जयपुर. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में महज 2 दिन का समय बचा है. ऐसे में खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जिन कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को बाड़ेबंदी में रखा गया है. उस बाड़ेबंदी का सबसे अहम काम बुधवार से शुरू होगा. जानकारी के अनुसार खरीद-फरोख्त की शिकायतें नहीं भी आती, तो भी राज्यसभा चुनाव के लिए विधायकों को बाड़ेबंदी में आना ही पड़ता.
जानकारी के अनुसार बुधवार से दो दिनों तक राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों का मॉक पोल होगा. यह वो प्रक्रिया है जो हर राज्यसभा चुनाव में हर पॉलीटिकल पार्टी करवाती है. राज्यसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पेचीदा माना जाता है और इसमें वोट देने में कई बार विधायक गलती कर जाते हैं. ऐसे में राज्यसभा चुनाव से पहले मॉक पोल के जरिए इन विधायकों को ट्रेनिंग दी जाती है. मॉक पोल के साथ ही बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होगी. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों से बीते दो दिनों से वन टू वन बात कर भी रहे हैं.
पहले भी हो चुकी है प्रदेश में क्रोस वोटिंग
ऐसा नहीं है कि पॉलिटिकल पार्टियां ऐसे ही क्रॉस वोटिंग या वोट के खारिज होने से डरती है और अपने विधायकों को इस तरह बड़ेबंदी में रखती है. राजस्थान में कई मौकों पर क्रॉस वोटिंग हुई है. पिछली भाजपा सरकार के समय भाजपा के 2 वोट क्रॉस हो गए थे, इससे पहले साल 2004 में भी 6 वोट क्रॉस हुए थे, तो 1993 में तत्कालीन भाजपा सरकार के खेमे में क्रॉस वोटिंग हुई थी.
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वहीं बसपा से कांग्रेस में शामिल 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव के मतदाता सूचियों में कांग्रेस की तरफ से दर्शाने को लेकर विवाद हो गया है. इसकी शिकायत भी चुनाव आयोग में की गई है. मंगलवार रात तक मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया है.