जयपुर. राजस्थान एसीबी की ओर से 5 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किए गए सेवानिवृत्त वरिष्ठ RAS अधिकारी प्रेमाराम परमार के अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी के दौरान अकूत संपत्ति बरामद की गई है. रिश्वतखोर प्रेमाराम के ठिकानों से बरामद हुई लाखों रुपए की नगदी और जेवरात को देखते हुए राजस्थान एसीबी की ओर से आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण दर्ज करने पर विचार किया जा रहा है.
प्रेमाराम के जयपुर स्थित आवास से 8 लाख रुपए नगद और संपत्ति के दस्तावेज, जोधपुर आवास से 7.72 लाख रुपए नगद और 15 लाख के स्वर्ण आभूषण व जमीन जायदाद के दस्तावेज, एलएनटी कंपनी में शेयर के दस्तावेज और बाड़मेर आवास से करीब 3 लाख रुपए नगद और 20 लाख के स्वर्ण आभूषण इत्यादि बरामद किए गए हैं. इसके साथ ही जोधपुर स्थित आवास से बड़ी तादाद में विदेशी और महंगी शराब की बोतलें भी बरामद की गई है. जालोर से 36 बीघा फार्म हाउस के दस्तावेज मिले हैं और अन्य कई अचल संपत्तियों की जानकारी हाथ लगी है.
1 महीने से थी एसीबी टीम की नजर
डीजी एसीबी बीएल सोनी ने बताया कि रिश्वतखोर प्रेमाराम परमार पर पिछले 1 महीने से एसीबी की टीम के रडार पर था. एसीबी के पास यह जानकारी थी कि प्रेमाराम परमार अतिरिक्त आयुक्त नहरी भूमि आवंटन में सेवानिवृत्ति से पहले पोंग बांध विस्थापितों, भूतपूर्व सैनिकों, महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के विस्थापितों और भूमिहीन किसानों के नाम पर दलालों के मार्फत भूमि आवंटन कर भारी रिश्वत राशि ले रहा है.
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इस सूचना के बाद एसीबी टीम की ओर से प्रेमाराम पर सघन निगरानी रखी गई और निगरानी के दौरान शुक्रवार देर रात बाड़मेर स्थित प्रेमाराम के निवास पर दलाल नजीर खान से 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.
दलाल के पास से बरामद हुए नहरी क्षेत्र भू-आवंटन के दस्तावेज
एसीबी एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि 5 लाख रुपए की रिश्वत राशि देते हुए गिरफ्तार किए गए दलाल नजीर खान के पास से नहरी क्षेत्र भू-आवंटन के दस्तावेज बरामद किए गए हैं. नजीर खान की ओर से विस्थापितों को बहुत ही कम कीमत देकर उनके नाम पर उपनिवेश विभाग की मिलीभगत से अच्छी जमीन आवंटित करवा कर अपने नाम या अन्य व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री करवाई गई और फिर जमीन को महंगे भाव पर आगे अन्य व्यक्ति को बेचा गया.
वहीं, जो विस्थापित दलाल के माध्यम से जमीन आवंटित नहीं करवाता था उसे बेकार की बंजर जमीन देरी से आवंटित की जाती थी. एसीबी की ओर से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत प्रकरण दर्ज कर आगे का अनुसंधान किया जा रहा है.