज्ञापन में पिछले 8 महीनों में अभिभावकों ने जिन-जिन पीड़ाओं का सामना किया और निजी स्कूल संचालकों की मनमर्जी झेली और राज्य सरकार की अभिभावकों की बेरुखी देखी. उन सभी बातों को ध्यान में रखकर यह 15 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया है.

शुक्रवार को कलेक्टर ऑफिस सहित राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के निवास स्थान पर मुलाकात करने गए थे. लेकिन मंत्री डोटासरा नहीं मिले तो उनके स्टाफ को ज्ञापन दिया गया. इसी तरह कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य संजय बापना और राज्य की प्रिंसिपल सेकेट्री शिक्षा विभाग अर्पणा अरोड़ा को भी ज्ञापन दिया गया. ज्ञापन के जरिए 15 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया है. इसमें सबसे अहम मांग कोरोना महामारी में बंद रहे निजी स्कूलों की केवल 25 फीसदी ही ट्यूशन फीस निर्धारित करने की गई है. साथ ही मांग की गई सभी अतिरिक्त चार्ज जिसका उपयोग अभिभावकों और बच्चों ने नहीं किया वह खत्म किया जाए.

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इसके अलावा ऑनलाइन क्लास की सर्व प्रथम गाइडलाइन जारी करने, फीस, समयसीमा और निगरानी तय करने, स्कूल, टीचर व बच्चों की निगरानी सुनिश्चित करने की मांग की गई है. ज्ञापन में वर्ष 2016 के एक्ट की पालना कराने, वर्तमान हालात को देखते हुए प्रत्येक स्कूल की सभी तरह की फीस वृद्धि पर अगले 5 साल तक रोक लागाने, सभी तरह के शिक्षा बोर्डों (RBSE, CBSE, IB, ICSE व अन्य) का स्लेबस एक सामान निर्धारित करने, शिक्षा बोर्डों में होने वाले रजिस्ट्रेशन, फीस व एक्जाम की तारीख का निर्धारण कोर्ट निर्णय के अनुसार करने, निजी स्कूलों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट की बाध्यता खत्म करने, निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई सुनिश्चित करने, निजी स्कूलों के रिजर्व फंड/सरप्लस व सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता को सार्वजनिक आदि की मांग की गई है.

संयुक्त अभिभावक संघ ने मांग की है कि इन सभी मांगों की क्रियान्वती निगरानी व जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से एक एजेंसी का गठन रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में की जाए. प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, महामंत्री संजय गोयल, मंत्री युवराज हसीजा व मनोज जसवानी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे.

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