जयपुर. भारत निर्वाचन आयोग से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों पर रोक लग गई है. निर्वाचन विभाग की ओर से चल रहे मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनारीक्षण कार्यक्रम के चलते ये रोक लगी (Two month ban on transfers of election employees) है. निर्वाचन से जुड़े कर्मचारियों के तबादलों पर 9 नवम्बर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक यह रोक लागू रहेगी. इस बीच में अति आवश्यक होने पर राज्य निर्वाचन आयोग की सहमति के बाद तबादला किया जा सकता है.
यह कहा आदेश में: प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग ने फोटोयुक्त मतदाता सूचियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम 9 नवंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक निर्धारित किया है. ऐसे में फोटो युक्त मतदाता सूचियों की विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारी जिसमें जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी (जिला कलेक्टर), निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (उपखंड अधिकारी/सहायक कलेक्टर) , सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (तहसीलदार/नायब तहसीलदार) और चुनाव प्रक्रिया के दौरान नियुक्त किए जाने वाले बूथ लेवल के अधिकारी, सुपरवाइजर के पदों पर सामान्य तहसील स्तर पर कार्यरत विभिन्न स्तर के विभागों के कर्मचारियों के स्थानांतरण पर 9 नवंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक रोक लगाई जाती है. विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अवधि में अति आवश्यक मामलों में आयोग मुख्य निर्वाचन अधिकारी की पूर्व अनुमति से अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण के आदेश जारी किए जा सकेंगे.
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हटी हुई है तबादलों पर रोक: बता दें कि प्रदेश में तबादलों पर लगी रोक को बहाल किया हुआ है. ऐसा पहली बार है जब लगभग 5 महीने से ऊपर होने पर भी तबादलों पर रोक नहीं लगी है. इससे पहले तबादलों पर से हटने वाली रोक समय अवधि के लिए हटाई जाती थी, लेकिन इस बार सरकार ने 31 मई को तबादलों से जो रोक हटाई है वह लगातार बरकरार है.
विधायकों की नाराजगी को खत्म करने के लिए हटाई थी रोक: प्रदेश में 30 मई से पहले लगभग 1 साल से तबादलों पर रोक लगी हुई थी. जिसकी वजह से कई विधायक के पसंदीदा कर्मचारी और अधिकारियों के तबादले नहीं हो पा रहे थे. इन विधायकों की नाराजगी के बीच सरकार ने 30 मई 2022 को तबादलों पर से रोक हटाई थी. जो लगातार जारी है. जानकारों की माने तो मौजूदा राजनीतिक समीकरण में किसी भी विधायक की नाराजगी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं लेना चाहते. इसलिए विधायकों की मांग पर अनिश्चित काल के लिए तबादलों पर से रोक हटाई गई थी.