जयपुर. देश भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है और इस बीच राजस्थान पुलिस ने एक आदेश निकाल कर जयपुर शहर के अंतर्गत 24 घंटे भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. यानि अब शहर में 24 घंटे भारी वाहनों की नो एंट्री रहेगी.
राजस्थान पुलिस के इस आदेश का ट्रांसपोर्ट और कई यूनियन लगातार विरोध कर रहे हैं. वहीं, अब प्रदेश के परिवहन मंत्री ने भी खुद इस आदेश का विरोध किया है. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस आदेश को लेकर बयान दिया कि इस संबंध में जयपुर पुलिस कमिश्नर को बोल दिया गया है. यह नो एंट्री का आदेश उनको वापस लेना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि जयपुर पुलिस ने यह आदेश जल्दबाजी में निकाला है. उनको यह ऑर्डर निकालने का भी अधिकार नहीं है. परिवहन मंत्री ने कहा कि इस तरीके से आर्डर नहीं निकाले जाते हैं. लोकतंत्र में ऐसे आर्डर निकालने से पहले उनको परिवहन मंत्री से पूछना चाहिए था. परिवहन मंत्री ने कहा कि ऐसा आर्डर निकालने से पहले पुलिस के आला अधिकारियों को परिवहन विभाग के अधिकारियों, ट्रक ऑपरेटर्स और व्यापार मंडलों को बुलाकर बातचीत करनी चाहिए थी.
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जिसके बाद इस तरह का आदेश निकालना चाहिए था. प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में यह आदेश निकालना बिल्कुल गलत है. इस दौरान परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पुलिस के आला अधिकारी सहित सभी अधिकारियों पर जमकर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के भरोसे सरकार नहीं चलती, सरकार जनता के आशीर्वाद से चलती है.
ऐसे में यदि कोई भी अधिकारी गहलोत सरकार में अपने आप को सरकार से बड़ा समझता है, तो वह उसकी गलतफहमी है और उसे गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए. वहीं, खाचरियावास ने पुलिस के आला अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि रात 12:00 बजे से सुबह 5:00 बजे के बीच यदि कोई गाड़ी शहर में आ रही है, तो वह क्या पुलिस वालों के घर में थोड़ी आ रही है.
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उन्होंने कहा कि पुलिस को इस बात को समझना चाहिए और परिवहन मंत्री से बातचीत कर या परिवहन विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर उनको आदेश निकालना चाहिए था. खाचरियावास ने अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत सरकार में किसी भी अधिकारी को मनमानी और तानाशाही करने का अधिकार नहीं है.
खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा कहते हैं कि सभी अधिकारी जनता के हित में काम करेंगे. ऐसे में अब पुलिस कमिश्नर को यह आदेश वापस लेकर ट्रांसपोर्टर्स को राहत देनी होगी. यदि पुलिस विभाग यह कार्य नहीं करेगा तो परिवहन मंत्रालय के स्तर पर मीटिंग बुलाकर यह आदेश वापस लिया जाएगा.