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जयपुर शहर पर अपनी मूंछ फिर से पनाने में जुटी भाजपा - Congress

लोकसभा चुनाव के मैदान में जयपुर शहर सीट खास बन गई है. भाजपा के गढ़ वाली इस सीट पर कांग्रेस जहां अपना परचम लहराने में जुटी है. वहीं, भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करते हुए अपने गढ़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश में लगी है....

जयपुर शहर लोकसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बीच है कड़ा मुकाबला।
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Published : Apr 10, 2019, 3:00 PM IST

जयपुर . लोकसभा चुनाव के मैदान में बिछी सियासी बिसात के बीच जयपुर शहर सीट खास बन गई है. भाजपा के गढ़ रहे जयपुर इस सीट पर रामचरण बोहरा और ज्योति खंडेलवाल के बीच होने वाले सियासी टक्कर पर हर कोई नजर बनाए हुए है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सेंध लगाने के बाद जहां अब लोकसभा चुनाव में भाजपा का गढ़ ढहाने की रणनीति बना रही है. वहीं, भाजपा इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाते हुए किलेबंदी को मजबूत करने की फिराक में लगी है.

दरअसल, प्रदेश की राजधानी जयपुर शहर सीट हमेशा से कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनी रही है. इस सीट पर अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वाधिक बार भाजपा को जीत हासिल हुई है. ऐसे में जयपुर शहर सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 1952 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस जहां इस सीट पर 4 बार जीत हासिल कर पाई है तो भाजपा का कब्जा सात बार रहा है. जयपुर में भाजपा की मजबूती के बीच सेंधमारी को लेकर कांग्रेस की कोशिश हमेशा बनी रही है. लेकिन, पार्टी को बड़ी कामयाबी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मिली थी. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जयपुर शहर में सेंध लगाते हुए 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद से कांग्रेस की उम्मीद लोकसभा चुनाव में इस सीट को लेकर बढ़ गई है. वहीं, भाजपा को बड़ा झटका लगा था. अब लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद और ब्राह्मण चेहरा रामचरण बोहरा पर दांव खेला है.

जबकि, कांग्रेस ने बड़ी चाल चलते हुए इस सीट पर पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल को मैदान में उतार दिया है. जिसके बाद रामचरण बोहरा और ज्योति खंडलेवाल के बीच कांटे का मुकाबला होने का आसार बन गया है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस सीट पर अब जातिगत समीकरण उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में सियासी राह इतनी आसान नहीं है. इस सीट को जीतने के लिए दांव दर दांव खेल रहे भाजपा और कांग्रेस भी जमीनी रणनीति को तैयार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. चुनावी रणनीति के बीच भाजपा मतदाताओं तक अपनी पहुंच को ज्यादा प्रभावी बनाने पर जहां जोर दे रही है. वहीं, उन सीटों पर भी खास तौर पर फोकस किया जा रहा है, जिनपर पार्टी को विधानसभा चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि हर विधानसभा में मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए शहर इकाई के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, कांग्रेस भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरा दम लगा रही है. पार्टी स्तर पर विधायकों के साथ ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं को जीत के टारगेट दिए गए हैं. साथ ही पार्टी के आलानेता इस सीट के बदलते समीकरणों पर नजर बनाए हुए हैं. इन समीकरणों के आधार आगे की रणनीति तैयार की जा रही है. आपको बता दें कि जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के महेश जोशी को 5 लाख वोटों के भारी अंतर से हराकर जयपुर में एकबार फिर बीजेपी का झंडा बुलंद किया था.
अब तक इन्हें मिली है जीत
आजादी के बाद अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर 7 बार भाजपा, 4 बार कांग्रेस, 3 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हो चुकी है.

जयपुर . लोकसभा चुनाव के मैदान में बिछी सियासी बिसात के बीच जयपुर शहर सीट खास बन गई है. भाजपा के गढ़ रहे जयपुर इस सीट पर रामचरण बोहरा और ज्योति खंडेलवाल के बीच होने वाले सियासी टक्कर पर हर कोई नजर बनाए हुए है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सेंध लगाने के बाद जहां अब लोकसभा चुनाव में भाजपा का गढ़ ढहाने की रणनीति बना रही है. वहीं, भाजपा इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाते हुए किलेबंदी को मजबूत करने की फिराक में लगी है.

दरअसल, प्रदेश की राजधानी जयपुर शहर सीट हमेशा से कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनी रही है. इस सीट पर अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वाधिक बार भाजपा को जीत हासिल हुई है. ऐसे में जयपुर शहर सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 1952 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस जहां इस सीट पर 4 बार जीत हासिल कर पाई है तो भाजपा का कब्जा सात बार रहा है. जयपुर में भाजपा की मजबूती के बीच सेंधमारी को लेकर कांग्रेस की कोशिश हमेशा बनी रही है. लेकिन, पार्टी को बड़ी कामयाबी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मिली थी. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जयपुर शहर में सेंध लगाते हुए 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद से कांग्रेस की उम्मीद लोकसभा चुनाव में इस सीट को लेकर बढ़ गई है. वहीं, भाजपा को बड़ा झटका लगा था. अब लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद और ब्राह्मण चेहरा रामचरण बोहरा पर दांव खेला है.

जबकि, कांग्रेस ने बड़ी चाल चलते हुए इस सीट पर पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल को मैदान में उतार दिया है. जिसके बाद रामचरण बोहरा और ज्योति खंडलेवाल के बीच कांटे का मुकाबला होने का आसार बन गया है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस सीट पर अब जातिगत समीकरण उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में सियासी राह इतनी आसान नहीं है. इस सीट को जीतने के लिए दांव दर दांव खेल रहे भाजपा और कांग्रेस भी जमीनी रणनीति को तैयार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. चुनावी रणनीति के बीच भाजपा मतदाताओं तक अपनी पहुंच को ज्यादा प्रभावी बनाने पर जहां जोर दे रही है. वहीं, उन सीटों पर भी खास तौर पर फोकस किया जा रहा है, जिनपर पार्टी को विधानसभा चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि हर विधानसभा में मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए शहर इकाई के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, कांग्रेस भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरा दम लगा रही है. पार्टी स्तर पर विधायकों के साथ ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं को जीत के टारगेट दिए गए हैं. साथ ही पार्टी के आलानेता इस सीट के बदलते समीकरणों पर नजर बनाए हुए हैं. इन समीकरणों के आधार आगे की रणनीति तैयार की जा रही है. आपको बता दें कि जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के महेश जोशी को 5 लाख वोटों के भारी अंतर से हराकर जयपुर में एकबार फिर बीजेपी का झंडा बुलंद किया था.
अब तक इन्हें मिली है जीत
आजादी के बाद अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर 7 बार भाजपा, 4 बार कांग्रेस, 3 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हो चुकी है.

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जयपुर शहर पर अपनी मूंछ फिर से पनाने में जुटी भाजपा





लोकसभा चुनाव के मैदान में जयपुर शहर सीट खास बन गई है. भाजपा के गढ़ वाली इस सीट पर कांग्रेस जहां अपना परचम लहराने में जुटी है. वहीं, भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करते हुए अपने गढ़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश में लगी है....



जयपुर . लोकसभा चुनाव के मैदान में बिछी सियासी बिसात के बीच जयपुर शहर सीट खास बन गई है. भाजपा के गढ़ रहे जयपुर इस सीट पर रामचरण बोहरा और ज्योति खंडेलवाल के बीच होने वाले सियासी टक्कर पर हर कोई नजर बनाए हुए है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सेंध लगाने के बाद जहां अब लोकसभा चुनाव में भाजपा का गढ़ ढहाने की रणनीति बना रही है. वहीं, भाजपा इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाते हुए किलेबंदी को मजबूत करने की फिराक में लगी है.

दरअसल, प्रदेश की राजधानी जयपुर शहर सीट हमेशा से कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनी रही है. इस सीट पर अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वाधिक बार भाजपा को जीत हासिल हुई है. ऐसे में जयपुर शहर सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 1952 से अब  तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस जहां इस सीट पर 4 बार जीत हासिल कर पाई है तो भाजपा का कब्जा सात बार रहा है. जयपुर में भाजपा की मजबूती के बीच सेंधमारी को लेकर कांग्रेस की कोशिश हमेशा बनी रही है. लेकिन, पार्टी को बड़ी कामयाबी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मिली थी. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जयपुर शहर में सेंध लगाते हुए 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद से कांग्रेस की उम्मीद लोकसभा चुनाव में इस सीट को लेकर बढ़ गई है. वहीं, भाजपा को बड़ा झटका लगा था. अब लोकसभा चुनाव के दौरान  इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद और ब्राह्मण चेहरा रामचरण बोहरा पर दांव खेला है. जबकि, कांग्रेस ने बड़ी चाल चलते हुए इस सीट पर पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल को मैदान में उतार दिया है. जिसके बाद रामचरण बोहरा और ज्योति खंडलेवाल के बीच कांटे का मुकाबला होने का आसार बन गया है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस सीट पर अब जातिगत समीकरण उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में सियासी राह इतनी आसान नहीं है. इस सीट को जीतने के लिए दांव दर दांव खेल रहे भाजपा और कांग्रेस  भी जमीनी रणनीति को तैयार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. चुनावी रणनीति के बीच भाजपा मतदाताओं तक अपनी पहुंच को ज्यादा प्रभावी बनाने पर जहां जोर दे रही है. वहीं, उन सीटों पर भी खास तौर पर फोकस किया जा रहा है, जिनपर पार्टी को विधानसभा चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि हर विधानसभा में मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए शहर इकाई के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, कांग्रेस भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरा दम लगा रही है. पार्टी स्तर पर विधायकों के  साथ ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं को जीत के टारगेट दिए गए हैं. साथ ही पार्टी के आलानेता इस सीट के बदलते समीकरणों पर नजर बनाए हुए हैं. इन समीकरणों के आधार आगे की रणनीति तैयार की जा रही है. आपको बता दें कि जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के महेश जोशी को 5 लाख वोटों के भारी अंतर से हराकर जयपुर में एकबार फिर बीजेपी का झंडा बुलंद किया था.

अब तक इन्हें मिली है जीत

आजादी के बाद अब तक हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर 7 बार भाजपा, 4 बार कांग्रेस,  3 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हो चुकी है.




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