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राजस्थान की राजनीति में अब मजबूत हो रहा तीसरा विकल्प...2023 के रण में आसान नहीं होगी कांग्रेस-भाजपा की राह - BTP

आरएलपी का मारवाड़ और नागौर व आसपास के क्षेत्र में प्रभाव दिखने लगा है. तो वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी जनजाति क्षेत्रों पर अपना प्रभाव दिखा रही है. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए 2023 के चुनावों में इन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को जिता कर लाना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

राजस्थान की राजनीति तीसरा विकल्प
राजस्थान की राजनीति तीसरा विकल्प
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Published : Nov 3, 2021, 4:32 PM IST

जयपुर. धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम भाजपा के लिए ही नहीं बल्कि राजनीति को समझने और जानने वालों के लिए भी चौंकाने वाले रहे. क्योंकि राजस्थान की दो दलीय राजनीतिक व्यवस्था में इस बार अन्य दलों ने भी दमखम दिखाया है.

हालांकि जीत दोनों स्थानों पर कांग्रेस को मिली लेकिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा दोनों ही सीटों पर दूसरे नंबर पर भी नहीं टिक पाई. मतलब साफ है कि साल 2023 के सियासी रण में तीसरे विकल्प जनता के लिए खुले रहेंगे.

वल्लभनगर में RLP का धमाल

इस उपचुनाव में वल्लभनगर सीट पर अप्रत्याशित रूप से आरएलपी प्रत्याशी उदय लाल डांगी दूसरे नंबर पर रहे और बीजेपी के प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला चौथे नंबर पर रहे. हिम्मत सिंह तो जमानत भी नहीं बचा पाए. आरएलपी यहां भाजपा के लिए वोट काटने वाली पार्टी बनी. क्योंकि उदय लाल डांगी भाजपा के ही बागी थे.

उदयपुर संभाग में अब तक आरएलपी का कोई जनाधार नहीं था. लेकिन वल्लभनगर सीट पर जिस तरह आरएलपी को वोट मिले, उसके बाद साल 2023 में यह उम्मीद की जा रही है कि आरएलपी अपने खाते में कुछ और सीटें जोड़ सकती है. वर्तमान में आरएलपी के तीन विधायक और एक सांसद राजस्थान में हैं.

पढ़ें- By-Election Results Effect : मुख्यमंत्री अब फ्री हैंड, मंत्रिमंडल फेरबदल मुश्किल..अब केवल विस्तार पर होगी बात

धरियावद में BTP का कमाल

धरियावद सीट पर कांग्रेस के नागराज मीणा जीते हैं. लेकिन दूसरे नंबर पर 51 हजार से अधिक वोट हासिल कर बीटीपी समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी थावरचंद डामोर रहे. मतलब इस क्षेत्र में भाजपा की स्थिति बीटीपी से भी गई बीती हो गई. यहां भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह मीणा तीसरे नंबर पर रहे. वर्तमान में राजस्थान में बीटीपी के दो विधायक हैं. ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में अगले विधानसभा चुनाव तक इन सीटों में इजाफा होने की संभावना नजर आने लगी है.

कांग्रेस-भाजपा के लिए आसान नहीं होगा 2023 का रण

राजस्थान अब तक दो दलीय व्यवस्था रही है. अब यह मिथक भले ही न टूटा हो लेकिन अन्य दलों की भूमिका अगले चुनाव में काफी बढ़ जाएगी. मतलब साफ है कि अगली बार मुकाबला भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही हो लेकिन प्रदेश की कई सीटों पर दखल अन्य दलों का भी रहेगा.

खास तौर पर आरएलपी का मारवाड़ और नागौर व आसपास के क्षेत्र में प्रभाव दिखने लगा है. तो वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी जनजाति क्षेत्रों पर अपना प्रभाव दिखा रही है. ऐसे में भाजपा कांग्रेस के लिए इन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को जिता कर लाना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

जयपुर. धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम भाजपा के लिए ही नहीं बल्कि राजनीति को समझने और जानने वालों के लिए भी चौंकाने वाले रहे. क्योंकि राजस्थान की दो दलीय राजनीतिक व्यवस्था में इस बार अन्य दलों ने भी दमखम दिखाया है.

हालांकि जीत दोनों स्थानों पर कांग्रेस को मिली लेकिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा दोनों ही सीटों पर दूसरे नंबर पर भी नहीं टिक पाई. मतलब साफ है कि साल 2023 के सियासी रण में तीसरे विकल्प जनता के लिए खुले रहेंगे.

वल्लभनगर में RLP का धमाल

इस उपचुनाव में वल्लभनगर सीट पर अप्रत्याशित रूप से आरएलपी प्रत्याशी उदय लाल डांगी दूसरे नंबर पर रहे और बीजेपी के प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला चौथे नंबर पर रहे. हिम्मत सिंह तो जमानत भी नहीं बचा पाए. आरएलपी यहां भाजपा के लिए वोट काटने वाली पार्टी बनी. क्योंकि उदय लाल डांगी भाजपा के ही बागी थे.

उदयपुर संभाग में अब तक आरएलपी का कोई जनाधार नहीं था. लेकिन वल्लभनगर सीट पर जिस तरह आरएलपी को वोट मिले, उसके बाद साल 2023 में यह उम्मीद की जा रही है कि आरएलपी अपने खाते में कुछ और सीटें जोड़ सकती है. वर्तमान में आरएलपी के तीन विधायक और एक सांसद राजस्थान में हैं.

पढ़ें- By-Election Results Effect : मुख्यमंत्री अब फ्री हैंड, मंत्रिमंडल फेरबदल मुश्किल..अब केवल विस्तार पर होगी बात

धरियावद में BTP का कमाल

धरियावद सीट पर कांग्रेस के नागराज मीणा जीते हैं. लेकिन दूसरे नंबर पर 51 हजार से अधिक वोट हासिल कर बीटीपी समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी थावरचंद डामोर रहे. मतलब इस क्षेत्र में भाजपा की स्थिति बीटीपी से भी गई बीती हो गई. यहां भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह मीणा तीसरे नंबर पर रहे. वर्तमान में राजस्थान में बीटीपी के दो विधायक हैं. ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में अगले विधानसभा चुनाव तक इन सीटों में इजाफा होने की संभावना नजर आने लगी है.

कांग्रेस-भाजपा के लिए आसान नहीं होगा 2023 का रण

राजस्थान अब तक दो दलीय व्यवस्था रही है. अब यह मिथक भले ही न टूटा हो लेकिन अन्य दलों की भूमिका अगले चुनाव में काफी बढ़ जाएगी. मतलब साफ है कि अगली बार मुकाबला भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही हो लेकिन प्रदेश की कई सीटों पर दखल अन्य दलों का भी रहेगा.

खास तौर पर आरएलपी का मारवाड़ और नागौर व आसपास के क्षेत्र में प्रभाव दिखने लगा है. तो वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी जनजाति क्षेत्रों पर अपना प्रभाव दिखा रही है. ऐसे में भाजपा कांग्रेस के लिए इन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को जिता कर लाना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

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