जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान होगा. भाजपा के कुछ ऐसे भी विधायक हैं जो संभवत: इन चुनावों में स्वयं मतदान ना कर पाएं. भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान हुए मतदान के प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल के दौरान कुछ उम्रदराज विधायकों के वोट गलती के कारण 2 बार खारिज हो गए. ये वो विधायक थे जिनके हाथों में शिथिलता और नजरें कमजोर हैं. अब भाजपा नियमानुसार ऐसे विधायकों के साथ अटेंडेंट भेज सकती (Assistant for BJP MLAs in Rajya Sabha Election) है.
इन विधायकों के मॉक ड्रिल के दौरान हुए वोट खारिज: बीजेपी विधायकों का जयपुर के होटल देवी रतन में अभ्यास वर्ग चल रहा है और इसी में प्रतिदिन राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान का प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल होता है. बताया जा रहा है कि इस मॉक ड्रिल के दौरान ही वरिष्ठ विधायक सूर्यकांता व्यास और पूराराम चौधरी के वोट दो बार खारिज हो गए.
इन विधायकों के साथ मतदान में लगाया जा सकता है सहायक: व्यास और चौधरी के वोट मॉक ड्रिल के दौरान खारिज हो गए. इसकी वजह उनका शारीरिक रूप से अस्वस्थ होना है. सूर्यकांता व्यास 6 बार की विधायक हैं, लेकिन उनकी उम्र करीब 80 वर्ष से अधिक है. बताया जा रहा है उनके हाथों में कंपन्न की समस्या है. साथ ही उनकी आंखें भी कमजोर हैं. ऐसे में उनका मेडिकल आधार पर नियमानुसार उन्हें सहायक उपलब्ध कराया जा सकता है. वहीं वरिष्ठ विधायक पूराराम चौधरी भी करीब 68 वर्ष की उम्र के हैं और उनके हाथों में भी कंपन्न की समस्या है.
हालांकि भाजपा अब तक पशोपेश में है कि इन विधायकों के साथ मतदान के दौरान सहायक लगाए जाए या नहीं. संभवत: मतदान के दिन ही इसका निर्णय लिया जाएगा और वरिष्ठ विधायक सूर्यकांता व्यास के साथ तो सहायक लगाने की संभावना बहुत ज्यादा है. वो इसलिए क्योंकि इन चुनाव में हर एक विधायक का वोट भाजपा प्रत्याशी के लिए काफी महत्वपूर्ण है और उसमें थोड़ी सी भी चूक परिणाम पलट सकती है. यदि विधायकों के साथ मतदान के दौरान सहायक लगाया जाता है, तो फिर यह उनकी सहायता से ही मतदान करेंगे. मतलब मतदान तो विधायक अपनी मर्जी से ही करेंगे, लेकिन उस मतपत्र में डालने व अन्य कार्य में यह सहायक उनकी मदद करेंगे.
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ये है नियम: निर्वाचन से जुड़े नियमों में भी इसका प्रावधान है. बीजेपी विधि विभाग से जुड़े पदाधिकारी कहते हैं कि नियम अनुसार मतदान करने में यदि शारीरिक रूप से किसी विधायक को समस्या है, तो वो नियमों के अनुसार एक सहायक साथ में रख सकता है. लेकिन उससे पहले उसे संबंधित बीमारी जिसके चलते वह मतदान की प्रक्रिया स्वयं पूर्ण करने में असक्षम है, उसकी अधिकृत जानकारी और प्रमाण पत्र देने होंगे. राज्यसभा चुनाव में मतदान के दौरान यदि किसी विधायक को शारीरिक अस्वस्थता के चलते सहायक रखना हो, तो एक फॉर्म भरना पड़ता है, जिसमें अपने स्वास्थ्य से जुड़े चिकित्सा प्रमाण पत्र भी लगाने पड़ते हैं. इसके आधार पर निर्वाचन विभाग के अधिकारी इसकी स्वीकृति देते हैं. यहां आपको बता दें कि राज्यसभा के चुनाव में राजस्थान में बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी के रूप में अपना अधिकृत प्रत्याशी खड़ा किया है. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी डॉ सुभाष चंद्रा को समर्थन दिया है. हर एक प्रत्याशी को जीत लेने के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए और बीजेपी के पास कुल 71 विधायकों के वोट हैं.