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मैं भी पीड़ित हूं...अलग से एजेंसी बनाने पर दिक्कत आ सकती है- शांति धारीवाल

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग ने सवाई चक, तालाब, नदी, वन आदि की भूमियों का रिकॉर्ड को लेकर सरकार से सवाल पूछा और इसके लिए अलग से एजेंसी भी बनने की बात कही. इस पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी 8 बीघा जमीन का उदाहरण देकर कहा, मैं भी पीड़ित हूं लेकिन अलग से एजेंसी बनाने पर दिक्कत आ सकती है.

rajasthan assembly season news, राजस्थान विधानसभा सत्र की खबर
जोगेश्वर गर्ग के सवाल का शांति धारीवाल ने दिया जवाब
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Published : Feb 19, 2020, 12:11 AM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल का जवाब देते देते नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के दिल का दर्द की जुबान पर आ गया. धारीवाल ने कहा कि मैं भी 8 साल तक पीड़ित रहा हूं, क्योंकि मेरी कोटा में 8 बीघा जमीन में से 4 बीघा जमीन एक सेटलमेंट ऑफिसर ने सवाई चक कर दी थी. जब मैं कोर्ट में गया तो 8 साल बाद केस जीता. मैं भी भुक्तभोगी रहा हूं.

धारीवाल ने यह बात प्रश्नकाल में लगे भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग के एक सवाल के जवाब के दौरान कहीं. गर्ग ने पूछा था कि क्या सरकार के पास सवाई चक, तालाब, नदी, वन आदि की भूमियों का रिकॉर्ड है? और क्या यह पता है कि कौन सी भूमि किसके मालिकाना हक में है? क्योंकि ऐसा रिकॉर्ड नहीं होने पर अधिकतर जगह सरकारी भूमि पर कब्जे हो जाते है और अतिक्रमण कर लिए जाते है. जोगेश्वर गर्ग ने कहा इसके लिए अलग से एजेंसी भी बनना चाहिए.

ये पढ़ेंः धारीवाल अपने बयान पर कायम, 25 मार्च 2015 की प्रोसिडिंग दिखाकर बोले- घड़ियाली आंसू बहा रहे कटारिया

इस पर धारीवाल ने कहा अतिक्रमण तो होते हैं और हटते भी है, लेकिन अलग से एजेंसी बन जाएगी तो काफी दिक्कत आ सकती है. क्योंकि एक शहर में यदि एक एजेंसी पट्टा जारी करती है और उसी जमीन पर किसी और ने भी पट्टा जारी कर दिया तो यह मामला सेटलमेंट में चले जाएगा. सालों तक कानूनी के चित्रों में ही फंसा रहेगा. मैं खुद इसका भुक्तभोगी हूं और फिर धारीवाल ने कोटा में अपनी 8 बीघा जमीन का उदाहरण दे डाला.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल का जवाब देते देते नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के दिल का दर्द की जुबान पर आ गया. धारीवाल ने कहा कि मैं भी 8 साल तक पीड़ित रहा हूं, क्योंकि मेरी कोटा में 8 बीघा जमीन में से 4 बीघा जमीन एक सेटलमेंट ऑफिसर ने सवाई चक कर दी थी. जब मैं कोर्ट में गया तो 8 साल बाद केस जीता. मैं भी भुक्तभोगी रहा हूं.

धारीवाल ने यह बात प्रश्नकाल में लगे भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग के एक सवाल के जवाब के दौरान कहीं. गर्ग ने पूछा था कि क्या सरकार के पास सवाई चक, तालाब, नदी, वन आदि की भूमियों का रिकॉर्ड है? और क्या यह पता है कि कौन सी भूमि किसके मालिकाना हक में है? क्योंकि ऐसा रिकॉर्ड नहीं होने पर अधिकतर जगह सरकारी भूमि पर कब्जे हो जाते है और अतिक्रमण कर लिए जाते है. जोगेश्वर गर्ग ने कहा इसके लिए अलग से एजेंसी भी बनना चाहिए.

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इस पर धारीवाल ने कहा अतिक्रमण तो होते हैं और हटते भी है, लेकिन अलग से एजेंसी बन जाएगी तो काफी दिक्कत आ सकती है. क्योंकि एक शहर में यदि एक एजेंसी पट्टा जारी करती है और उसी जमीन पर किसी और ने भी पट्टा जारी कर दिया तो यह मामला सेटलमेंट में चले जाएगा. सालों तक कानूनी के चित्रों में ही फंसा रहेगा. मैं खुद इसका भुक्तभोगी हूं और फिर धारीवाल ने कोटा में अपनी 8 बीघा जमीन का उदाहरण दे डाला.

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