जयपुर. गुरुवार को मनाई जा रही वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन भगवान चित्रगुप्त ने अवतार लिया और मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी. इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा मैया की पूजा करने के साथ दान देने का भी खासा महत्व है.
गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान करने से कायिक, वाचिक और मानसिक पापों का खात्मा होता है. इसमें परस्त्री गमन, दूसरे की वस्तु लेना और शास्त्र वर्जित हिंसा, ये तीन कायिक पाप हैं. वहीं, पीठ पीछे निंदा करना, असत्य भाषण, कटु बोलना और निष्प्रयोजन बातें करना, ये चार वाचिक पाप माने गए हैं. इसके अलावा मन मे किसी का अनिष्ट करने की इच्छा करना, असत्य हठ करना और परद्रव्य को अन्याय से लेने का विचार करना, ये तीन मानसिक पाप है, जो पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं.
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ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि गुरुवार दोपहर 2.39 बजे तक है. ऐसे में इस दिन गंगा में स्नान मात्र से श्रदालुओं के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन अभी गंगा सप्तमी पर कोरोना महामारी के कारण घाट पर जाने से बचें और घर में ही गंगाजल से स्नान करें. इसके बाद दान का संकल्प लेकर दान करने वाली चीजों को निकालकर अलग रखें लें और स्थिति सामान्य होने के बाद दान कर दें.