जयपुर. विशेष अदालत ने 2008 के जयपुर बम ब्लास्ट मामले में चार दोषियों को शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई. इस मामले में जिन आरोपियों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई उनमें मोहम्मद सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सलमान और सैफ सेफुर्रहमान है. विशेष अदालत के न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने शुक्रवार शाम ये सजा सुनाई. उसके बाद बचाव पक्ष के वकील ने अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है.
पढ़ेंः जयपुर के गुनहगारों को तब तक फांसी पर लटकाए रखो जब तक उनकी मौत न हो जाएः कोर्ट
बचाव पक्ष के वकील पैकर फारूक ने कहा कि 1300 गवाहों में से किसी एक गवाह ने यह नहीं कहा कि इनमें से किसी को साइकिल पर बम रखते देखा. वहीं, कोर्ट मानती है कि डायरेक्ट एवीडेंस कुछ भी नहीं है. सारा केस सर्कम एवीडेंस पर है. ऐसे में एक भी गवाह हमारे खिलाफ नहीं था. उन्होंने कहा कि आज-कल जो मीडिया ट्रायल होता है, उसका असर जजेज के माइंड पर भी पड़ता है. उनका कहना है कि किसी दबाव में फैसला सुनाया गया है. उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में शहबाज को मुख्य आरोपी बनाया गया, लेकिन उसे बरी कर दिया गया. जबकि उसी एवीडेंस पर इन सभी चारों को टेरेरिस्ट मान लिया गया. यह कैसे हो सकता है कि एक को बरी किया जाए और उसी एवीडेंस के बेस पर दूसरों को सजा दी जाए. इसलिए अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.
पढ़ेंः जयपुर के गुनहगारों को तब तक फांसी पर लटकाए रखो जब तक उनकी मौत न हो जाएः कोर्ट
वहीं, बचाव पक्ष के वकील पैकर फारूक द्वारा इस फैसले को दबाव में देने के आरोप पर लोक अभियोजक श्रीचंद ने कहा कि पैकर फारूक मुल्जिमों के अधिवक्ता हैं, लेकिन वो ये गलत आरोप लगा रहे हैं. ऐसा जजमेंट दबाव में नहीं आया है. जो सबूत हैं, उन्हीं के आधार पर ही फैसला किया गया है. गुनहगारों को सजा देनी चाहिए थी. वहीं, हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देने की बात पर उन्होंने कहा कि पैकर फारूक को अपील करने का अधिकार है. ऐसे में सरकार भी तैयार है. साथ ही जो शहबाज को बरी किया है, उसके खिलाफ भी हम अपील लेकर जाएंगे.