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श्रमिक बसों का एक रुपया भी नहीं लिया, 36 लाख का बिल भी यूपी परिवहन निगम की ओर से मांगा गया थाः खाचरियावास

राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के मंगवाने पर 36 लाख रुपए के बिल डीजल भरवाने के एवज में भेजे गए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार ने श्रमिक बसों का एक रुपया भी नहीं लिया है. साथ ही राजस्थान ने उत्तर प्रदेश गए श्रमिकों पर 2 करोड़ 6 लाख रुपए खर्चा किया.

प्रताप सिंह खाचरियावास, Bus politics,  Jaipur News
बस पॉलिटिक्स पर बोले मंत्री खाचरियावास
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Published : May 22, 2020, 4:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चल रही बस पॉलिटिक्स में शुक्रवार को राजस्थान की सरकार और संगठन मिलकर आरोपों का जवाब देने पहुंचे. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और जयपुर जिला अध्यक्ष व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास तमाम सवालों का जवाब देते दिखाई दिए.

बस पॉलिटिक्स पर बोले मंत्री खाचरियावास

इस दौरान मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, पहले तो योगी सरकार प्रियंका गांधी की बसों को स्वीकार करती है और उसके बाद कहते हैं कि यह बसें कबाड़ हैं, उनकी फिटनेस नहीं है और लाइसेंस डिबार हो चुका है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने जब परमिशन दी थी तो इस तरीके की शर्तें नहीं लगाई गई थी.

पढ़ें- बस पॉलिटिक्स पर बोले पायलट, कहा- बसों से सरकार का कोई लेना देना नहीं

'केंद्र सरकार के नियम की अवहेलना'

खाचरियावास ने कहा कि बसों के पेपर मांग कर उन्होंने केंद्र सरकार के निर्णय की भी अवहेलना की है, जिसमें केंद्र सरकार ने साफ लिखा है कि 30 जून तक किसी से पेपर फॉर्मेलिटी लेने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि इसी आदेश के अनुसार राजस्थान में भी यूपी की बसों को एंट्री दी जा रही है.

'यूपी से नहीं मांगे डीजल के पैसे'

वहीं, मंत्री खाचरियावास ने बिल की बात पर कहा, कि यूपी और राजस्थान दोनों में परिवहन निगम है जो आपस में कई बार म्युचुअली डीजल-पेट्रोल एक दूसरे राज्यों की बसों में भरवाते हैं. इसके लिए फोन पर बात ही नहीं हुई, बल्कि यूपी के प्रबंध निदेशक राजशेखर की ओर से राजस्थान रोडवेज के सीएमडी नवीन जैन को लिखा गया था. इसके बाद भी राजस्थान में यूपी से डीजल के पैसे नहीं मांगे बल्कि यूपी की ओर से ही 27 अप्रैल को यह लेटर आया कि बिल भिजवा दिया जाए. जिसके बाद बिल भिजवा दिया गया.

'19 लाख का भुगतान यूपी की ओर से किया गया'

प्रताप सिंह ने कहा कि 36 लाख के बिल में से 19 लाख का भुगतान उत्तर प्रदेश की ओर से कर भी दिया गया. उन्होंने कहा कि राजस्थान की ओर से आगे से पैसे नहीं मांगे गए और वैसे भी राजस्थान सरकार की ओर से चलाई जा रही श्रमिक बसें जो यूपी में जा रही है, उसके लिए अब तक 2 करोड़ 6 लाख राजस्थान की ओर से खर्च किए गए हैं जो किसी से नहीं लिए गए.

पढ़ें- गहलोत सरकार ने कोटा में फंसे बच्चों को यूपी की सीमा तक भेजने के बदले यूपी सरकार को भेजा 36 लाख का बिल

खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से अलवर, भरतपुर, करौली और दौसा से बसें किराए पर ली गई और उनकी लिस्ट भेज दी गई. यूपी सरकार ने इन बसों का हैंडओवर मांगा जो नहीं किया जा सकता था, फिर भी यह शर्त यूपी सरकार की मानी गई. लेकिन उसके बावजूद उन बसों को लौटा दिया गया और यह ब्लेम किया गया कि बॉर्डर पर राजस्थान से सरकारी बसें भेजी गई है.

एक भी बस सरकारी नहीं थीः खाचरियावास

मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि इनमें से एक भी बस सरकारी नहीं थी, यह बसें लोक परिवहन की बसें थी जो पिछली सरकार के समय शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि यूपी में बसों को लेकर जमकर राजनीति हो रही है, हालात यह है कि राजस्थान रोडवेज की बस उत्तर प्रदेश के हाथरस में यूपी के श्रमिकों को छोड़कर आती है. उन श्रमिकों को यूपी प्रशासन ट्रकों भरकर भिजवाता है और उसी ट्रक का एक्सीडेंट हो जाता है और आरोप राजस्थान पर लगाए जाते हैं.

जयपुर. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चल रही बस पॉलिटिक्स में शुक्रवार को राजस्थान की सरकार और संगठन मिलकर आरोपों का जवाब देने पहुंचे. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और जयपुर जिला अध्यक्ष व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास तमाम सवालों का जवाब देते दिखाई दिए.

बस पॉलिटिक्स पर बोले मंत्री खाचरियावास

इस दौरान मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, पहले तो योगी सरकार प्रियंका गांधी की बसों को स्वीकार करती है और उसके बाद कहते हैं कि यह बसें कबाड़ हैं, उनकी फिटनेस नहीं है और लाइसेंस डिबार हो चुका है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने जब परमिशन दी थी तो इस तरीके की शर्तें नहीं लगाई गई थी.

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'केंद्र सरकार के नियम की अवहेलना'

खाचरियावास ने कहा कि बसों के पेपर मांग कर उन्होंने केंद्र सरकार के निर्णय की भी अवहेलना की है, जिसमें केंद्र सरकार ने साफ लिखा है कि 30 जून तक किसी से पेपर फॉर्मेलिटी लेने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि इसी आदेश के अनुसार राजस्थान में भी यूपी की बसों को एंट्री दी जा रही है.

'यूपी से नहीं मांगे डीजल के पैसे'

वहीं, मंत्री खाचरियावास ने बिल की बात पर कहा, कि यूपी और राजस्थान दोनों में परिवहन निगम है जो आपस में कई बार म्युचुअली डीजल-पेट्रोल एक दूसरे राज्यों की बसों में भरवाते हैं. इसके लिए फोन पर बात ही नहीं हुई, बल्कि यूपी के प्रबंध निदेशक राजशेखर की ओर से राजस्थान रोडवेज के सीएमडी नवीन जैन को लिखा गया था. इसके बाद भी राजस्थान में यूपी से डीजल के पैसे नहीं मांगे बल्कि यूपी की ओर से ही 27 अप्रैल को यह लेटर आया कि बिल भिजवा दिया जाए. जिसके बाद बिल भिजवा दिया गया.

'19 लाख का भुगतान यूपी की ओर से किया गया'

प्रताप सिंह ने कहा कि 36 लाख के बिल में से 19 लाख का भुगतान उत्तर प्रदेश की ओर से कर भी दिया गया. उन्होंने कहा कि राजस्थान की ओर से आगे से पैसे नहीं मांगे गए और वैसे भी राजस्थान सरकार की ओर से चलाई जा रही श्रमिक बसें जो यूपी में जा रही है, उसके लिए अब तक 2 करोड़ 6 लाख राजस्थान की ओर से खर्च किए गए हैं जो किसी से नहीं लिए गए.

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खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से अलवर, भरतपुर, करौली और दौसा से बसें किराए पर ली गई और उनकी लिस्ट भेज दी गई. यूपी सरकार ने इन बसों का हैंडओवर मांगा जो नहीं किया जा सकता था, फिर भी यह शर्त यूपी सरकार की मानी गई. लेकिन उसके बावजूद उन बसों को लौटा दिया गया और यह ब्लेम किया गया कि बॉर्डर पर राजस्थान से सरकारी बसें भेजी गई है.

एक भी बस सरकारी नहीं थीः खाचरियावास

मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि इनमें से एक भी बस सरकारी नहीं थी, यह बसें लोक परिवहन की बसें थी जो पिछली सरकार के समय शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि यूपी में बसों को लेकर जमकर राजनीति हो रही है, हालात यह है कि राजस्थान रोडवेज की बस उत्तर प्रदेश के हाथरस में यूपी के श्रमिकों को छोड़कर आती है. उन श्रमिकों को यूपी प्रशासन ट्रकों भरकर भिजवाता है और उसी ट्रक का एक्सीडेंट हो जाता है और आरोप राजस्थान पर लगाए जाते हैं.

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