जयपुर. देश के सरपंचों के वित्तीय अधिकार में कटौती के मामले में लगातार आंदोलनरत सरपंच संघ की मांग मानते हुए आखिरकार प्रदेश सरकार ने पीडी खाता प्रणाली लागू न करने का फैसला लिया है. अब प्रदेश के पंचायतों के भुगतान के लिए बैंक खातों के माध्यम से ही भुगतान की व्यवस्था जारी रहेगी. मुख्यमंत्री आवास में हुई समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके निर्देश दिए.
प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के सरपंचों की ओर से पंचायत राज संस्थानों के भुगतान के लिए बैंक खातों के स्थान पर पीढ़ी खाता प्रणाली को लागू करने के संबंध में आ रही व्यवहारिक समस्याओं से राज्य सरकार को अवगत कराया था. जिसके चलते यह निर्णय लिया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में रविवार को हुई इस बैठक में निर्णय लिया गया कि पंचायतों की भुगतान व्यवस्था को पहले की तरह जारी रखा जाए. ताकि पंचायत राज और ग्रामीण विकास से संबंधित कार्यों में किसी भी तरह की व्यवहारिक बाधा न आए.
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बैठक में बताया गया कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विषय वित्तीय परिस्थितियों के बावजूद न केवल राज्य सरकार ने कोरोना का सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन किया बल्कि प्रदेश के विकास की गति को भी बनाए रखा है. गौरतलब है कि कोविड-19 उपजी विषम वित्तीय परिस्थितियों को दृष्टिगत वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से राज्य सरकार ने पंचायत राज संस्थानों और स्वास्थ्य संस्थानों के भुगतान के लिए पीडी अकाउंट प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया था
लेकिन इसमें आ रही व्यवहारिक कठिनाइयों के मद्देनजर यह निर्णय वापस लिया गया है. बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज रोहित कुमार सिंह वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा के साथ ही कई अधिकारी मौजूद रहे.
डोटासरा ने मुख्यमंत्री का जताया आभार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्तर पर हुए इस निर्णय का पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त किया है. डोटासरा ने ट्वीट के जरिए लिखा किसान और ग्रामीण विकास की बेहतरी हेतु लिए गए दोनों निर्णय के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी का आभार व्यक्त करती है. गौरतलब है कि रविवार को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विद्युत दुर्घटनाएं रोकने के लिए सुरक्षा योजना बनाने के निर्देश दिए थे. साथ ही वीसीआर की शिकायतों के लिए ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया था.
पूनिया ने लिखा था पत्र, राठौड़ के नेतृत्व में तोमर से सरपंच संघ ने की थी मुलाकात
सरपंच संघ से जुड़े आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने पत्र लिखकर सहानुभूति पूर्वक उनकी मांगों पर निर्णय करने का आग्रह किया था. रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नेतृत्व में सरपंच संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात कर अपनी पीड़ा उनके समक्ष रखी थी. इस दौरान प्रदेश सरकार द्वारा सरपंचों के वित्तीय अधिकारों में कटौती करने और पंचायतों की राशि समय पर ना मिल पाने सहित तमाम परेशानियों से अवगत कराया गया था.
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आखिरकार, कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत सरकार ने जनमत के सामने घुटने टेके और पंचायतीराज के तुगलगी फरमान को वापस लेना पड़ा।
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आज यह साबित हो गया कि हिलती-डुलती, लुल-पुंज यह कमजोर सरकार नैतिक रूप से भी कमजोर हो चुकी है।#2_साल_राजस्थान_बेहाल https://t.co/0f0EWLSHcl pic.twitter.com/j1HOIfemRd
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विपक्षी दल के नेताओं की ओर से इस मामले में लगातार किए जा रहे प्रयासों के चलते भी प्रदेश सरकार पर अपना निर्णय वापस लेने का सियासी दबाव था. ऐसे में अब जब मुख्यमंत्री ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है तो भाजपा के नेता इसे सरकार पर भाजपा की ओर से डाले गए दबाव का परिणाम बता रहे हैं.