ETV Bharat / city

गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर गहलोत सरकार का एक्शन प्लान, इन जिलों में लगी रासुका

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 नवंबर से आंदोलन की घोषणा कर दी है. जिसके बाद अब प्रदेश की गहलोत सरकार ने गुर्जर बाहुल्य 8 जिलों में रासुका लगाने की जिला कलेक्टर्स को पॉवर दे दी गई है. इस पॉवर के साथ अगर जिला कलेक्टर को कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला दिखता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.

8 जिलों में रासुका लागू,  Rasuka implemented in 8 districts
गुर्जर बाहु्ल्य जिलों में लगाई गई रासुका
author img

By

Published : Oct 31, 2020, 1:31 PM IST

जयपुर. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 नवंबर से आंदोलन की घोषणा कर दी है. आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरीके से एक्शन मोड में आ गई है. सरकार ने जहां गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया. वहीं, अब सरकार ने इन 8 जिलों में रासुका लगा दिया है.

जिला कलेक्टर की सिफारिश पर गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा. जहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से हरी झंडी मिलने के साथ ही संबंधित जिला कलेक्टरों को रासुका लगाने की पॉवर्स दे दी गई.

दरअसल गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने सभी गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश में गुर्जर बाहुल्य 8 जिलों मे रासुका लगा दिया है.

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन को लेकर कर्नल बैंसला से बात करे प्रदेश सरकार, पायलट को अलग रखना गलत: राजेंद्र राठौड़

भरतपुर जिला कलेक्टर सहित अन्य जिलों से आए सुझाओं के बाद गृह विभाग ने परिक्षण करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी.

इन जिलों में लगी रासुका

इसके साथ ही अब संबंधित 8 जिलों के जिला कलेक्टर को रासुका लगाने की पावर दे दी जाएगी. सरकार ने भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली के जिला कलेक्टर्स को रासुका के तहत करवाई करने की पावर्स दे दी गई है.

क्या है रासुका

इस पावर के साथ अगर जिला कलेक्टर को कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला दिखता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत गिरफ्तार किए हुए व्यक्ति को 1 साल तक के लिए जेल में रहना पड़ता है. इसमें किसी तरह की कोई जमानत या कोर्ट में अर्जी लगाने का प्रावधान नहीं है.

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन की आग: गहलोत सरकार गुर्जर बाहुल्य जिलों में रासुका लगाने की तैयारी में

बता दें कि रासुका यानी (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980) कानून में देश की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान किए गए हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं कि यदि देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की आशंका है या ऐसा कुछ भी किए जाने का पूर्ण विश्वास है जिससे देश-प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा में बाधा पड़ सकती है और देश को सुचारू रूप से चलाने में बाधा आ सकती है. तो, ऐसी स्थिति में रासुका लगाया जाता है. रासुका के तहत संदिग्ध व्यक्ति गिरफ्तार किए जाने का प्रावधान है. पूर्व में भी प्रदेश में डॉक्टर आंदोलन के दौरान इसी रासुका कानून को लागू किया जा चुका है.

जयपुर. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 नवंबर से आंदोलन की घोषणा कर दी है. आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरीके से एक्शन मोड में आ गई है. सरकार ने जहां गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया. वहीं, अब सरकार ने इन 8 जिलों में रासुका लगा दिया है.

जिला कलेक्टर की सिफारिश पर गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा. जहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से हरी झंडी मिलने के साथ ही संबंधित जिला कलेक्टरों को रासुका लगाने की पॉवर्स दे दी गई.

दरअसल गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने सभी गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश में गुर्जर बाहुल्य 8 जिलों मे रासुका लगा दिया है.

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन को लेकर कर्नल बैंसला से बात करे प्रदेश सरकार, पायलट को अलग रखना गलत: राजेंद्र राठौड़

भरतपुर जिला कलेक्टर सहित अन्य जिलों से आए सुझाओं के बाद गृह विभाग ने परिक्षण करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी.

इन जिलों में लगी रासुका

इसके साथ ही अब संबंधित 8 जिलों के जिला कलेक्टर को रासुका लगाने की पावर दे दी जाएगी. सरकार ने भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली के जिला कलेक्टर्स को रासुका के तहत करवाई करने की पावर्स दे दी गई है.

क्या है रासुका

इस पावर के साथ अगर जिला कलेक्टर को कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला दिखता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत गिरफ्तार किए हुए व्यक्ति को 1 साल तक के लिए जेल में रहना पड़ता है. इसमें किसी तरह की कोई जमानत या कोर्ट में अर्जी लगाने का प्रावधान नहीं है.

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन की आग: गहलोत सरकार गुर्जर बाहुल्य जिलों में रासुका लगाने की तैयारी में

बता दें कि रासुका यानी (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980) कानून में देश की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान किए गए हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं कि यदि देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की आशंका है या ऐसा कुछ भी किए जाने का पूर्ण विश्वास है जिससे देश-प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा में बाधा पड़ सकती है और देश को सुचारू रूप से चलाने में बाधा आ सकती है. तो, ऐसी स्थिति में रासुका लगाया जाता है. रासुका के तहत संदिग्ध व्यक्ति गिरफ्तार किए जाने का प्रावधान है. पूर्व में भी प्रदेश में डॉक्टर आंदोलन के दौरान इसी रासुका कानून को लागू किया जा चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.