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अडानी ग्रुप के एयरपोर्ट संभालने के बाद जानिए क्या होंगे बदलाव?

जयपुर एयरपोर्ट समेत तीन एयरपोर्ट को पीपीपी मोड पर 50 साल के लिए निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को केंद्र सरकार के द्वारा बुधवार को मंजूरी दे दी गई है. एमओयू के बाद इन एयरपोर्ट के विकास संचालन का जिम्मा भी अडानी ग्रुप को संभालना होगा.

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जयपुर एयरपोर्ट
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Published : Aug 21, 2020, 1:25 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार के द्वारा बुधवार को जयपुर एयरपोर्ट समेत तीन एयरपोर्ट को पीपीपी मोड पर 50 साल के लिए निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी गई है. एमओयू के बाद इन एयरपोर्ट के विकास संचालन का जिम्मा भी अडानी ग्रुप को संभालना होगा. राज्य सरकार इसको लेकर आपत्ति जता चुकी है, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दिसंबर 2018 के अंतर्गत देश के लखनऊ, अहमदाबाद, मंगलुरू, जयपुर, गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के निजीकरण पर सहमति दी थी.

जानिए क्या होंगे बदलाव?

गत वर्ष फरवरी माह में अडानी ग्रुप ने जयपुर समेत छह एयरपोर्ट के लिए ज्यादा बोली लगाई थी और अडानी ग्रुप विजेता रहा था. हालांकि अडानी ग्रुप समूह को लखनऊ अहमदाबाद और बेंगलुरु को पीपीई मोड पर दे दिया था. लेकिन अब जयपुर गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम का भी अडानी ग्रुप के साथ एमओयू हो चुका है. इस ग्रुप को एयरपोर्ट की जिम्मेदारी सौंपने के बाद जयपुर एयरपोर्ट पर कई तरह के बदलाव भी आ जाएंगे.

पढ़ेंः जयपुर: स्मैक के साथ दो आरोपी गिरफ्तार, बाइक समेत 41 हजार रुपए जब्त

जयपुर एयरपोर्ट के लिए अडानी ग्रुप के द्वारा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को घरेलू यात्री के लिए ₹174 प्रति यात्री और अंतरराष्ट्रीय यात्री के लिए ₹348 प्रति यात्री भुगतान करने को लेकर बोली लगाई थी, जिसके बाद अडानी ग्रुप को अब जयपुर एयरपोर्ट की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है.

गौरतलब है कि जयपुर एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा का जिम्मा सरकार के पास ही रहेगा. जहां अभी तक सीआईएसएफ जयपुर एयरपोर्ट की बिल्डिंग और ए ट्रैफिक की सुरक्षा का जिम्मा उठाया बैठी है, तो वहीं आगे भी सीआईएसएफ के द्वारा ही वह जिम्मेदारी उठाई जाएगी.

पढ़ेंः 5 शादियां करने वाली लुटेरी दुल्हन गिरफ्तार

निजी कंपनी के कर्मचारी कर सकेंगे बदलाव-

बता दें कि जयपुर एयरपोर्ट को अडानी ग्रुप के सौंपने के बाद निजी कंपनी के कर्मचारी एयरपोर्ट पर बदलाव भी कर सकेंगे. डायरेक्टर समेत 100 से ज्यादा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कर्मचारी जयपुर एयरपोर्ट पर नहीं रहेंगे. यह मर्जी से निजी कंपनी में भी जुड़ सकते हैं. इन 100 कर्मचारी के अंतर्गत एयरपोर्ट के डायरेक्टर भी शामिल है. यदि एयरपोर्ट के डायरेक्टर अपनी मर्जी से निजी कंपनी के साथ जुड़ना चाहे तो वह जुड़ सकते हैं.

बदलेगी सूरत महंगी होंगी सुविधाएं-

एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निजी करण से यहां नए टर्मिनल, नई बिल्डिंग, टर्मिनल टू के दोनों तरफ भवन निर्माण, जगतपुरा की तरफ डॉमेस्टिक डिपार्चर और टोंक रोड की तरफ डॉमेस्टिक अराइवल, बिल्डिंग बनाई जाएगी. प्रत्येक बिल्डिंग में चार-चार एयरोब्रिज बनेंगे और अत्याधुनिक यात्री सुविधाएं और पार्किंग आदि विकसित होगी.

पढ़ेंः लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर अब तक 18,499 वाहन जब्त, 1.67 करोड़ रुपए वसूला जुर्माना

जिसकी जिम्मेदारी अदानी ग्रुप की होगी, लेकिन सूरत बदलने के साथ ही निजीकरण के बाद यात्री सुविधाएं भी महंगी हो जाएंगी. इसके साथ ही एयरपोर्ट अथॉरिटी में भी नौकरी पर संकट खड़ा हो जाएगा. क्योंकि विकास संचालन संपूर्ण जिम्मेदारी होगी प्रशासन की ओर से अधिकारी रहेंगे.

जयपुर. केंद्र सरकार के द्वारा बुधवार को जयपुर एयरपोर्ट समेत तीन एयरपोर्ट को पीपीपी मोड पर 50 साल के लिए निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी गई है. एमओयू के बाद इन एयरपोर्ट के विकास संचालन का जिम्मा भी अडानी ग्रुप को संभालना होगा. राज्य सरकार इसको लेकर आपत्ति जता चुकी है, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दिसंबर 2018 के अंतर्गत देश के लखनऊ, अहमदाबाद, मंगलुरू, जयपुर, गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के निजीकरण पर सहमति दी थी.

जानिए क्या होंगे बदलाव?

गत वर्ष फरवरी माह में अडानी ग्रुप ने जयपुर समेत छह एयरपोर्ट के लिए ज्यादा बोली लगाई थी और अडानी ग्रुप विजेता रहा था. हालांकि अडानी ग्रुप समूह को लखनऊ अहमदाबाद और बेंगलुरु को पीपीई मोड पर दे दिया था. लेकिन अब जयपुर गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम का भी अडानी ग्रुप के साथ एमओयू हो चुका है. इस ग्रुप को एयरपोर्ट की जिम्मेदारी सौंपने के बाद जयपुर एयरपोर्ट पर कई तरह के बदलाव भी आ जाएंगे.

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जयपुर एयरपोर्ट के लिए अडानी ग्रुप के द्वारा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को घरेलू यात्री के लिए ₹174 प्रति यात्री और अंतरराष्ट्रीय यात्री के लिए ₹348 प्रति यात्री भुगतान करने को लेकर बोली लगाई थी, जिसके बाद अडानी ग्रुप को अब जयपुर एयरपोर्ट की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है.

गौरतलब है कि जयपुर एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा का जिम्मा सरकार के पास ही रहेगा. जहां अभी तक सीआईएसएफ जयपुर एयरपोर्ट की बिल्डिंग और ए ट्रैफिक की सुरक्षा का जिम्मा उठाया बैठी है, तो वहीं आगे भी सीआईएसएफ के द्वारा ही वह जिम्मेदारी उठाई जाएगी.

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निजी कंपनी के कर्मचारी कर सकेंगे बदलाव-

बता दें कि जयपुर एयरपोर्ट को अडानी ग्रुप के सौंपने के बाद निजी कंपनी के कर्मचारी एयरपोर्ट पर बदलाव भी कर सकेंगे. डायरेक्टर समेत 100 से ज्यादा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कर्मचारी जयपुर एयरपोर्ट पर नहीं रहेंगे. यह मर्जी से निजी कंपनी में भी जुड़ सकते हैं. इन 100 कर्मचारी के अंतर्गत एयरपोर्ट के डायरेक्टर भी शामिल है. यदि एयरपोर्ट के डायरेक्टर अपनी मर्जी से निजी कंपनी के साथ जुड़ना चाहे तो वह जुड़ सकते हैं.

बदलेगी सूरत महंगी होंगी सुविधाएं-

एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निजी करण से यहां नए टर्मिनल, नई बिल्डिंग, टर्मिनल टू के दोनों तरफ भवन निर्माण, जगतपुरा की तरफ डॉमेस्टिक डिपार्चर और टोंक रोड की तरफ डॉमेस्टिक अराइवल, बिल्डिंग बनाई जाएगी. प्रत्येक बिल्डिंग में चार-चार एयरोब्रिज बनेंगे और अत्याधुनिक यात्री सुविधाएं और पार्किंग आदि विकसित होगी.

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जिसकी जिम्मेदारी अदानी ग्रुप की होगी, लेकिन सूरत बदलने के साथ ही निजीकरण के बाद यात्री सुविधाएं भी महंगी हो जाएंगी. इसके साथ ही एयरपोर्ट अथॉरिटी में भी नौकरी पर संकट खड़ा हो जाएगा. क्योंकि विकास संचालन संपूर्ण जिम्मेदारी होगी प्रशासन की ओर से अधिकारी रहेंगे.

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