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सरकार की नीतियों का खामियाजा भुगत रही आम जनता...प्रदेश में बिजली संकट, बढ़ रहा डिस्कॉम का घाटा...आखिर कैसे सुधरेंगे हालात? - 85 हजार करोड़ के घाटे में डिस्कॉम

राजस्थान डिस्कॉम का घाटा बढ़ाकर 85 हजार करोड़ से अधिक का हो गया है. ऐसे में इस बीच प्रदेश में बिजली संकट भी गहराने लगा है. इस मामले में ऊर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला कहते हैं कि बिजली की छीजत को कम कर घाटा कम किया जा रहा है.

बीडी कल्ला, Rajasthan News
बीडी कल्ला
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Published : Aug 20, 2021, 5:49 PM IST

जयपुर. प्रदेश में सरकारें बदलीं और उसके साथ बिजली कंपनियों के मैनेजमेंट भी बदलते गए, लेकिन साथ ही बढ़ता गया डिस्कॉम का घाटा. आज भी डिस्कॉम 85 हजार करोड़ से अधिक के घाटे से जूझ रहा है. इस पर भी सरकार की ओर से विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली सब्सिडी का डिस्कॉम को लंबे समय तक भुगतान नहीं होना भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम के घाटे को लेकर सियासत तो खूब होती है, लेकिन इसके समाधान का प्रयास केवल बयानों तक ही सीमित रहता है.

दरअसल, कृषि उपभोक्ता और लघु घरेलू जिसमें बीपीएल उपभोक्ता भी शामिल हैं, उन्हें सस्ती दर पर बिजली देने का वादा सरकार का है, लिहाजा उन्हें सस्ती दरों पर डिस्कॉम बिजली देता है और उसके एवज में सरकार अनुदान राशि का भुगतान डिस्कॉम को करती है. लेकिन, पिछले कुछ साल से डिस्कॉम को सब्सिडी की एवज में मिलने वाली राशि पूरी नहीं मिल पा रही है, जिससे डिस्कॉम का घाटा और बढ़ रहा है.

प्रदेश में बिजली संकट

क्योंकि डिस्कॉम को सब्सिडी पर बिजली तो देनी है, लेकिन यह खर्चा वहन करने के लिए भी डिस्कॉम को ऋण लेना पड़ रहा है और उसका ब्याज और भी भारी पड़ रहा है. प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण निगम कंपनियों की बात करें तो सब्सिडी की राशि 17 हजार 296 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, जिसका भुगतान समय पर नहीं होने के कारण डिस्कॉम की स्थिति और खराब हो रही है. ऊर्जा मंत्री भी इस बात को स्वीकार करते हैं लेकिन अब समय पर भुगतान की बात भी कहते हैं.

उत्पादन निगम को ही करना है करीब 20 हजार करोड़ का भुगतान

राजस्थान डिस्कॉम को तीनों कंपनियों को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से ली गई बिजली की एवज में 20 हजार करोड़ से भी अधिक का भुगतान करना है. लंबे समय से यह भुगतान बकाया चल रहा है, जिसके चलते लगातार उत्पादन निगम पर भी भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम की ओर से उत्पादन निगम को समय पर भुगतान नहीं होने के कारण ही प्रदेश में कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन की इकाइयों में कोयले की कमी आ गई है, क्योंकि उत्पादन निगम कोयले खरीद का समय पर भुगतान नहीं कर पाया. आलम यह है कि कालीसिंध सहित सूरतगढ़ की इकाइयों में तो उत्पादन बंद हो गया है, जिससे प्रदेश में बिजली का संकट भी एकदम से गहरा गया.

यह भी पढ़ेंः पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने फिर कसा राजस्थान बीजेपी नेताओं पर तंज, कहा- आखिर सत्य की जीत हुई

मंत्री बोले- छीजत कम करके दूर करेंगे घाटा

ऊर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला कहते हैं कि बिजली की छीजत को कम कर घाटा कम किया जा रहा है, लेकिन पिछले ढाई साल में 2.75 फीसदी छीजत कम होने के बाद भी डिस्कॉम का घाटा बढ़ता ही गया है. घाटा बढ़ा दो डिस्कॉम ने विनियामक आयोग में टैरिफ रिवीजन की याचिका लगाई, उसके बाद दरों में बढ़ोतरी भी हुई तो वही स्थाई शुल्क और फ्यूल चार्जेस के नाम पर भी उपभोक्ताओं पर भार डाला गया.

सरकारी नीतियों में हो सुधार, तो सुधरे डिस्कॉम के हालात

कुल मिलाकर डिस्कॉम का घाटा लगातार बढ़ रहा है. इसके पीछे डिस्कॉम अधिकारियों का कुप्रबंधन तो बड़ा कारण है ही साथ ही सरकारी नीतियां भी इसके लिए दोषी हैं. अगर सरकार जो छूट कृषि कनेक्शन और बीपीएल कनेक्शन पर देती है, उस सब्सिडी का समय पर भुगतान डिस्कॉम को कर दे तो इस घाटे को काफी हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन सरकारें आती हैं और जाती हैं, लेकिन डिस्कॉम के हालात नहीं सुधर पाते हैं और यही तस्वीर मौजूदा सरकार के समय भी नजर आ रही है.

जयपुर. प्रदेश में सरकारें बदलीं और उसके साथ बिजली कंपनियों के मैनेजमेंट भी बदलते गए, लेकिन साथ ही बढ़ता गया डिस्कॉम का घाटा. आज भी डिस्कॉम 85 हजार करोड़ से अधिक के घाटे से जूझ रहा है. इस पर भी सरकार की ओर से विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली सब्सिडी का डिस्कॉम को लंबे समय तक भुगतान नहीं होना भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम के घाटे को लेकर सियासत तो खूब होती है, लेकिन इसके समाधान का प्रयास केवल बयानों तक ही सीमित रहता है.

दरअसल, कृषि उपभोक्ता और लघु घरेलू जिसमें बीपीएल उपभोक्ता भी शामिल हैं, उन्हें सस्ती दर पर बिजली देने का वादा सरकार का है, लिहाजा उन्हें सस्ती दरों पर डिस्कॉम बिजली देता है और उसके एवज में सरकार अनुदान राशि का भुगतान डिस्कॉम को करती है. लेकिन, पिछले कुछ साल से डिस्कॉम को सब्सिडी की एवज में मिलने वाली राशि पूरी नहीं मिल पा रही है, जिससे डिस्कॉम का घाटा और बढ़ रहा है.

प्रदेश में बिजली संकट

क्योंकि डिस्कॉम को सब्सिडी पर बिजली तो देनी है, लेकिन यह खर्चा वहन करने के लिए भी डिस्कॉम को ऋण लेना पड़ रहा है और उसका ब्याज और भी भारी पड़ रहा है. प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण निगम कंपनियों की बात करें तो सब्सिडी की राशि 17 हजार 296 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, जिसका भुगतान समय पर नहीं होने के कारण डिस्कॉम की स्थिति और खराब हो रही है. ऊर्जा मंत्री भी इस बात को स्वीकार करते हैं लेकिन अब समय पर भुगतान की बात भी कहते हैं.

उत्पादन निगम को ही करना है करीब 20 हजार करोड़ का भुगतान

राजस्थान डिस्कॉम को तीनों कंपनियों को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से ली गई बिजली की एवज में 20 हजार करोड़ से भी अधिक का भुगतान करना है. लंबे समय से यह भुगतान बकाया चल रहा है, जिसके चलते लगातार उत्पादन निगम पर भी भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम की ओर से उत्पादन निगम को समय पर भुगतान नहीं होने के कारण ही प्रदेश में कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन की इकाइयों में कोयले की कमी आ गई है, क्योंकि उत्पादन निगम कोयले खरीद का समय पर भुगतान नहीं कर पाया. आलम यह है कि कालीसिंध सहित सूरतगढ़ की इकाइयों में तो उत्पादन बंद हो गया है, जिससे प्रदेश में बिजली का संकट भी एकदम से गहरा गया.

यह भी पढ़ेंः पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने फिर कसा राजस्थान बीजेपी नेताओं पर तंज, कहा- आखिर सत्य की जीत हुई

मंत्री बोले- छीजत कम करके दूर करेंगे घाटा

ऊर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला कहते हैं कि बिजली की छीजत को कम कर घाटा कम किया जा रहा है, लेकिन पिछले ढाई साल में 2.75 फीसदी छीजत कम होने के बाद भी डिस्कॉम का घाटा बढ़ता ही गया है. घाटा बढ़ा दो डिस्कॉम ने विनियामक आयोग में टैरिफ रिवीजन की याचिका लगाई, उसके बाद दरों में बढ़ोतरी भी हुई तो वही स्थाई शुल्क और फ्यूल चार्जेस के नाम पर भी उपभोक्ताओं पर भार डाला गया.

सरकारी नीतियों में हो सुधार, तो सुधरे डिस्कॉम के हालात

कुल मिलाकर डिस्कॉम का घाटा लगातार बढ़ रहा है. इसके पीछे डिस्कॉम अधिकारियों का कुप्रबंधन तो बड़ा कारण है ही साथ ही सरकारी नीतियां भी इसके लिए दोषी हैं. अगर सरकार जो छूट कृषि कनेक्शन और बीपीएल कनेक्शन पर देती है, उस सब्सिडी का समय पर भुगतान डिस्कॉम को कर दे तो इस घाटे को काफी हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन सरकारें आती हैं और जाती हैं, लेकिन डिस्कॉम के हालात नहीं सुधर पाते हैं और यही तस्वीर मौजूदा सरकार के समय भी नजर आ रही है.

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