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जयपुर : देव दिवाली पर्व पर दीपदान से जगमगाया मंदिर, श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी - गोविंद देवजी मंदिर

पूरे देश में सोमवार को देव दिवाली का पर्व धूम-धाम से मनाया गया. इस दौरान जयपुर के विभिन्न मंदिरों को दीपदान से रोशन किया गया. वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोग अपने-अपने घरों में ही इस त्योहार को मनाया. मान्यता है कि इसी दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीप जलाकर जश्न मनाया था.

Jaipur Chhoti Kanshi Mandir,  Dev Diwali festival in Jaipur
देव दिवाली का पर्व
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Published : Nov 30, 2020, 9:41 PM IST

जयपुर. जिले में देव दिवाली का पर्व सोमवार को पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है. दीपावली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व पर छोटी काशी के मंदिर दीपदान से रोशन हुआ. स्नान, दान और पुण्य के लिए विशेष महत्व मानें जाने वाले कार्तिक मास का आज समापन हो रहा है.

देव दिवाली का पर्व

कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन अलसुबह स्नान कर दीपदान करने की एक विशेष परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोगों ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए तीर्थ स्थलों के सरोवर में डुबकी लगाने की बजाए घरों में स्नान करने के बाद मंदिर और नदी के घाट पर दीप जलाएं. इस मौके पर गलताजी सहित अन्य पवित्र स्थलों पर मास के आखिरी दिन श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित किए. साथ ही छोटी काशी के मंदिरों में भी देव दिवाली पर घी के दीपक जलाए गए.

पढ़ें- 30 नवंबर को मनाई जाएगी देव दिवाली, दीपदान से जगमगाएंगे मंदिर

मान्यता है कि इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीप जलाकर जश्न मनाया था. इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है.

वहीं, शहर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में भी महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने सोलह संस्कारों में से एक विशेष संस्कार अन्न प्राशन संस्कार शिशु के छठे मास में अन्न ग्रहण का निर्वहन किया. ये संस्कार महंत श्री ने डॉ. प्रशांत शर्मा के पुत्र याज्ञवल्क्य को चांदी के चम्मच से खीर खिलाकर भारतीय संस्कृति का निर्वहन किया गया. बता दे यह संस्कार गुरु, बुजुर्ग, पुरूष, घर का मुखिया और पिता द्वारा किया जाता है.

जयपुर. जिले में देव दिवाली का पर्व सोमवार को पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है. दीपावली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व पर छोटी काशी के मंदिर दीपदान से रोशन हुआ. स्नान, दान और पुण्य के लिए विशेष महत्व मानें जाने वाले कार्तिक मास का आज समापन हो रहा है.

देव दिवाली का पर्व

कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन अलसुबह स्नान कर दीपदान करने की एक विशेष परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोगों ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए तीर्थ स्थलों के सरोवर में डुबकी लगाने की बजाए घरों में स्नान करने के बाद मंदिर और नदी के घाट पर दीप जलाएं. इस मौके पर गलताजी सहित अन्य पवित्र स्थलों पर मास के आखिरी दिन श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित किए. साथ ही छोटी काशी के मंदिरों में भी देव दिवाली पर घी के दीपक जलाए गए.

पढ़ें- 30 नवंबर को मनाई जाएगी देव दिवाली, दीपदान से जगमगाएंगे मंदिर

मान्यता है कि इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीप जलाकर जश्न मनाया था. इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है.

वहीं, शहर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में भी महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने सोलह संस्कारों में से एक विशेष संस्कार अन्न प्राशन संस्कार शिशु के छठे मास में अन्न ग्रहण का निर्वहन किया. ये संस्कार महंत श्री ने डॉ. प्रशांत शर्मा के पुत्र याज्ञवल्क्य को चांदी के चम्मच से खीर खिलाकर भारतीय संस्कृति का निर्वहन किया गया. बता दे यह संस्कार गुरु, बुजुर्ग, पुरूष, घर का मुखिया और पिता द्वारा किया जाता है.

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