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'केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई' - Jaipur News

डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई?

Defective ventilators,  CM Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत
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Published : May 13, 2021, 10:37 PM IST

जयपुर. पीएम केयर फंड से राज्य सरकार को उपलब्ध कराए गए वेंटिलेटर को लेकर चल रहे सियासी बयानबाजी के बीच सीएम अशोक गहलोत का बयान सामने आया है. गहलोत ने सवाल करते हुए पूछा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई.

Defective ventilators,  CM Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत का ट्वीट

पढ़ें- कोरोना वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर को लेकर CM गहलोत ने साधा निशाना, कहा- अच्छा यह होता कि भारत सरकार टेंडर निकालती

गहलोत ने कहा कि भारत सरकार ने प्रदेश को पीएम केयर फंड से 1900 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए थे. इन वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भारत सरकार की थी. डॉक्टरों के मुताबिक इनमें से कई वेंटिलेटरों में तकनीकी कमियां हैं, जिनके कारण इन्हें इस्तेमाल करना रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

डॉक्टरों ने बताया कि इन वेंटिलेटरों में प्रेशर ड्रॉप की समस्या है. 1-2 घंटे लगातार काम करने के बाद ये वेटिलेटर बंद हो जाते हैं. इनमें Pi02 में अचानक कमी, ऑक्सीजन सेंसर और कम्प्रेशर के फेल होने की परेशानी है. 5 अप्रैल को ओपन वीसी से हुई कोविड समीक्षा बैठक में मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के प्रिंसिपल डॉ. लखन पोसवाल ने भी इन वेंटिलेटरों की समस्या को उठाया था.

राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात में भी इन वेंटिलेटरों में अलग-अलग समस्याएं मीडिया में रिपोर्ट की गई है. इन वेंटिलेटरों की समस्या से अवगत करवाने और इनको जल्द से जल्द ठीक करवाने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से दो पत्र सचिव स्तर पर और एक पत्र मंत्री स्तर पर भारत सरकार को लिखे गए, जिससे इन्हें ठीक करवाया जा सके.

पढ़ें- जयपुर में वैक्सीनेशन बंद, चिकित्सा मंत्री ने कहा- केंद्र से 4.50 करोड़ डोज मांगी लेकिन मिली सिर्फ 1.50 करोड़

राजस्थान में सभी वेंटिलेटर्स की मेंटिनेंस के लिए भारत सरकार की ओर से नियुक्त कंपनी ने 11 सदस्य भेजने की बात कही थी, लेकिन यहां सिर्फ 6 लोग ही कार्य कर रहे हैं. ये शिकायत पर वेंटिलेटर्स को ठीक करने गए, लेकिन अनुभव की कमी के कारण ये ठीक नहीं कर कर पा रहे हैं जिससे डॉक्टर संतुष्ट नहीं हैं. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई? इनसे रोगियों की जान को खतरा हो सकता है.

बता दें, भरतपुर और दौसा सहित कई जिलों में केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड से दिए गए वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर बीजेपी के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं ने सवाल उठाए थे. भाजपा नेताओं का कहना था कि प्रदेश में एक ओर मरीजों की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने की वजह से मौत हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड से दिए गए वेंटिलेटर का प्रदेश की गहलोत सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते इस्तेमाल नहीं कर रही है.

जयपुर. पीएम केयर फंड से राज्य सरकार को उपलब्ध कराए गए वेंटिलेटर को लेकर चल रहे सियासी बयानबाजी के बीच सीएम अशोक गहलोत का बयान सामने आया है. गहलोत ने सवाल करते हुए पूछा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई.

Defective ventilators,  CM Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत का ट्वीट

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गहलोत ने कहा कि भारत सरकार ने प्रदेश को पीएम केयर फंड से 1900 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए थे. इन वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भारत सरकार की थी. डॉक्टरों के मुताबिक इनमें से कई वेंटिलेटरों में तकनीकी कमियां हैं, जिनके कारण इन्हें इस्तेमाल करना रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

डॉक्टरों ने बताया कि इन वेंटिलेटरों में प्रेशर ड्रॉप की समस्या है. 1-2 घंटे लगातार काम करने के बाद ये वेटिलेटर बंद हो जाते हैं. इनमें Pi02 में अचानक कमी, ऑक्सीजन सेंसर और कम्प्रेशर के फेल होने की परेशानी है. 5 अप्रैल को ओपन वीसी से हुई कोविड समीक्षा बैठक में मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के प्रिंसिपल डॉ. लखन पोसवाल ने भी इन वेंटिलेटरों की समस्या को उठाया था.

राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात में भी इन वेंटिलेटरों में अलग-अलग समस्याएं मीडिया में रिपोर्ट की गई है. इन वेंटिलेटरों की समस्या से अवगत करवाने और इनको जल्द से जल्द ठीक करवाने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से दो पत्र सचिव स्तर पर और एक पत्र मंत्री स्तर पर भारत सरकार को लिखे गए, जिससे इन्हें ठीक करवाया जा सके.

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राजस्थान में सभी वेंटिलेटर्स की मेंटिनेंस के लिए भारत सरकार की ओर से नियुक्त कंपनी ने 11 सदस्य भेजने की बात कही थी, लेकिन यहां सिर्फ 6 लोग ही कार्य कर रहे हैं. ये शिकायत पर वेंटिलेटर्स को ठीक करने गए, लेकिन अनुभव की कमी के कारण ये ठीक नहीं कर कर पा रहे हैं जिससे डॉक्टर संतुष्ट नहीं हैं. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई? इनसे रोगियों की जान को खतरा हो सकता है.

बता दें, भरतपुर और दौसा सहित कई जिलों में केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड से दिए गए वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर बीजेपी के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं ने सवाल उठाए थे. भाजपा नेताओं का कहना था कि प्रदेश में एक ओर मरीजों की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने की वजह से मौत हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड से दिए गए वेंटिलेटर का प्रदेश की गहलोत सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते इस्तेमाल नहीं कर रही है.

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