जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं का बिल राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 आज हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया है. हाईकोर्ट के इस निर्णय से राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री प्रभावित होंगे जिनमें कांग्रेस के जगन्नाथ पहाड़िया और भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शामिल हैं.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. जहां घनश्याम तिवाड़ी इसे अपनी जीत मान रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं को जायज ठहराया है. उन्होंने कहा कि राजनीति में मुख्यमंत्री के पद पर जो भी रह जाता है उसे उसके पद की गरिमा के अनुसार सुविधाएं मिलनी चाहिए.
ईटीवी भारत से डूडी ने कहा कि अगर कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति एक्स हो जाए तो क्या उन्हें सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व होता है कि जो भी इस पद पर पहुंचे, उसकी सुरक्षा, उसके व्यक्तित्व और उसकी सीट की गरिमा के तौर पर उसे सुविधाएं दी जानी चाहिए.
2017 में आए बिल के अनुसार यह सुविधाएं मिलती थी ये सुविधाएं
पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने 2017 में जो संशोधन बिल पास किया था उसके अनुसार 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला मिलेगा. यह बंगला या तो जिला मुख्यालय में होगा या फिर जयपुर में अगर कोई नेता इस सुविधा का लाभ नहीं उठाता है तो उसे इसके एवज में कहीं और उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अपने परिवार के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते थे.
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इस सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल वह राज्य के भीतर और राज्य के बाहर यात्रा के दौरान भी कर सकते थे. साथ ही वह मुफ्त टेलीफोन सुविधा के साथ-साथ 9 लोगों का स्टाफ दिए जाने का प्रावधान किया गया था. इनमें एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, एक लिपिक ग्रेड वन, दो सूचना सहायकों, एक चालक और तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल थे. यह सभी सुविधाएं वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को उनके वर्तमान सरकारी आवास सिविल लाइन्स बंगला नंबर- 13 पर मिल रही थीं. लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस बंगले को खाली कराया जाएगा.