जयपुर. माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चतुर्थी (Sakat Chauth 2022), माही चौथ या तिलकूट चौथ भी कहते हैं. इस बार तिलकूट चौथ शुक्रवार को मनाई जा रही है. आज महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश की पूजा कर उन्हें तिलकूट का भोग लगाएंगी और व्रत रखेंगी.
इस तरह करें पूजा और व्रत:
- प्रात:काल स्नान के बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें.
- चांदी के गणेश का अभिषेक करें.
- अगर चांदी के नहीं हो तो पीतल, तांबे, या मिट्टी के गणेश की भी पूजा कर सकते हैं। अगर वह भी नहीं तो तस्वीर की पूजा करें.
- भगवान गणेश को पीले वस्त्र चढ़ाएं.
- गणेश प्रतिमा को लाल रोली, कलावा, फूल, हल्दी, दुर्वा, चंदन, धूप, घी आदि पूजन सामग्री अर्पित करें.
- इसके बाद पूरा दिन निर्जल व्रत रखें. इस दिन तिल का विशेष महत्व है, तिल और गुड़ मिलाकर प्रसाद बनाएं तथा गणेश जी को भोग लगाएं.
- जरूरतमंदों को तिल, गुड़ आदि का दान दें.
- भगवान श्रीगणेश के मंत्रों का जाप करें.
- पूजा के साथ श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा का पाठ करें.
- रात में तिल के लड्डू का भोग चंद्रमा को भी लगाएं और इसी लड्डू से व्रत खोलें.
तिलकूट चौथ की व्रत कथा: पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे. तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए. उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेश जी भी बैठे थे. देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है. कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया. भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा. भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा.
इसी दौरान उन्हें एक उपाय सूझा. गणेश अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए. परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय खुद को विजेता बताने लगे. तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करने का कारण पूछा. तब गणेशजी ने कहा- 'माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है.' यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी. इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो उनका पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक, दैविक तथा भौतिक ताप दूर होंगे. इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी.