जयपुर. राजस्थान में होने वाले 129 नगर निकाय चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग भले ही लगातार बैठकर माथापच्ची कर रहा हो, लेकिन अभी भी 129 नगर निकाय चुनाव को लेकर संशय बरकरार है. राज्य निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के साथ चर्चा कर चुनाव को लेकर उनसे सुझाव लिए हैं. हालांकि अंतिम फैसला आयोग को अपने स्तर पर ही करना होगा. वहीं बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने कोरोना वायरस को लेकर चुनाव की एवज में जनता की जान को खतरे में डालने से इनकार कर दिया है.
राज्य निर्वाचन आयुक्त प्रेम सिंह मेहरा की अध्यक्षता में गुरुवार को 129 शहरी निकायों के चुनाव कराने और नहीं करने को लेकर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. इसमें भाजपा की ओर से विधायक और प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने हिस्सा लेते हुए कहा कि आम जनता की जान की जोखिम में डालकर हम चुनाव नहीं चाहते. उन्होंने यह भी कहा कि अगर चुनाव कराया गया तो केंद्र और राज्य सरकार की जो गाइडलाइन है, उसका पूरा पालन सुनिश्चित किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश बीजेपी के स्तर पर निकाय चुनाव को लेकर तैयारी पूरी है.
वहीं कांग्रेस के प्रतिनिधि सतेंद्र ने हालात देखते हुए चुनाव 3 महीने तक टालने का अनुरोध किया. इस पर आयुक्त ने कहा कि क्या 3 महीने बाद भी स्थिति सामान्य हो जाएगी. उन्होंने कहा कि संवैधानिक नियमों के चलते चुनाव कराना जरूरी है. दलों के प्रतिनिधियों की राय लेने के बाद अब आयोग अपना फैसला जल्द ही लेगा. बैठक में सचिव और मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्याम सिंह राजपुरोहित और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे. इस दौरान बसपा और एक अन्य दल भी बैठक में शामिल हुए.
यह भी पढ़ें- आगामी विधानसभा सत्र: जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर विधायक गंभीर नहीं!
बता दें कि प्रदेश की सरकार ने निर्वाचन आयोग के समक्ष निकाय चुनाव को 3 महीने तक स्थगित करने का अनुरोध किया था. सरकार का तर्क था कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं स्थानीय चुनाव में मतदाता का भी बड़ा रुझान होता है. ऐसे में अगर चुनाव कराए जाते हैं, तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है. सरकार की तरफ से किए गए अनुरोध के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग, पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के अलावा राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों की बैठक हुई.