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इन तस्वीरों में दिखी प्रशासन शहरों के संग अभियान की हकीकत, धारीवाल ने किया फैसला 'ऑन द स्पॉट' - Shanti Dhariwal

प्रशासन शहरों के संग अभियान की धीमी गति को लेकर पूरे यूडीएच खेमे पर प्रश्नचिह्न लगा हुआ है. इसका जवाब ढूंढने और अभियान को लेकर लगाए गए शिविरों की वास्तविक स्थिति को देखने के लिए बुधवार को यूडीएच मंत्री सहित सभी उच्च अधिकारी ग्रेटर नगर निगम जा पहुंचे.

प्रशासन शहरों के संग अभियान
प्रशासन शहरों के संग अभियान
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Published : Oct 20, 2021, 10:25 PM IST

जयपुर. नगर निगम ग्रेटर पहुंचे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और उच्च अधिकारियों के सामने कई प्रकरण आए. ये प्रकरण फाइल अटकाने और लापरवाही बरतने के थे. मंत्री ने मौके पर ही कई लंबित मामलों का निपटारा कर डाला.

ग्रेटर नगर निगम में नाम हस्तांतरण की प्रक्रिया में मौका मुआयना करने के चलते फाइल को अटकाने, 1992 से पहले हाउस टैक्स जमा कराने के बाद भी पट्टा जारी करने से पहले तहसीलदार से रिपोर्ट मांगने और 40 साल से कच्ची बस्ती के आवास में रह रहे दत्तक पुत्र से उत्तराधिकारी सर्टिफिकेट को लेकर फाइल को अटकाए रखने जैसे प्रकरण सामने आए. जिस पर न सिर्फ शांति धारीवाल ने नाराजगी व्यक्त की, बल्कि बेवजह फाइलों को अटकाने वाले और लापरवाही बरतने वाले राजस्व अधिकारी डीके भंबानी और कनिष्ठ सहायक राजेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया. एटीपी संतोष मीणा को 17 सीसी और वरिष्ठ सहायक जगदीश प्रसाद सैनी को 16 सीसी का नोटिस दिया गया.

फैसला ऑन द स्पॉट

राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 10 लाख पट्टे वितरित करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन अब तक प्रदेश के 213 नगरीय निकायों में महज 33 हज़ार पट्टे ही जारी किए जा सके हैं. जबकि अभियान के पहले दिन 1 लाख पट्टे बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिस पर पार नहीं पाने की स्थिति में धारीवाल बुधवार को खुद ग्रेटर नगर निगम जा पहुंचे. धारीवाल के औचक निरीक्षण में कुछ पत्रावलियां 2 से 3 वर्ष से पहले की लंबित पाई गई और कुछ प्रकरण 18 से 20 साल पुराने भी मिले जिनका मौके पर अध्ययन करें निस्तारण करवाया गया.

पढ़ें- जयपुर : शहर के निगमों में आवेदन की संख्या तो बढ़ी, लेकिन पट्टे जारी करने की गति धीमी

केस 1 - मालवीय नगर जोन में 1976 की एक लंबित पत्रावली मिली. जिसमें आवेदक की ओर से मूल आवंटी के निधन के बाद उसकी पुत्री की ओर से हक त्याग दत्तक पुत्र के पक्ष में किए जाने के संबंध में पट्टा चाहा गया था. इस फाइल को जोन अधिकारियों ने पेंडिंग छोड़ रखा था. इस फाइल को मौके पर यूडीएच प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने पहले पढ़ा और बाद में किसी भी तरह के दस्तावेज अधूरे नहीं पाए जाने की स्थिति में आवेदक को मौके से फोन कर जोन कार्यालय बुला पट्टा दिलवाया गया.

केस 1

केस 2 - पति की मौत के बाद पत्नी की ओर से किए गए नाम हस्तांतरण के आवेदन पर मौका मुआयना कराने की टिप्पणी करते हुए फाइल को पेंडिंग छोड़ रखा था. ये फाइल जब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के हाथ लगी, तो धारीवाल ने नाम हस्तांतरण के प्रकरण में मौका मुआयना कराने की टिप्पणी किए जाने पर राजस्व अधिकारी को आड़े हाथों लिया और अधिकारी को सस्पेंड करने के निर्देश दिए. बाद में राजस्व अधिकारी धारीवाल के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए नजर आए.

केस 2

केस 3 - राजा पार्क के आवेदक प्रेमदास ने 60 धारा में पट्टा लेने के लिए आवेदन किया था. इस पत्रावली में सभी आवश्यक दस्तावेज ( 35 साल पुराने बिजली और पानी के बिल, हाउस टैक्स की रसीद) पेश की गई थी. इस आवेदन को बिना किसी कारण निरस्त कर दिया गया था. मामले को गंभीरता से लेते हुए यूडीएच मंत्री ने आवेदक को तुरंत पट्टा दिए जाने के निर्देश दिए. इस दौरान उपायुक्त को बिना दस्तावेज जांच किए पत्रावली निरस्त करने की स्थिति में सस्पेंड करवाने की चेतावनी दी.

केस 3

आपको बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान अब तक 33078 पट्टे दिए जा चुके हैं. इसके अलावा भवन निर्माण के 2065 प्रकरण, नाम हस्तांतरण के 3300 प्रकरण, उप विभाजन के 413 प्रकरण, लीज मनी के 878 प्रकरण, इंदिरा क्रेडिट कार्ड के 2500 प्रकरण और पेंशन के 4300 प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है.

जयपुर. नगर निगम ग्रेटर पहुंचे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और उच्च अधिकारियों के सामने कई प्रकरण आए. ये प्रकरण फाइल अटकाने और लापरवाही बरतने के थे. मंत्री ने मौके पर ही कई लंबित मामलों का निपटारा कर डाला.

ग्रेटर नगर निगम में नाम हस्तांतरण की प्रक्रिया में मौका मुआयना करने के चलते फाइल को अटकाने, 1992 से पहले हाउस टैक्स जमा कराने के बाद भी पट्टा जारी करने से पहले तहसीलदार से रिपोर्ट मांगने और 40 साल से कच्ची बस्ती के आवास में रह रहे दत्तक पुत्र से उत्तराधिकारी सर्टिफिकेट को लेकर फाइल को अटकाए रखने जैसे प्रकरण सामने आए. जिस पर न सिर्फ शांति धारीवाल ने नाराजगी व्यक्त की, बल्कि बेवजह फाइलों को अटकाने वाले और लापरवाही बरतने वाले राजस्व अधिकारी डीके भंबानी और कनिष्ठ सहायक राजेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया. एटीपी संतोष मीणा को 17 सीसी और वरिष्ठ सहायक जगदीश प्रसाद सैनी को 16 सीसी का नोटिस दिया गया.

फैसला ऑन द स्पॉट

राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 10 लाख पट्टे वितरित करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन अब तक प्रदेश के 213 नगरीय निकायों में महज 33 हज़ार पट्टे ही जारी किए जा सके हैं. जबकि अभियान के पहले दिन 1 लाख पट्टे बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिस पर पार नहीं पाने की स्थिति में धारीवाल बुधवार को खुद ग्रेटर नगर निगम जा पहुंचे. धारीवाल के औचक निरीक्षण में कुछ पत्रावलियां 2 से 3 वर्ष से पहले की लंबित पाई गई और कुछ प्रकरण 18 से 20 साल पुराने भी मिले जिनका मौके पर अध्ययन करें निस्तारण करवाया गया.

पढ़ें- जयपुर : शहर के निगमों में आवेदन की संख्या तो बढ़ी, लेकिन पट्टे जारी करने की गति धीमी

केस 1 - मालवीय नगर जोन में 1976 की एक लंबित पत्रावली मिली. जिसमें आवेदक की ओर से मूल आवंटी के निधन के बाद उसकी पुत्री की ओर से हक त्याग दत्तक पुत्र के पक्ष में किए जाने के संबंध में पट्टा चाहा गया था. इस फाइल को जोन अधिकारियों ने पेंडिंग छोड़ रखा था. इस फाइल को मौके पर यूडीएच प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने पहले पढ़ा और बाद में किसी भी तरह के दस्तावेज अधूरे नहीं पाए जाने की स्थिति में आवेदक को मौके से फोन कर जोन कार्यालय बुला पट्टा दिलवाया गया.

केस 1

केस 2 - पति की मौत के बाद पत्नी की ओर से किए गए नाम हस्तांतरण के आवेदन पर मौका मुआयना कराने की टिप्पणी करते हुए फाइल को पेंडिंग छोड़ रखा था. ये फाइल जब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के हाथ लगी, तो धारीवाल ने नाम हस्तांतरण के प्रकरण में मौका मुआयना कराने की टिप्पणी किए जाने पर राजस्व अधिकारी को आड़े हाथों लिया और अधिकारी को सस्पेंड करने के निर्देश दिए. बाद में राजस्व अधिकारी धारीवाल के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए नजर आए.

केस 2

केस 3 - राजा पार्क के आवेदक प्रेमदास ने 60 धारा में पट्टा लेने के लिए आवेदन किया था. इस पत्रावली में सभी आवश्यक दस्तावेज ( 35 साल पुराने बिजली और पानी के बिल, हाउस टैक्स की रसीद) पेश की गई थी. इस आवेदन को बिना किसी कारण निरस्त कर दिया गया था. मामले को गंभीरता से लेते हुए यूडीएच मंत्री ने आवेदक को तुरंत पट्टा दिए जाने के निर्देश दिए. इस दौरान उपायुक्त को बिना दस्तावेज जांच किए पत्रावली निरस्त करने की स्थिति में सस्पेंड करवाने की चेतावनी दी.

केस 3

आपको बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान अब तक 33078 पट्टे दिए जा चुके हैं. इसके अलावा भवन निर्माण के 2065 प्रकरण, नाम हस्तांतरण के 3300 प्रकरण, उप विभाजन के 413 प्रकरण, लीज मनी के 878 प्रकरण, इंदिरा क्रेडिट कार्ड के 2500 प्रकरण और पेंशन के 4300 प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है.

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