जयपुर. मरुस्थलीय प्रदेश राजस्थान को कृषि प्रधान राज्य कहा जाता है. जहां कुल आबादी का 70 फीसदी कृषि और बचा हुआ कृषि आधारित उद्योगों पर निर्भर रहता है. यहां पर कृषि की निर्भरता बरसात पर रहती है और योग्य भूमि पर भी मानसून के समय भगवान भरोसे खेती की जाती है. जयपुर की दो छात्राओं ने किसानों की मदद के लिए खास उपकरण बनाया है. देखिये ये खास रिपोर्ट...
कई बार फसल खराबे के कारण किसान आत्महत्या जैसा बड़ा भयावह कदम तक उठा लेते है. इसकी वजह से अब नई पीढ़ी किसानी के पैसे से मुंह मोड़ नए व्यवसाय की ओर पलायन करती जा रही है. किसान कहते हैं कि, यदि सरकारें पानी की समस्या को दूर करें और मिट्टी का ढंग से प्रशिक्षण करवाए तो किसान बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना दे.
किसानों की इसी समस्या के समाधान की तलाश में जयपुर की दो होनहार बेटियों ने एक अद्भुत कमाल कर दिखाया है. सरस्वती बालिका विद्यालय में 9 वीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रिया कंवर और पलक स्वामी ने एक एक्सपेरिमेंट किया है. जिसके तहत स्मार्ट फार्मिंग के लिए सॉइल मॉइस्चर नाम से एक सेंसर बनाया है.
![Latest news of jaipur, Saraswati Girls School Project, Schoolgirl Scientist Smart Farming](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10921322_cdasfdsc.png)
होनहार छात्रा पलक स्वामी ने बताया कि जब भी वो अपने गांव जाती हैं तो अपने पिताजी को खेती करते देखती हैं. वे वर्षा पर निर्भर रहते हैं. क्योंकि उनके गांव में भी पानी की कमी है. बिना कुछ सोचे खेती कर लेते हैं लेकिन उन्हें इसका आभास तक नहीं होता कि बरसात होगी भी या नहीं. ऐसे में इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस प्रोजेक्ट को बनाया है, जिससे धरती पुत्रों को मदद मिल सकें.
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इस एक्सपेरिमेंट सेंसर से यह पता लगाया जा सकता है कि खेत की मिट्टी में नमी है या नहीं. अगर बरसात नहीं होती है तो कितनी नमी की आवश्यकता होगी. इसका भी इससे पता लगाया जा सकता है. दिन-रात इस एक्सपेरिमेंट को सफल बनाने में जुटी प्रिया कंवर कहती है कि स्मार्ट फार्मिंग के लिए सॉइल मॉइस्चर सेंसर बनाया है. इससे किसानों को घर बैठे पता चल सकता है कि उनके खेत की फसल में पानी की कमी है.
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जब पानी की कमी होती है तब ये लाइट में कनेक्ट सॉइल मॉइस्चर सेंसर आवाज करना शुरू कर देता है और जब पानी की कमी नहीं होती है तब ये बिल्कुल साउंड नहीं करता. उन्होंने बताया कि इस सेंसर को बनाने में एक सप्ताह का वक्त लगा है. इसको बनाने में आर्डिनो, सेंसर, वायर और बजर ओर की जरूरत पड़ी है. इस सेंसर से किसानों को बहुत मदद मिलेगी और उनका कीमती समय भी बचेगा.
दोनों छात्राओं के इस कमाल पर गर्व महसूस करते हुए शिक्षिका शंकुतला शर्मा ने कहा कि छात्राओं का ये प्रोजेक्ट किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होगा. क्योंकि राजस्थान कृषि प्रधान है और यहां बहुत से किसान ऐसे है जिन्हें खेती में पानी की आवश्यकता होती है. जबकि कई बार किसान जज नहीं कर पाता है कि बरसात होगी भी या नहीं.
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ऐसे में स्मार्ट खेती में खेत मे लगाया जाना वाला ये सेंसर बताते हैं कि खेत की मिट्टी की सेहत कैसी है. उसी के हिसाब से उसे पानी उपलब्ध करवाया जा सकता है. सेंसर से मिली जानकारी किसानों को खेत में सिंचाई जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए मृदा नमी का आंकलन आसानी से करता है और भूमि की अनुकूलता आसानी से तय कर पाता है.
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देश में खेती-किसानी पर गहराया संकट भी अब उभर आया है. अब जानना है कि किसान सिर्फ धरती पुत्र ही नहीं, बल्कि पर्यावरण की नब्ज पहचानकर अपने उत्पाद का मूल्यांकन करना भी जानते हैं. ऐसे में ये एक्सपेरिमेंट एक प्रोजेक्ट के रूप में आगे आता है तो मरुस्थलीय प्रदेश में बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों के लिए ये वरदान साबित हो सकता है.