जयपुर. जिले की मानसागर झील पर 23वें इंडियन बर्डिंग फेयर का शुक्रवार को समापन किया गया. इस दौरान मेले में हजारों स्कूली बच्चों ने भाग लिया. इस मेले में सभी बच्चों ने सभी प्रवासी पक्षियों को दूरबीन के जरिए निहारा. इस मौके पर पक्षी विशेषज्ञ और पर्यावरणविद भी पहुंचे. स्कूली बच्चों को पक्षी दिखाने के साथ-साथ वेटलैंड कंजर्वेशन के लिए जागरूक भी किया गया.
बता दें कि पिछले 23 साल से मानसागर झील की पाल पर आयोजित होने वाले इंडियन बर्डिंग फेयर में करीब 65 से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षी नजर आए. इस मेले में आए स्कूली बच्चों ने अपनी बॉडी पर पक्षियों के टैटू बनाकर पक्षी संरक्षण का संदेश दिया. साथ ही इस मेले में पक्षी विशेषज्ञ, स्थानीय लोग और पर्यटक भी पंहुचे. इस दौरान बच्चों को पक्षी दिखाकर उनकी पहचान करना भी सिखाया गया.
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इस दौरान जलीय पक्षियों के संरक्षण पर ओपन एयर सेशन, क्विज, पेंटिंग्स, टैटू सहित कई गतिविधियां भी आयोजित की गई. 23 सालों से लगातार टूरिज्म एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से इस पक्षी मेले का आयोजन किया जा रहा है. पक्षी मेले में जयपुर जू के साथ कई संगठनों का सहयोग मिल रहा है. इसके समापन के अवसर पर पक्षी मेले में भागीदारी निभाने वाले पक्षी प्रेमी विशेषज्ञ और वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया.
पक्षी विशेषज्ञ हर्षवर्धन ने बताया कि यह 23वां इंडियन बोर्डिंग से एक ऐसी चिड़िया को समर्पित है जिसकी संख्या पूरी दुनिया में 150 से भी कम है. इस चिड़िया का नाम राज्य पक्षी गोडावण है .उन्होंने बताया कि इस पक्षी मेले का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पक्षी संरक्षण में भागीदारी निभाए. यही पक्षी हमारे पर्यावरण को भी बेहतर बनाते हैं. देशभर से पक्षी मेले में कई पक्षी विशेषज्ञ भी पहुंचे. पक्षी विशेषज्ञों ने बर्ड फेयर में आने वाले सभी लोगों को पक्षियों के बारे में जानकारियां दी.
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वहीं, इस मेले के आयोजन से काफी फायदा होता है. इससे लोगों में पक्षियों के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है. मानसागर झील जयपुर की एकमात्र झील है जो शहर के बीचो-बीच मौजूद है. एक दशक पहले किए गए सुधारों से झील पर पक्षियों की तादाद बढ़ने लगी थी. जिसका कारण झील में प्रदूषण और गंदगी को माना जा रहा है लेकिन अब फिर से मानसागर झील की हालात बिगड़ने लगे हैं, जिन्हें सुधारना होगा.