जयपुर. राजधानी जयपुर की ट्रैफिक पुलिस मोबाइल कैमरे का इस्तेमाल करते हुए नो पार्किंग में खड़े वाहनों की फोटो खींचकर उसका चालान काट रही है. इसके साथ ही वाहन के मालिक को व्हाट्सएप और टेक्स्ट मैसेज के जरिए चालान कटने का नोटिस भेज रही है. 3 महीने पहले जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने बॉडी वॉर्न कैमरे के जरिए नो पार्किंग में खड़े वाहनों का चालान काटना शुरू किया था. लेकिन उसमें मैन पावर काफी लग रही थी. बॉडी वॉर्न कैमरे से फोटो लेने के बाद ट्रैफिक पुलिसकर्मी ट्रैफिक कंट्रोल रूम आता और फिर उसकी फोटो कंप्यूटर में डाली जाती और फिर चालान बनाया जाता है ऐसे में समय अधिक लगता.
पढ़ें- जयपुर में जाम और पार्किंग की समस्या को हल करने के लिए इमारतों पर होगी कार्रवाई
ऐसे में मैन पावर को बचाने के लिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस के आला अधिकारियों ने एनआईसी एप में संशोधन कर मोबाइल कैमरे का प्रयोग कर चालान काटने की नई व्यवस्था शुरू की. अब जयपुर ट्रैफिक पुलिसकर्मी मोबाइल कैमरे का प्रयोग कर नो पार्किंग में खड़े वाहनों की फोटो क्लिक कर उसे ट्रैफिक कंट्रोल रूम को भेजते हैं. ट्रैफिक कंट्रोल रूम में कंप्यूटर पर फोटो को ओपन कर जूम करके देखा जाता है कि क्या वाकई में वाहन नो पार्किंग में खड़ा है और फिर नो पार्किंग में खड़े वाहनों का चालान कंप्यूटर पर ही जनरेट किया जाता है.
जयपुर ट्रैफिक पुलिस का सिस्टम आरटीओ के सिस्टम से जुड़ा हुआ है और जिस भी वाहन का चालान बनाया जाता है. उसके नंबर डालते ही वाहन के मालिक की सारी जानकारी ट्रैफिक कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी को मिल जाती है. वाहन के मालिक के मोबाइल नंबर भी ट्रैफिक पुलिस को आरटीओ के डेटाबेस से प्राप्त हो जाते हैं और फिर उस नंबर पर चालान की जानकारी व्हाट्सएप और टेक्स्ट मैसेज के जरिए भेजी जाती है.
सड़क पर वाहन खड़ा कर इंतजार करने पर भी कटेगा चालान
यदि आप वाहन को सड़क पर खड़ा कर किसी का इंतजार कर रहे हैं और कार के अंदर मौजूद भी हैं तो भी जयपुर ट्रैफिक पुलिस आपका चालान काटेगी. डीसीपी ट्रैफिक राहुल प्रकाश ने बताया कि एमवी एक्ट में इस चीज का उल्लेख किया गया है कि सड़क पर वाहन को किसी व्यक्ति को उतारने या चढ़ाने के लिए रोका जाता है तो उसका चालान नहीं काटा जा सकता.
पढ़ें- अब कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल भी कर सकेंगे अनुसंधान, पहले परीक्षा करनी होगी पास
वहीं यदि वाहन को सड़क पर खड़ा कर किसी का इंतजार किया जाए तो उसका चालान काटा जा सकता है. ऐसे में यदि गाड़ी के अंदर चालक व अन्य लोग भी बैठे हो तो भी उनका चालान काटा जाता है. डीसीपी ट्रेफिक राहुल प्रकाश ने बताया कि राजधानी में औसतन रोजाना 1000 से 1200 लोगों के चालान मोबाइल कैमरे के जरिए काटे जा रहे हैं. जो सड़क पर अपने वाहन को खड़ा कर काफी देर तक किसी का इंतजार करते हैं. मोबाइल कैमरे से चालान काटने के बाद वाहन के मालिक को व्हाट्सएप के जरिए और टेक्स्ट मैसेज के जरिए चालान की जानकारी भेजी जाती है. 40 से 50% लोग चालान जमा भी करवा देते हैं और जो लोग चालान जमा नहीं करवाते फिर उनके घर पर नोटिस भेजा जाता है.