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कई घातक बीमारियों के लिए रामबाण है तुलसी, गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा...राजस्थान सरकार घर-घर में करेगी वितरित

कोरोना काल में औषधीय पौधों (medicinal plants) का उपयोग बढ़ा है. इसी को देखते हुए सरकार औषधीय बांटे गई. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय जैसे कई पौधों में कैंसर, गठिया रोग, उच्च रक्तचाप सहित कई बीमारियों से लड़ने के गुण है.

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Published : Aug 10, 2021, 10:03 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 10:45 PM IST

medicinal plants, Jaipur news
राजस्थान सरकार वितरित करेगी औषधीय पौधें

जयपुर. तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ को आयुर्वेद चिकित्सा में दिव्य औषधियों में शामिल है. इन औषधियों को ताजा इस्तेमाल करना गुणकारी होता है. यही वजह है कि अब गहलोत सरकार घर-घर तक इन औषधीय पौधों को पहुंचा रही है. हालांकि, इनका औषधीय प्रयोग करने से पहले चिकित्सकीय सलाह आवश्यक है.

कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधीय पौधों से इम्यूनिटी बढ़ाने के उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार (Rajasthan Government) घर-घर औषधीय पौधे वितरण करने जा रही है. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ जैसे पौधों को हर घर तक पहुंचाने की कवायद है. इसका क्या फायदा है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से खास बातचीत की.

वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से बातचीत पार्ट-1

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी इस्तेमाल होती है तुलसी

धार्मिक आस्था के कारण घरों में तुलसी का पौधा मिल ही जाता है. तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार श्री तुलसी और श्यामा तुलसी होती है. इसका लैटिन नाम 'ओसिमम सैंकटम' है. ये संक्रमण के प्रति, रोग क्षमत्व शक्ति कारक है. सर्दी, जुकाम, खांसी, वायरल बुखार, मलेरिया बुखार, माइग्रेन का दर्द, साईनुसाईटिस, वात व्याधि, गठिया रोग, उच्च रक्तचाप में कारगर है. इसके अलावा यौन रोग में भी तुलसी काम करती है. छोटे कीड़े काटने पर तुलसी को पीसकर लगाने से भी तुरंत राहत मिलती है. यही नहीं तुलसी का प्रयोग कैंसर जैसे जटिल बीमारी में भी दही के साथ किया जाता है. तुलसी के साथ-साथ गिलोय का काढा बनाकर कोरोना काल में आम जनता को भी दिया गया था.

वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से बातचीत पार्ट-2

अंतरंग ज्वर के लिए कारगर औषधि है गिलोय

गिलोय रसायन औषधि है. ये बेल होती है और किसी दीवार, पिल्लर, या दूसरे पेड़ के उपर चढ़ती है. ये बहुत जल्दी बढ़ने वाली लता है. जिस पेड़ पर चढ़ती है. उसके भी औषधीय गुण इसमें समाहित हो जाते हैं. अधिकतर नीम पर आरोहित होती है, इसीलिए इसका प्रचलित नाम 'नीम गिलोय' है. इसका लैटिन नाम 'टिनोस्पोरा कोरडिफोलिया' है. कोरोना वायरस संक्रमण काल में प्रतिषेधात्मक रूप में डंठल का काढ़ा घर-घर में सेवन किया गया.

यह भी पढ़ें. आयुर्वेद पर बढ़ा विश्वास, भीलवाड़ा में ढाई लाख परिवार को 21 लाख औषधीय पौधे किये जाएंगे वितरित

गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमतावर्धक, जीवाणु और विषाणु नाशक है. अंतर्रंग ज्वर की गिलोय परम औषधि है. लाईफ स्टाईल डिजीज मधुमेह, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, नियंत्रित रहते हैं. मूत्र रोग, बवासीर से रक्तस्राव, रक्तपित्त, पित्त दोष वृद्धि जन्य व्याधियों को भी शांत करती है.

मानसिक और शारीरिक शक्तिवर्द्धक है अश्वगंधा

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अश्वगंधा भी रसायन औषधि है. ये मुख्य रूप से राजस्थान में उत्पन्न होने वाली वनौषधि है. इसका लैटिन नाम 'विदानिया सोमिनिफेरा' है. अश्वगंधा में शारिरिक और मानसिक शक्तिवर्धक गुण होते हैं. ये अनिद्रा, तनाव, अवसाद, स्मरण शक्ति क्षीण होने जैसे विभिन्न रोगों के उपचार में कारगर है. संधिशूल, सूजन, गठिया, महिलाओं के रोग श्वेत प्रदर में लाभकारी है. पुरुषों में यौन समस्या, इन्द्रीय दुर्बलता, ध्वजभंग रोग दूर होते हैं.

यह भी पढ़ें. Special : घरों तक पहुंचने से पहले ही हजारों औषधीय पौधों ने पौधशालाओं में 'तोड़ा दम', जानें वजह

कालमेघ यकृत की परम औषधि

कालमेघ का लेटिन नाम 'इंडोग्रेफिस पैनिकुलेटा' है. कालमेघ आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक, एन्टी वायरल, एन्टी एलर्जिक, एन्टी ट्यूमर होता है. बुखार, मलेरिया, टायफाइड को शमन करता है. लंबे समय तक रहने वाले बुखार के कारण यकृत कमजोर हो जाता है, तिल्ली बढ़ जाती है. जिसके कारण पीलिया जैसी विकृतियां हो जाती है. इनके उपचार के लिए कालमेघ असरदार औषधि है. लिवर (यकृत) कमजोरी को ठीक करने वाली औषधियों में कालमेघ मुख्य औषधि है. हेपेटाइटिस बी और त्वचा संबंधी व्याधियों को भी दूर करती है.

बता दें कि जिला प्रशासन, वन विभाग और नगरीय निकायों को के जरिए घर-घर में औषधीय गुण वाले तुलसी, गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा के दो-दो पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे. प्रथम चरण में जयपुर शहर के करीब 3 लाख परिवारों को ये पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. वहीं बचे हुए परिवारों को द्वितीय चरण में ये पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.

जयपुर. तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ को आयुर्वेद चिकित्सा में दिव्य औषधियों में शामिल है. इन औषधियों को ताजा इस्तेमाल करना गुणकारी होता है. यही वजह है कि अब गहलोत सरकार घर-घर तक इन औषधीय पौधों को पहुंचा रही है. हालांकि, इनका औषधीय प्रयोग करने से पहले चिकित्सकीय सलाह आवश्यक है.

कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधीय पौधों से इम्यूनिटी बढ़ाने के उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार (Rajasthan Government) घर-घर औषधीय पौधे वितरण करने जा रही है. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ जैसे पौधों को हर घर तक पहुंचाने की कवायद है. इसका क्या फायदा है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से खास बातचीत की.

वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से बातचीत पार्ट-1

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी इस्तेमाल होती है तुलसी

धार्मिक आस्था के कारण घरों में तुलसी का पौधा मिल ही जाता है. तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार श्री तुलसी और श्यामा तुलसी होती है. इसका लैटिन नाम 'ओसिमम सैंकटम' है. ये संक्रमण के प्रति, रोग क्षमत्व शक्ति कारक है. सर्दी, जुकाम, खांसी, वायरल बुखार, मलेरिया बुखार, माइग्रेन का दर्द, साईनुसाईटिस, वात व्याधि, गठिया रोग, उच्च रक्तचाप में कारगर है. इसके अलावा यौन रोग में भी तुलसी काम करती है. छोटे कीड़े काटने पर तुलसी को पीसकर लगाने से भी तुरंत राहत मिलती है. यही नहीं तुलसी का प्रयोग कैंसर जैसे जटिल बीमारी में भी दही के साथ किया जाता है. तुलसी के साथ-साथ गिलोय का काढा बनाकर कोरोना काल में आम जनता को भी दिया गया था.

वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से बातचीत पार्ट-2

अंतरंग ज्वर के लिए कारगर औषधि है गिलोय

गिलोय रसायन औषधि है. ये बेल होती है और किसी दीवार, पिल्लर, या दूसरे पेड़ के उपर चढ़ती है. ये बहुत जल्दी बढ़ने वाली लता है. जिस पेड़ पर चढ़ती है. उसके भी औषधीय गुण इसमें समाहित हो जाते हैं. अधिकतर नीम पर आरोहित होती है, इसीलिए इसका प्रचलित नाम 'नीम गिलोय' है. इसका लैटिन नाम 'टिनोस्पोरा कोरडिफोलिया' है. कोरोना वायरस संक्रमण काल में प्रतिषेधात्मक रूप में डंठल का काढ़ा घर-घर में सेवन किया गया.

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गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमतावर्धक, जीवाणु और विषाणु नाशक है. अंतर्रंग ज्वर की गिलोय परम औषधि है. लाईफ स्टाईल डिजीज मधुमेह, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, नियंत्रित रहते हैं. मूत्र रोग, बवासीर से रक्तस्राव, रक्तपित्त, पित्त दोष वृद्धि जन्य व्याधियों को भी शांत करती है.

मानसिक और शारीरिक शक्तिवर्द्धक है अश्वगंधा

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अश्वगंधा भी रसायन औषधि है. ये मुख्य रूप से राजस्थान में उत्पन्न होने वाली वनौषधि है. इसका लैटिन नाम 'विदानिया सोमिनिफेरा' है. अश्वगंधा में शारिरिक और मानसिक शक्तिवर्धक गुण होते हैं. ये अनिद्रा, तनाव, अवसाद, स्मरण शक्ति क्षीण होने जैसे विभिन्न रोगों के उपचार में कारगर है. संधिशूल, सूजन, गठिया, महिलाओं के रोग श्वेत प्रदर में लाभकारी है. पुरुषों में यौन समस्या, इन्द्रीय दुर्बलता, ध्वजभंग रोग दूर होते हैं.

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कालमेघ यकृत की परम औषधि

कालमेघ का लेटिन नाम 'इंडोग्रेफिस पैनिकुलेटा' है. कालमेघ आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक, एन्टी वायरल, एन्टी एलर्जिक, एन्टी ट्यूमर होता है. बुखार, मलेरिया, टायफाइड को शमन करता है. लंबे समय तक रहने वाले बुखार के कारण यकृत कमजोर हो जाता है, तिल्ली बढ़ जाती है. जिसके कारण पीलिया जैसी विकृतियां हो जाती है. इनके उपचार के लिए कालमेघ असरदार औषधि है. लिवर (यकृत) कमजोरी को ठीक करने वाली औषधियों में कालमेघ मुख्य औषधि है. हेपेटाइटिस बी और त्वचा संबंधी व्याधियों को भी दूर करती है.

बता दें कि जिला प्रशासन, वन विभाग और नगरीय निकायों को के जरिए घर-घर में औषधीय गुण वाले तुलसी, गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा के दो-दो पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे. प्रथम चरण में जयपुर शहर के करीब 3 लाख परिवारों को ये पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. वहीं बचे हुए परिवारों को द्वितीय चरण में ये पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.

Last Updated : Aug 10, 2021, 10:45 PM IST
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