जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर मांग तेज हो गई है. पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी पर चिंता जताई और कहा कि उपचुनाव दो दिन बाद खत्म हो जाएंगे, अब राजनीतिक नियुक्तियों में देरी नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही सोलंकी ने एससी/एसटी के विधायकों की भागीदारी को लेकर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि अभी मात्र की भागीदारी है इससे कुछ नहीं होगा, ताकतवर महकमे एसी/एसटी विधायकों को मिले.
पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर दिए बयान के बाद अब उनके समर्थक विधायकों ने भी मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां जल्द करने की बात उठाई है. सोलंकी ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कौन उठा रहा है, किस गुट का है, इसे नहीं देखना चाहिए, सरकार को बने हुए ढाई साल से ज्यादा हो गए, पार्टी के कार्यकर्त्ता इन्तजार कर रहे हैं, हालात यह है कि अब राजनीतिक नियुक्तियों में इतनी देर हो गई कि अब कार्यकर्ताओं ने मांगना ही छोड़ दिया है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
वेदप्रकाश सोलंकी ने फिर उठाया SC/ST विधायकों की भागीदारी का मुद्दा
वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि सरकार के गठन में एससी/एसटी के वोटों की अहम भूमिका रही है. एससी/एसटी के विधायकों को अब दमदार विभागों का मंत्री बनाना चाहिए. एससी/एसटी विधायकों को जनता से जुड़े दमदार विभाग देकर ताकतवर बनाएं, नाम मात्र के प्रतिनिधि बनाने से कुछ नहीं होगा. एससी/एसटी में बहुत से वरिष्ठ विधायक हैं जो पांच-पांच बार जीते हुए हैं, उन्हें मंत्री बनाया जाए.
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सोलंकी ने कहा कहा कि सरकार के गठन को ढाई साल हो गए हैं, जिन कार्यकर्ताओं की मेहनत से सरकार बनी है, उन्हें अब सत्ता में भागीदारी देनी चाहिए. मंत्रिमंडल विस्तार तो होना चाहिए, राजनीतिक नियुक्तियां भी ज्ल्द हों. सत्ता में जितना ज्यादा विकेंद्रीकरण होगा उतना ज्यादा कार्यकर्ताओं को फायदा होगा, अब देरी नहीं हेनी चाहिए. जिला स्तर पर कार्यकर्ता राजनीतिक नियुक्तियों की लंबे समय से मांग कर रहे हैं, अब तो कार्यकर्ताओं ने मांगना ही छोड़ दिया है. अब देरी करना ठीक नहीं है. पायलट साहब ने भी यही सुझाव दिया था.
पायलट खेमे का जल्द मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतक नियुक्तियों का दबाव
सचिन पायलट खेमा सुलह के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों के लिए दबाव बना रहा है. खबर है कि मुख्यमंत्री जल्द विस्तार के मूड में नहीं हैं. पायलट खेमे की बगावत के बाद बनी सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों पर भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. पायलट खेमा अब देरी को मुद्दा बना रहा है. हालांकि, पायलट खेमे के विधायक सीधे तौर पर अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे, लेकिन वो कह रहे हैं कि सरकार किसी को भी बनाए वह उनका विवेकाधिकार है, लेकिन इसमें देरी नहीं होनी चाहिए.
देरी हुई तो पायलट खेमे का अब सब्र टूटने का संकेत!
सचिन पायलट ने एक दिन पहले ही पीसीसी में मीडिया से बातचीत में कहा था कि सुलह कमेटी में जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी उन पर अब कार्रवाई होनी चाहिए. अब उपचुनाव हो जाएंगे, पांच राज्यों के चुनाव भी हो जाएगें तो देरी का कोई कारण नहीं बचता. सचिन पायलट ने विधानसभा में उठाए गए एससी/एसटी के भेदभाव के मुद्दे का समर्थन करते हुए तत्काल समाधान की बात कही थी. सचिन पायलट खेमे ने अब संकेत दे दिए हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी होने पर वे आवाज मुखर करेंगे.