जयपुर. प्राथमिक डेयरी सहकारी समिति, प्राथमिक बुनकर संघ, महिला सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल के चुनाव के लिए पिछली वसुंधरा राजे सरकार में तय की गई शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान जल्द ही खत्म किया जा सकता है. पिछले दिनों इस संबंध में सहकारिता विभाग की ओर से नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर विधि विभाग को भेजा गया था, जिसे लो डिपार्टमेंट ने अपनी मंजूरी दे दी है. अब इसे कैबिनेट की मुहर का इंतजार है.
वहीं, गहलोत कैबिनेट इस प्रस्ताव पर मुहर लगाती है तो फिर प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान लागू नहीं रहेगा. सरकार यदि इस संबंध में निर्णय लेती है तो प्रदेश के करीब 33 हजार से ज्यादा सहकारी सोसायटियों को इसका सीधा फायदा मिलेगा.
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बता दें, एक करोड़ से ज्यादा सदस्य इन संस्थाओं से वर्तमान में जुड़े हुए हैं. करीब 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम इन संस्थानों के कारोबार का हिस्सा भी हैं. सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना सरकार में आते ही पिछली वसुंधरा राज्य सरकार के फैसले का विरोध कर चुके थे और अब पिछली सरकार में बनाया गया यह प्रावधान हटाने की दिशा में मौजूदा गहलोत सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है.
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दरअसल, पिछली वसुंधरा राज्य सरकार ने प्राथमिक डेयरी सहकारी समिति, प्राथमिक बुनकर संघ, महिला सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल के लिए पांचवी पास शैक्षणिक योग्यता लागू की थी. वहीं, विपणन सहकारी समिति, कृषि ऋण सहकारी समिति, नगरीय सहकारी समिति, वेतन अर्जन सहकारी समिति, सहकारी संघ और केंद्रीय सोसाइटीज के चुनाव के लिए 8वीं पास की शैक्षणिक योग्यता लागू की थी.