जयपुर. प्रदेश में 59 जगह ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद के बीच राज्य के कई विधायकों ने विधानसभा क्षेत्र में प्लांट लगवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए यूडीएच मंत्री से भी संपर्क साधा जा रहा है. वहीं हाल ही में यूडीएच मंत्री प्रदेश की स्थिति को लेकर केंद्र से राहत की गुहार लेकर दिल्ली भी गए थे, लेकिन उनके अनुसार केंद्र ने राहत के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा दिया.
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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र से बात करने पर भी परिणाम कुछ खास नहीं निकला. हम केंद्र के सामने भीख का कटोरा लेकर गए थे, लेकिन मिला कुछ नहीं. जामनगर से 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जा रही थी और पानीपत से 15 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही थी. केंद्र ने पानीपत से 15 मीट्रिक टन की सप्लाई रोक दी और और जामनगर से 30 मीट्रिक टन बढ़ा दी. इतना सब कुछ करने के बाद भी कुल मिलाकर 15 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाई है. जबकि यूडीएच और एलएसजी विभाग ने अपने स्तर पर 120 मिट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन का प्लान बनाया है. इसका वर्क आर्डर 8 से 10 दिन में दे दिया जाएगा और 2 महीने के अंदर प्लांट इंस्टॉल हो जाएंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सारे ऑक्सीजन प्लांट पर कब्जा कर लिया है. यदि एक राज्य दूसरे राज्य की मदद करना चाहता है तो वो नहीं कर सकता. उसे भी सेंट्रल गवर्नमेंट ही अलॉटमेंट करेगी. दवाइयां भी केंद्र सरकार ही दे रही है. राजस्थान में तो रेमडेसिविर की मैन्युफैक्चरिंग है ही नहीं. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए राज्य के सामने लॉकडाउन के अलावा और कोई रास्ता नहीं. हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र की तरह अचानक नोटबंदी करने जैसा फैसला नहीं लिया. 3 दिन का समय दिया है, ताकि लोग बाजार से अपनी जरूरतों को पूरा कर लें.
स्वायत्त शासन विभाग और नगरीय विकास विभाग ने राज्य में जहां ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति दी है, उसका सारा खर्चा स्थानीय निकाय उठाएगा. जबकि कई निकाय ऐसे भी हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि प्लांट निर्माण का खर्चा उठा सके. ऐसे में विभाग के सामने ये भी एक बड़ी चुनौती होगी.